हर वक्त, हर जगह नजर आते हैं बाहरी लोग, इन्हीं पर टिका है अस्पताल
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कर्मी नहीं, बाहरी चलाते हैं सदर अस्पताल
हर वक्त, हर जगह नजर आते हैं बाहरी लोग, इन्हीं पर टिका है अस्पताल कर्मी की कमी की वजह से बढ़ रहा है बाहरी लोगों का मनोबल मरीजों की जान से होता है खिलवाड़ अपर स्वास्थ्य उपनिदेशक ने दिया हटाने का निर्देश सहरसा : सदर अस्पताल की व्यवस्था बाहरी लोगों पर निर्भर है. अस्पताल प्रशासन […]
कर्मी की कमी की वजह से बढ़ रहा है बाहरी लोगों का मनोबल
मरीजों की जान से होता है खिलवाड़
अपर स्वास्थ्य उपनिदेशक ने दिया हटाने का निर्देश
सहरसा : सदर अस्पताल की व्यवस्था बाहरी लोगों पर निर्भर है. अस्पताल प्रशासन के सामने ये बाहरी लोग अस्पताल व्यवस्था में अपना हाथ बंटाते हैं. जबकि उन्हें किसी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त नही होता हैं. इसके बावजूद वह विशेषज्ञ की तरह सूई देने से लेकर अन्य इलाज में बखूबी सहयोग करते हैं. इससे लोग अब मानने लगे हैं कि सदर अस्पताल बिना बिचौलिये के नहीं चल सकता है. अस्पताल के अधिकतर वार्ड, हरेक जगह ऐसे बाहरी लोग नजर आ जाते हैं. जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप से अस्पताल से जुड़े नहीं हैं. लेकिन अस्पताल के अधिकांश कामों में इन्हें हाथ बंटाते देखा जा सकता है.
गुरुवार को प्रभात खबर ने सदर अस्पताल के शिशु वार्ड में एक ऐसे ही युवती की हरकत को कैमरे में कैद किया. लगभग ग्यारह बजे एक लगभग 15 से 16 वर्ष की युवती को एक बच्चे जिसका पैर टूटा था को सूई लगाते देखा गया. पूछने पर अपना नाम पूजा व अपने आप को अस्पताल का कर्मी बतायी. जब उन्हें उसकी करतूत को कैमरे में कैद होने की भनक लगी तो वह वार्ड से निकल गयी. मामले की सूचना जब तक अस्पताल के उपाधीक्षक व प्रबंधक को दी गयी.
वह एक्सरे कक्ष में जाकर छिप गयी. इसी बीच वार्ड में प्रतिनियुक्त नर्स मौका देख बच्चों को सूई लगाने लगी. उपाधीक्षक व प्रबंधक के जाने के बाद कुछ कर्मियों ने अस्पताल में संचालित एक्सरे कक्ष से बाहर निकाल भगा दिया गया. पूछने पर नर्स ने पहले तो मामले से अनभिज्ञता जतायी. हालांकि बाद में खबर नही छापने की शर्त पर उसे पहचानने की बात कह कहा कि वार्ड के अलावे पेइंग वार्ड सहित अन्य प्रभार है. वह लड़की पहली दिन आयी थी. यह तो एक बानगी है. जिला प्रशासन यदि सजग हो तो ऐसे दर्जनों लोग गिरफ्त में आ सकते हैं.
बढ़ाने होंगे कर्मी
प्रमंडलीय मुख्यालय होने के कारण सहरसा के अलावा मधेपुरा व सुपौल सहित आसपास के जिलों से हजारों की संख्या में मरीज सदर अस्पताल आते हैं. मरीजों की अपेक्षा कर्मियों की संख्या नही के बराबर है. इमरजेंसी में प्रत्येक शिफ्ट में तैनात कर्मियों में से एक को बीएचटी सहित रजिस्टर में नाम, पता एवं अन्य जानकारी लिखनी पड़ता है. उसके बाद चिकित्सक द्वारा दी गयी सलाह व दवा को समझाना पड़ता है. ऐसे में उस कर्मी के पास किसी मरीज को सूई तक देने का समय नहीं रहता है. शेष एक या दो कर्मी के जिम्मे दर्जनों मरीज का देखभाल रहता है. जानकारी के अनुसार अस्पताल के इमरजेंसी में लगे बेड की अपेक्षा दो से तीन गुणा मरीज भरती होते हैं.
मामले की जानकारी मिली है, आप खबर निकालिये. कार्रवाई की जाएगी. वह सदर अस्पताल की कर्मी नहीं है.
डॉ अनिल कुमार, अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल प्रबंधक से मामले की जानकारी ली जा रही है. मामले की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. उसे वार्ड से हटाया जायेगा और अन्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जायेगी.
डॉ अशोक कुमार सिंह, सिविल सर्जन
सिविल सर्जन से मामले की जानकारी ली गयी है, सीएस को उसे तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया है. लापरवाही बरदाश्त नहीं की जायेगी. मुख्यालय आते ही उसे निलंबित कर दिया जायेगा.
डॉ शशिभूषण प्रसाद, अपर स्वास्थ्य उपनिदेशक
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