महमदा मौत प्रकरण. दंपती व दो बेटियों की मौत, पुलिसिया जांच पर टिकीं ग्रामीणों की निगाहें
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एक ही पलंग पर मिले शवों से उठे सवाल
महमदा मौत प्रकरण. दंपती व दो बेटियों की मौत, पुलिसिया जांच पर टिकीं ग्रामीणों की निगाहें पूसा : महमदा गांव में दो बेटियों के साथ दंपत्ति की हुई मौत आग लगने से हुई है. लेकिन एक ही पलंग पर जिस तरह से एक के बाद एक कर लाशें पड़ी थी उस परिस्थिति ने कई सवाल […]
पूसा : महमदा गांव में दो बेटियों के साथ दंपत्ति की हुई मौत आग लगने से हुई है. लेकिन एक ही पलंग पर जिस तरह से एक के बाद एक कर लाशें पड़ी थी उस परिस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. इसका जबाव फिलहाल किसी के पास नहीं है. न तो मृत मुकेश राय के बगलगीर को कुछ पता है और न ही पुलिस इसको लेकर कुछ बोलने को तैयार है. अभी पुलिस मानती है कि ढिबरी से आग लगने के कारण ही मौत हुई है. लेकिन गुरुवार की सुबह मौत की सूचना पर जब पुलिस मुकेश के घर पहुंची थी तो उस वक्त उसके आंगन में प्रवेश करने वाला दरवाजा अंदर से बंद था. लेकिन जिस कमरे में यह घटना हुई है वह खुला था.
ग्रामीण पुलिस के सामने दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे और आग की लपट पर पानी डाल कर उसे बुझाया. घर से चमरा जलने जैसी बदबू आ रही थी. जिससे अंदर ठहर पाना मुश्किल हो रहा था. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पलंग पर दोनों बच्चियों, मुकेश की लाश पड़ी थी. कुछ बगल हट कर उसकी पत्नी रुपा की लाश थी. खास बात यह थी कि रुपा के चेहरे उस कदर नहीं झुलसे थे. प्रत्यदर्शियों की मानें तो इस भीषण गर्मी में सभी लाशों के उपर रजाई पड़ी थी. वह भी जला हुआ था. पलंग के तख्ते कुछ जले थे लेकिन उसकी पट्टियां और पौआ सलामत थे. चर्चा यह थी कि अगर ढिबरी से आग लगी तो परिवार के सभी लोग कैसे बेहोश रहे. आग की तपिश में उसकी नींद कैसे नहीं खुली. बच्चों ने चीखा चिल्लाया क्यों नहीं. आग से बचने के लिए सभी इधर उधर भागते. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इन परिस्थितियों ने इस परिवार की मौत को लेकर सवाल खड़े कर दिये हैं. जिसका जबाव ढूढने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी होगी. क्योंकि न तो उसके परिवार में बाकी कोई बचा है और न ही घटना का कोई गवाह ही है.
मुकेश ताड़ी पीकर रोज आता था घर में : लोगों की माने तो मुकेश रोज रात में ताड़ी पीकर आता था. पत्नी के मना करने पर मारपीट करता था. बताया जाता है कि रुपा का पड़ोस के युवक के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था. इससे मुकेश दुखी रहता था. मना करने के बावजूद रुपा बाज नहीं आती थी.
कैसे रखी रह गयी प्लािस्टक की बोतल? : िजस बेड पर मुकेश व उनकी बेिटयों के शव िमले. वह आग से जल गया, लेिकन जब गांव के लोग और पुिलस घर के अंदर पहुंची, तो वहां एक प्लािस्टक की बोतल रखी िमली, िजसमें पीला-पीला आधा बोतल कुछ भरा था. बोतल में क्या भरा था.
ये स्पष्ट नहीं हो सका, लेिकन लोग इस पर चर्चा कर रहे थे िक अगर कांच की बोतल भी होती, तो वह गर्मी के कारण फूट जाती, तब प्लािस्टक की बोतल वहां सही सलामत कैसे रखी है. क्या िकसी ने वो बोतल तो नहीं रख दी. चार मौतें कहीं िकसी सािजश का नतीजा तो नहीं?
बहन का तार-तार हुआ कलेजा
घटना कि जानकारी मिलने पर पहुंचे मृतक की बहन रेखा देवी एवं बहनोई टुनटुन महतो ने दरवाजे पर पहुंचते ही रोते बिलखते मौजूद लोगों के भी सब्र का बांध तोड़ दिया. मृतक के परिवार में अपनों के नाम पर तो कोई था नहीं. समाज के हर दरवाजे पर लोगों की जुबान पर यही चर्चा थी कि आखिर पूरे परिवार की एक साथ कैसे जलकर मर मौत हो सकती है. मृत मुकेश तीन भाई में सबसे छोटे था. बड़े भाई सुरेश राय एवं सुरेन्द्र राय दिल्ली में परिवार के साथ रहकर जीवन यापन करता है. मुकेश के पिता एवं माता की मृत्यु काफी दिन पहले ही हो चुकी है. मुकेश के पास जमीन के नाम पर बस घर है. वह मजदूरी कर अपना परिवार पाल रहा था.
मुखिया ने किया कैंप
महमदा पंचायत की मुखिया गीता देवी मृतक मुकेश के घर पर कैंप किये हुए है. कबीर अंत्येष्ठी योजना से मिलने वाली राशि का भुगतान कर दाह संस्कार कराने में तत्पर दिखी. मृतक की बड़ी बच्ची आंचल कुमारी गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढने जाती थी. वह चौथे वर्ग की होनहार छात्र थी. जिसे खोकर विद्यालय परिवार भी मर्माहत है.
यूडी केस दर्ज कर अनुसंधान में जुटी पुलिस
घटना के बावत पूसा थानाध्यक्ष राज किशोर कुमार का कहना है कि प्रथम दृष्ट्या बिछावन के नजदीक रखी हुई ढिबरी से ही आग लगना प्रतीत हो रहा है. वैसे यूडी केस दर्ज कर मामले की गहन जांच की जायेगी ताकि बंद घर में आग लगने अथवा लगाने की सच्चाई का पता लगाया जा सके.
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