मोहीउद्दीननगर. आज भले ही सरकार कदम-कदम पर विद्यालय खोलने का ढिंढोरा पीट रही है. पर सच्चाई यह है कि विद्यालयों में शिक्षा प्रदान करने के मानक पूरी नहीं हो पाती. यहां विधि-व्यवस्था से उत्पन्न परेशानियों के अतिरिक्त अपने कम मानदेय से असंतुष्ट शिक्षकों की खिन्नता से पठन-पाठन का माहौल बिल्कुल ही नहीं बन पाता. ऐसी परिस्थितियों में गांव के छात्र व छात्राओं के समक्ष निजी कोचिंग संस्थानों का सहारा लेने के अलावा कोई उपाय ही नजर नहीं आता है. ऐसी परिस्थिति में कोचिंगों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए अपने बच्चे को भेजना अभिभावक मुनासिब समझने लगे हैं. शैक्षणिक संस्थान के मानकों पर वे खरे नहीं उतरते. बावजूद क्षेत्र में अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए विख्यात व समुचित संसाधनों से युक्त निजी कोचिंग संस्थान भी मौजूद हैं. यहां अधिकतम योग्यताधारी शिक्षकों की देखरेख में बच्चे अपनी प्रतिभा को विकसित करने में सक्षम हो पाते हैं. बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में कल्याणपुर बस्ती की सुभांगी कुमारी ने वर्ष 2009 मे राज्य में तीसरा स्थान व लड़कियों में प्रथम स्थान, बढ़ौना के राजन ने 2011 मे राज्य मे 19 वां स्थान तथा सूरज ने 36 वां स्थान प्राप्त कर अपने परिवार व क्षेत्र का मान बढ़ाने में कामयाब हो सका है. कोचिंग के बदौलत ही आज क्षेत्र के नमिता कुमारी, प्रियंका कुमारी, सद्दाम हुसैन ने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्णता हासिल कर अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो पाये हैं. कुछ निजी कोचिंग संस्थान तो मेधावी व निर्धन छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए भी अपनी प्रतिबद्घता को प्रदर्शित किया है.
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कोचिंग संस्थानों के भरोसे ही गांव के छात्र
मोहीउद्दीननगर. आज भले ही सरकार कदम-कदम पर विद्यालय खोलने का ढिंढोरा पीट रही है. पर सच्चाई यह है कि विद्यालयों में शिक्षा प्रदान करने के मानक पूरी नहीं हो पाती. यहां विधि-व्यवस्था से उत्पन्न परेशानियों के अतिरिक्त अपने कम मानदेय से असंतुष्ट शिक्षकों की खिन्नता से पठन-पाठन का माहौल बिल्कुल ही नहीं बन पाता. ऐसी […]
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