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दूसरे जुमे पर सजदे में झुके सिर

समस्तीपुर : नेमतों बरकतों के मुकद्दस माह रमजानुल मुबारक के 14 वें रोजे के दौरान शुक्रवार को दूसरे जुम्मे की नमाज अदा की गई. रोजेदारों ने खुदा की बारगाह में सजदा अदा कर नेक राह पर चलने अमन चैन की दुआएं मांगी. रमजान माह के दूसरे जुम्मा की नमाज के मौके पर मसजिदों में नमाजियों […]

समस्तीपुर : नेमतों बरकतों के मुकद्दस माह रमजानुल मुबारक के 14 वें रोजे के दौरान शुक्रवार को दूसरे जुम्मे की नमाज अदा की गई. रोजेदारों ने खुदा की बारगाह में सजदा अदा कर नेक राह पर चलने अमन चैन की दुआएं मांगी. रमजान माह के दूसरे जुम्मा की नमाज के मौके पर मसजिदों में नमाजियों की भीड़ उमड़ी. शहर की प्रमुख मसजिदों में दूसरे जुमा की नमाज के लिए व्यापक प्रबंध किए गए थे. माहे रमजान की बरकतों फज़ीलतों के बारे में बताया.
कई मसजिद में तकरीर पेश कर नमाज अदा कराई. इमाम हाफिज मोहम्मद अली ने कहा कि रोजे रखना हर मोमीन पर फर्ज है. रोजे रखने के साथ-साथ पांच वक्त की नमाज पढना कुरान की तिलावत करनी चाहिए. इस पाक महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को जकात और खैरात देनी चाहिए. नमाज के बाद मुल्क में अमन, खुशहाली और बारिश के लिए दुआ मांगी गई. सच्चे दिल से इबादत कर अल्लाह की रहमत पाने का महीना है रमजान. ऐसी मान्यता है कि नियम से जो भी व्यक्ति तीस दिनों तक रोजा रखेगा अल्लाह ताला उसके सारे गुनाहों को माफ कर देंगे. रमजान के महीने में रोजेदारों को ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की सलाह दी जाती है.
मुसलिम धर्मावलंबियों के अनुसार इस महीने को तीन हिस्से में बांटा गया है. जिसमें पहला दस दिन रहमतों का कहलाता है. जिसमें अल्लाह ताला रोजेदारों पर खास रहमत करते हैं. दूसरा दस दिन मगफिरत का होता है. जिसमें रोजेदारों की गलतियोंको अल्लाह माफ करते हैं. तीसरा दस दिन नरक से छुटकारे का होता है. जिसमें अल्लाह रोजेदारों को गुनाहों से मुक्त कर देते हैं.

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