समस्तीपुर : एलआइसी कैश लूट कांड में पुलिस की माथापच्ची और बढ़ती जा रही है़ पुलिस को अपराधियों के भागने के रूट का पता तक नहीं चल पा रहा है़ अपराधी घटना को अंजाम देने के बाद ताजपुर की ओर भागे जरूर, लेकिन उस दिशा में वे कहां तक गये इसका कुछ अता-पता नहीं चल सका है़
अपराधी लंबी दूरी तक गये या फिर कहीं आपपास ही शरण ले लिये. पुलिस अबतक इस मामले किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे सकी है़ वैसे पुलिस पूसा, ताजपुर, कल्याणपुर सहित कई रूट को खंगाल चुकी है, लेकिन उसे कुछ भी हाथ नहीं लग सका, पुलिस अपराधियों के भागने की दिशा में बस लकीरें पीट रही है़ अपराधी इतने शातिर थे कि अपने भागने के रूट में अपनी कोई सुराग नहीं छोड़ा़ पुलिस कई रूट के तमाम सीसीटीवी फुटेज को खंगाल चुकी है, लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लग सका है़ घटना स्थल पर गोली मारते और पैसे से भरा बैग लूटने की जो तस्वीर सीसीटीवी में कैद है वह पुलिस के किसी काम की नहीं है़
कैमरे की घटना स्थल से अधिक दूरी होने के कारण तस्वीर साफ नहीं है़ वैसे पुलिस की एक टीम सीसीटीवी फुटेज खंगालते हुये बिना वरीय पदाधिकारी के आदेश के मुजफ्फरपुर तक पहुंच गई़ पुलिस सूत्रों के मुताबिक इसके लिये टीम को वरीय पदाधिकारी की नाराजगी झेलनी पड़ी और उसे वहां से बैरंग लौटना पड़ा़
वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अपराधी
को सजा दिलाने में मिलती है सहूलियत
कहीं पुलिस वालों के बीच आपसी समन्वय की कमी तो नहीं
लगातार हो रहीं घटनाएं पुलिस के गिरते मनोबल का परिचायक
आखिर क्यों नहीं बुलायी गयी एफएसएल की टीम
इतनी बड़ी घटना के बाद भी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये एफएसएल की टीम को नहीं बुलाया गया़ घटना के तुरंत बाद अगर एफएसएल की टीम को बुलाया जाता तो वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में मदद मिलती़ चूंकी लूट के साथ हत्या भी हुई थी़ पिछले दिनों यहां पहुंचे एडीजी ने जिला पुलिस को वैज्ञानिक अनुसंधान पर ज्यादा जोर देने को कहा था़ एडीजी ने कहा था कि गवाह मुकर जाते हैं लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों को आधार पर अपराधी को सजा दिलाने में सहुलिय होती है़ दूसरी ओर इतनी बड़ी घटना के बाद डीआईजी से ऊपर के कोई अधिकारी घटना का जायजा लेने नहीं पहुंचे है़ं जबकि जनवरी में यूकों बैंक लूट कांड के दिन ही आईजी तक पहुंचे थे़
कहीं पुलिस वालों के बीच आपसी समन्वय का अभाव तो नहीं
इतनी बड़ी घटना के बाद पांच दिनों तक पुलिस का खाली हाथ रहना एक साथ कई सवालों को जन्म दे रहा है़ पुलिस वालों के बीच कहीं आपसी समन्वय की कमी तो नहीं है, या फिर उनका मनोबल तो कमजोर नहीं पड़ रहा है़ लगातार हो रही घटनाएं भी इसकी पुष्टि कर रही है़ दूर देहात की बात तो दूर जनवरी से अबतक भीड़ भरे शहर में कई बड़ी आपराधिक घटनाएं हो चुकी है़ इनमें यूको बैंक से 48.94 लाख की लूट, ताजपुर रोड में गैस एजेंसी कर्मी से 7.50 लाख की लूट के अलावा बैंक से पैसे निकाल जाते समय लूट की दर्जन भर घटनाएं हो चुकी है़ इससे साफ जाहिर है कि पुलिस वालों से अधिक मनोबल अपराधियों के पास है़ घटनाओं के बाद उसका उद्भेदन नहीं हो पाना पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है़ उनके बीच कहीं न कहीं दरारे जरूर हैं. जिसका फायदा अपराधियों को मिल रहा है़
लूट मामले में प्रत्येक कदम फूंक-फूंक कर बढ़ा रही है पुलिस
एलआइसी कैश लूट मामले के उद्भेदन में जुटी पुलिस की टीम प्रत्येक कदम फूंक-फूंककर उठा रही है़ उसे हर अगले कदम के लिये अपने वरीय अधिकारी के आदेश का इंतजार रहता है़ बिना आदेश के वे कुछ भी करने में हिचकते हैं. उन्हें हमेशा वरीय पदाधिकारी के द्वारा विभागीय कार्रवाई किये जाने का भय सताता रहता है़ ऐसी स्थिति में शातिर अपराधियों तक पहुंच पाना उनके लिये टेढ़ी खीर साबित हो रही है़
एसटीएफ को भी अपराधियों को पकड़ने में नहीं मिल रही सफलता
घटना के बाद जिला पुलिस, एसआइटी, डीआइयू तो लगातार अपराधियों के पीछे लगी ही हुई है़ इस मामले के उद्भेदन में एसटीएफ को भी लगा दिया गया है़ बावजूद अबतक परिणाम शून्य है़ एसटीएफ को भी कोई सुराग नहीं मिला है़ वह भी अंधेरे में ही हाथ-पांव मार रहा है़ इधर आम जनता में भी पुलिस के इस नाकामी की खूब चर्चा हो रही है़