रोसड़ा : निर्दोष युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के मामले में सिंघिया थानेदार ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए कोर्ट से क्षमा याचना की. साथ ही युवक को रिहा करने की गुहार कोर्ट से लगायी.थानाध्यक्ष पंकज कुमार पंत ने अपने सत्यापन प्रतिवेदन में गलती स्वीकार करते हुए न्यायालय में भूलवश व क्षमा के लिए सत्यापित आवेदन दाखिल किया.अधिवक्ता शंभू प्रसाद सिंह द्वारा 21 मई के आवेदन को संचालित करने के लिए न्यायालय में आवेदन दाखिल किया गया.
इसके आधार पर कोर्ट ने जेल में बंद निर्दोष रंजीत पासवान को रिहा करने का आदेश पारित किया.कोर्ट ने सिंघिया थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए एक प्रति आरक्षी अधीक्षक समस्तीपुर को भेज दिया.कोर्ट से निर्दोष को न्याय मिलने के बाद उसके परिजन प्रफुल्लित हो उठे.निर्दोष रंजीत पासवान के पिता देबु पासवान ने प्रभात खबर को कोटि-कोटि धन्यवाद दिया.कहा कि चौथे स्तंभ की पहल न होती तो पुलिस अपनी गलती स्वीकार नहीं करती, जिससे न्याय मिलने में विलंब हो सकती थी.साथ ही न्यायालय पर भरोसा जताते हुए अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी दीपचंद्र पांडे के प्रति उन्होंने आभार व्यक्त किया.उन्होंने सिंघिया थानाध्यक्ष पर आरोप लगाया कि उनके पुत्र के साथ थानाध्यक्ष ने गिरफ्तारी के बाद मारपीट कर गलत नियत से जेल भेज दिया है.
इसके लिए उन्होंने दलित बच्चे के साथ अत्याचार को ले आरक्षी अधीक्षक एवं वरीय पुलिस पदाधिकारी से अविलंब थानाध्यक्ष को निलंबित करने एवं उन पर मुकदमा चलाने की मांग करने की बात कही. बता दें कि 22 साल पूर्व के भूमि विवाद संबंधित एक मामले में सिंघिया पुलिस ने निर्दोष युवक रंजीत पासवान को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दी थी, जो विगत छह दिनों से रोसड़ा उपकारा में बंद है.इस मामले में गिरफ्तारी के बाद कांड के सूचक समेत आरोपित एवं जनप्रतिनिधियों ने थाना परिसर में गिरफ्तार युवक को निर्दोष बताते हुए छोड़ने की मांग की थी.परंतु थानाध्यक्ष ने किसी की एक न सुनी और युवक को जेल भेज दिया.पीड़ित युवक के पिता ने अपने पुत्र को निर्दोष बताते हुए न्यायालय से पुत्र के रिहा होने की गुहार लगायी थी.