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फेसबुक-व्हाट्स एप की दीवानी हो गयी कोसी

संचार तकनीक. लोगों को भा रहा प्रयोग अब गली या मैदान में नहीं, युवा फेसबुक-व्हाट्स एप पर खेलते हैं. कैफे में इंतजार नहीं करते, क्योंकि मोबाइल तैयार है. युवा अब 4जी का इंतजार कर रहे हैं. दीपांकर सहरसा : इंटरनेट व मोबाइल की दुनिया खासकर युवाओं के लिये बड़ी सुहानी बनती जा रही है. आवश्यक […]

संचार तकनीक. लोगों को भा रहा प्रयोग
अब गली या मैदान में नहीं, युवा फेसबुक-व्हाट्स एप पर खेलते हैं. कैफे में इंतजार नहीं करते, क्योंकि मोबाइल तैयार है. युवा अब 4जी का इंतजार कर रहे हैं.
दीपांकर
सहरसा : इंटरनेट व मोबाइल की दुनिया खासकर युवाओं के लिये बड़ी सुहानी बनती जा रही है. आवश्यक और निजी कार्यों के बाद या अब तो ऐसे कार्यों को दरकिनार कर युवाओं को दूसरा काम बस व्हाट्स एप व फेसबुक पर आना होता है. कई तो 24 घंटे मोबाइल के जरिये व्हाट्स एप व फेसबुक के दोस्तों के साथ संपर्क में रहते हैं. यह हाल किसी महानगर का नहीं, बल्कि कोसी क्षेत्र का है. यानि कोसी के लोगों के लिये अब इंटरनेट की दुनिया अंजानी नहीं रह गयी.
शहर के लोगों की तो बात छोड़ दें, ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी अब इससे न सिर्फ भली भांति वाकिफ हैं, बल्कि बखूबी प्रयोग भी करने लगे हैं. सलखुआ में कोसी नदी के तटबंध के अंदर अलानी गांव में छात्रों के हाथ में एंड्रायड फोन है और न सिर्फ वे बल्कि उनके घरवाले भी इसका बखूबी उपयोग कर रहे हैं. हालांकि इंटरनेट की दुनिया में फिलहाल कोसी के लोग अगर किसी साइट का सबसे ज्यादा प्रयोग कर रहें हैं तो वह है व्हाट्स एप व फेसबुक. सोशल साइट फेसबुक ने धीरे-धीरे हर वर्ग, उम्र व लोगों के बीच अपनी पैठ बना ली है तो व्हाट्स एप त्वरित मैसेज भेजने व संपर्क में रहने का सबसे बड़ा साधन बन गया है.
सहरसा को संचार की नयी तकनीक व आधुनिकता के मामले में ग्राह्य नहीं कहा जा सकता. बावजूद इसके यहां के लोगों में व्हाट्स एप व फेसबुक से जुड़ने की रफ्तार काफी तेज हो रही है. सहरसा नाम से बने एक ग्रुप में सिर्फ तीस हजार से ज्यादा लोग टैग हैं. ये सिर्फ ऐसे यूजर्स हैं, जिन्होंने होम टाउन के तौर पर सहरसा को पसंद किया है. जबकि इससे कई गुणा लोग ऐसे हैं, जिन्होंने वहां का पता दर्ज कराया, जहां रह कर वह पढ़ाई व काम कर रहें हैं, लेकिन अपनी पसंदीदा जगह के रुप में अपने होम टाउन को ही चुना है. ऐसे लोग स्थानीय लोगों से जुड़ने का सबसे अच्छा माध्यम फेसबुक को ही मानते हैं.
अब फोन कहां, व्हाट्स एप पर ही हो जाती है बात: इस संचार को सुलभ बनाने में सबसे बड़ी भूमिका मोबाइल की है. इसलिए मोबाइल के कद्रदान लगातार बढ़ते जा रहे हैं. सिर्फ सहरसा में हर महीने लगभग एक लाख नये सीम बेचे जा रहे हैं. इनमें अब सर्वाधिक संख्या एंड्रायड मोबाइल के उपभोक्ता की है.
इसी मोबाइल के कारण ही व्हाट्स एप व फेसबुक इतना ज्यादा लोकप्रिय भी हो रहा है. मोबाइल का क्रेज बरकरार है और उसमें इजाफा भी होता जा रहा है. लेकिन फोन से बात करने की अपेक्षा व्हाट्स एप से चैटिंग ज्यादा आसान व कम खर्चीली होती है. प्रतियोगिता के इस दौर में सभी कंपनियां सस्ती लेकिन आधुनिक सुविधाओं से युक्त मोबाइल बाजार में उतार रही हैं. लगभग सभी मोबाइल में व्हाट्स एप व फेसबुक फोन के मेन्यू में ही मौजूद रहता है. युवा उत्साहित हैं. महीने का या रोजाना का इंटरनेट पैक मोबाइल में डाल दिन भर व्हाट्स एप व फेसबुक पर जुटे रहते हैं.
अधिकांश युवा तो सुबह से देर रात तक मोबाइल पर ऑन लाइन रहते हैं. जिस भी साथी ने जब भी बात करनी चाही, चैट कर लिया. मोबाइल कंपनियों ने भी इस मर्म को समझ लिया है, तभी कम कीमत वाली मोबाइल में भी इंटरनेट व अधिकांश में तो व्हाट्स एप व फेसबुक का सॉफ्टवेयर अपलोड ही मिलता है. जिसे युवा वर्ग हाथों हाथ ले रहा है.
पहले अभिभावकों को इस बात का मलाल रहता था कि युवा लड़के घर में ज्यादा नहीं टिकते, लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है. इसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल, उसमें इंटरनेट और उसके साथ व्हाट्स एप व फेसबुक का समझा जा रहा है. हालांकि यह स्थिति भी अभिभावकों को अब परेशान करने लगी है. लेकिन युवाओं को व्हाट्स एप व फेसबुक के मायाजाल ने ऐसा जकड़ा है कि इससे आगे उन्हें कुछ सुझ ही नहीं रहा. अभिनव ग्यारहवीं वर्ग में है. उसके पिता विपीन प्रसाद श्रीवास्तव व गृहिणी माता सीमा देवी परेशान हैं कि उनका बेटा बाहर नहीं निकलता, हर वक्त या तो कंप्यूटर या फिर मोबाइल पर चिपका रहता है. पता चला व्हाट्स एप च फेसबुक पर चैट करता है. चिंतित होती सीमा देवी कहती हैं कि इससे तो बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर फर्क पड़ेगा न.

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