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आधा दर्जन बच्ची बीमार

दुखद . बालिका गृह के स्पेशल यूनिट की स्थिति पर प्रश्नचिह्न बालिका गृह की बच्चियां सर्दी, बुखार व कमजोरी से हैं पीड़ित सहरसा : शहर के सिमराहा स्थित बालिका गृह में संचालित स्पेशल यूनिट के आधा दर्जन बच्ची बीमार हो गयी. जिसे दो तीन दिन पूर्व ही सदर अस्पताल में भरती कराया गया. जहां उसकी […]

दुखद . बालिका गृह के स्पेशल यूनिट की स्थिति पर प्रश्नचिह्न

बालिका गृह की बच्चियां सर्दी, बुखार व कमजोरी से हैं पीड़ित
सहरसा : शहर के सिमराहा स्थित बालिका गृह में संचालित स्पेशल यूनिट के आधा दर्जन बच्ची बीमार हो गयी. जिसे दो तीन दिन पूर्व ही सदर अस्पताल में भरती कराया गया. जहां उसकी इलाज चल रही है. चिकित्सकों ने यूनिट के बच्ची सूर्यमणि, सुनीता, कमला, सुमन भारती, संजना, ललिता सहित अन्य को सर्दी, बुखार व कमजोरी से पीड़ित बताया है. मामले की सुचना मिलते ही कई जनप्रतिनिधि सदर अस्पताल पहुंच चिकित्सकों से बच्ची की संपूर्ण इलाज व देखरेख की बात कही. चिकित्सक अखिलेश्वर प्रसाद ने बच्ची की स्वास्थ्य जांच कर गुरुवार को ओपीडी खुलने के बाद जांच कराने की बात कही.
उन्होंने कहा कि मौसम में लगातार परिवर्तन के कारण स्वस्थ लोग भी बीमार पर रहे है. इसी का परिणाम कुछ बच्चों को सर्दी, जुकाम हुआ है. उन्होने कहा कि सभी बच्चों की सतत निगरानी की जा रही है. इस बाबत बालिका गृह की अधीक्षिका कविता चौधरी ने बताया कि सभी बच्चे का पूर्व से इलाज चल रहा है. जिसमें कई बच्ची का पटना मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल से भी इलाज चल रहा है.
सहरसा सहित 15 जिले के बच्चे रहते हैं बालिका गृह में
सदर अस्पताल में इलाजरत बच्ची.
क्या है स्पेशल यूनिट
बालिका गृह में बीते जुलाई माह से सरकार के निर्देश पर दस बेड का स्पेशल युनिट का संचालन किया जा रहा है. जो पूरे बिहार में कुछ ही जिलों में है. जिसमें सहरसा के अलावे आसपास के 15 जिलों खगड़िया, सुपौल, मधेपुरा, पुर्णिया, अररिया, भागलपुर, किशनगंज, कटिहार, मुंगेर सहित अन्य जिलों के 24 बच्चे को संरक्षित कराया गया था. जिसमें एक बच्ची की मौत कुछ दिन पूर्व हो गया था. वही तीन चार बच्ची गंभीर बीमारी से पूर्व से ग्रसित है. जिसका इलाज चल रहा है, लेकिन हालत चिंताजनक है. उन्होने बताया कि इस युनिट में संस्थान के स्पेशल युनिट में वैसे बच्चे को संरक्षित कराया जाता है
जो मानसिक, शारीरिक व अन्य जानलेवा बीमारी व अन्य कारणों से दिव्यांग है. जिन्हें किसी माता पिता ने कही छोड़ दिया हो या बेसहारा हो या लोग उसे मरा समझ फेंक देते है. उस तरह के बच्चे को संस्था के सदस्य, पुलिस व सामाजिक कार्यकर्ता संस्थान में मिलने पर संरक्षित करवाते है. उन्होंने कहा कि इस तरह के बच्चे अक्सर बीमार ही रहते है. जिसे संस्थान के सदस्य इलाज के लिये सहरसा से पटना तक ले जाते है. इसमें कोई लापरवाही नही की जाती है.

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