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अब तक सामने आये 22 मामले

समस्तीपुर : नौनिहालों के जानलेवा बीमारियों में शुमार खसरे के रुबेला प्रकार के इस वर्ष जिले में 22 मामले सामने आये हैं. इससे पूर्व जिले में इस रोग की उपस्थिति को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़े मौजूद नहीं हैं. इसके कारण रुबेला की उपस्थिति धमाकेदार मानी जा रही है. हालांकि सुकून की बात यह है कि […]

समस्तीपुर : नौनिहालों के जानलेवा बीमारियों में शुमार खसरे के रुबेला प्रकार के इस वर्ष जिले में 22 मामले सामने आये हैं. इससे पूर्व जिले में इस रोग की उपस्थिति को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़े मौजूद नहीं हैं. इसके कारण रुबेला की उपस्थिति धमाकेदार मानी जा रही है.
हालांकि सुकून की बात यह है कि इस रोग से अब तक कहीं भी मौत के मामले सामने नहीं आये हैं. वैसे डब्ल्यूएचओ की जांच रिपोर्ट बयां करती है कि जिले में खसरे की जांच पड़ताल के लिए चलाये गये बीते वर्षो में इसके कोई मामले सामने नहीं थे. वैसे बीते दो वर्षो के दौरान खसरे के ही तीन प्रकारों में शामिल मिजिल्स के 96 मामले दर्ज किये गये. जबकि मम्स का कोई भी केस अब तक जिला में सामने नहीं आया है. बच्चों के रोग पर नजर रखने वाले चिकित्सकों का कहना है कि खसरा तीन तरह के होते हैं. इसमें सबसे खतरनाक मम्स है. इसके बाद रुबेला का ही नंबर आता है.
इसके शिकार हुए बच्चों में कुपोषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसके कारण उस बच्चे की सेहत को लेकर हमेशा संशय सी स्थिति बनी रहती है. खास बात यह है कि खसरा आम तौर पर 9 से लेकर 23 महीने के बच्चों में होने का खतरा अधिक होता है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार टीकाकरण कराया जा रहा है. बच्चों को इस रोग के प्रभाव से दूर रखने के लिए वर्ष में दो बार विटामिन ए की खुराक भी पिलायी जा रही है.

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