खलनायक नहीं, एक गायक हूं मैं.. तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव का हुआ समापनअंतिम रात पार्श्व गायक विनोद राठौर की गायकी पर फिदा हुए लोगप्रतिनिधि, सहरसानायक नहीं खलनायक हूं मैं.., बाजीगर मैं बाजीगर.., ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं मैंने.., ऐ मेरे हमसफर ऐ मेरी जानेजां.. जैसे एक से बढ़कर एक गाने बुधवार की रात महिषी की फिजांओं में तैर रहे थे. स्वर भी उसी गायक का, जिसने फिल्मों में भी गाने को आवाज दी है. बुधवार की रात तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव की अंतिम रात मशहूर पार्श्व गायक विनोद राठौड़ की गायकी, उनकी आवाज और अदा पर लोग मंत्रमुग्ध हुए जा रहे थे. दर्शकों का प्यार गायक को भी नयी उर्जा दिये जा रहा था. तभी से एक से बढ़कर एक गाने का लुत्फ लोगों ने जमकर उठाया.बुलेट से हुई इंट्रीफिल्मी गायक विनोद राठौर की इंट्री का अंदाज भी पूरी तरह से फिल्मी ढंग से ही हुआ. मुख्य मंच से गायक के मंच पर आने की उद्घोषणा के बाद सभी लोगों की निगाहें मुख्य मंच पर लगी हुई थी. तभी बुलेट चलने की आवाज आयी और साथ ही एक और रौबदार आवाज, जी हां मैं हूं खलनायक. बाहर से बुलेट पर बैठ कर मुख्य मंच की ओर आते लंबे बालों के साथ हैट लगाये विनोद राठौर का यह अंदाज ही लोगों को उनका दीवाना बना गया. डी एरिया में बुलेट पर बैठ कर चक्कर काटने के बाद राठौर दर्शक दीर्घा की ओर बढ़े और अधिकारियों से हाथ मिलाते वहां बैठे बुजुर्गों से आशीर्वाद भी लिया. वहीं गाने का अंत करते राठौड़ ने कहा कि खलनायक नहीं, एक गायक हूं मैं. इसके बाद वह मुख्य मंच की ओर बढ़े, जहां से उन्होंने लोकप्रिय गानों की झड़ी लगा दी. दर्शकों से करते रहे सीधा संवादविनोद राठौर ने अपनी गायकी के क्रम में भी मौजूद श्रोताओं से सीधा संवाद कायम रखा. मंच पर आने के साथ से लेकर अंत तक दर्शकों को खुद से जोड़े रखा. गाने के बीच-बीच में लोगों से बातें करना, लोगों को साथ में गाने के लिए प्रेरित करना सभी को उत्साहित कर रहा था. आयोजन के लिए जिला प्रशासन का धन्यवाद करते राठौर ने कहा कि डीएम साहब से एक आग्रह है कि अगर गानों पर लोग डांस करना चाहें तो उन्हें रोकें नहीं, मैं हैंडल कर लूंगा. इसके बाद तो उनके गाने चलते रहे और दर्शक दीर्घा में बैठे युवा उनके गानों पर थिरकते रहे. राठौड़ ने मुन्ना भाई एमबीबीएस, छुपाना भी नहीं आता, बताना भी नहीं आता, कोई न कोई चाहिए, प्यार करने वाला, मैं तो हूं पागल मूंडा, तू है मेरी सोनी कुड़ी सहित नीले नीले अंबर पर चांद जब आये, बचना ए हसीनों जैसे गाने गाकर लोगों की खूब तालियां बटोरी.शालिनी और सनाया ने भी दिखाया जौहरमुंबई से आयी गायिका शालिनी ने भी अपना जौहर दिखाया. शालिनी ने युवाओं की पसंद का ध्यान रखते नये गाने गाये. अपनी विशेष आवाज और विशेष गायिकी के लिए लोगों से उसने खूब तालियां बटोरी. न जाने कोई, कैसी है ये जिंदगानी सहित कई गीत प्रस्तुत किये. इधर मुंबई की ही सनाया ने उद्घोषक की भूमिका में महोत्सव में चार चांद लगा दिये. अपनी चुलबुली आवाज, भाषा की शुद्धता, गजल, कविता और चुटकुले से उसने मंच को गुलजार रखा. ————एसडीओ बने गायक, बटोरी प्रशंसाएसडीओ की गायिकी प्रतिभा से रूबरू हुए लोगमहिषी. उग्रतारा महोत्सव के समापन के समय जिले के लोगों को एक अधिकारी की गायिकी प्रतिभा से भी रूबरू होने का मौका मिला. सदर एसडीओ जहांगीर आलम बुधवार की रात गायक की भूमिका में नजर आये. किशोर कुमार का बाना मेरे महबूब कयामत होगी और कोई नहीं मेरा गाकर सदर एसडीओ ने खूब तालियां बटोरी. वरीय अधिकारी सहित वहां मौजूद दर्शक उम्र के उंचे पड़ाव व प्रशासनिक जिम्मेवारियों की पूर्ति में व्यस्त होने के बाद भी मधुर स्वर में गायिकी के सुन हतप्रभ थे. सभी ने मुक्तकंठ से एसडीओ की प्रशंसा करते उसे बहुआयामी करार दिया. कार्यक्रम के अंत में एडीएम ने एसडीओ को मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया. इस मौके पर आयुक्त टी एम बिंधेश्वरी, डीआइजी नागेंद्र प्रसाद सिंह, डीएम विनोद सिंह गुंजियाल, एसपी विनोद कुमार, न्यास बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रमील कुमार मिश्र, सचिव नारायण चौधरी, बीडीओ डॉ अमित कुमार, सीओ रमण कुमार वर्मा, थानाध्यक्ष श्रीकांत प्रसाद सिन्हा सहित अन्य मौजूद थे. ————–नये परिंदों को उड़ने में वक्त तो लगता है..सहरसा की बेटी ने उग्रतारा महोत्सव में छोड़ी अपनी अमिट छापतीनों दिन प्रस्तुत किया कार्यक्रम, लोगों ने की काफी सराहनालोकप्रियता की सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगी है कृतिका गौतमप्रतिनिधि, सहरसाकोसी क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को बचाने, बढ़ाने और आगे ले जाने में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, यह तय है. ऐसे में जब कोई युवा कुछ ऐसा करता दिखता है तो क्षेत्र के लोगों को उस पर गर्व होता है. शहर के नया बाजार की रहने वाली कृतिका गौतम एक ऐसी ही युवा है. जिसने गायकी के क्षेत्र में कम उम्र से ही अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी. आज जबकि उस उम्र सिर्फ 22 वर्ष है, फिर भी वह किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उग्रतारा महोत्सव के तीनों दिनों के कार्यक्रम में कृतिका की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही. उद्घाटन के समय स्वागत कार्यक्रम से लेकर समापन के सांस्कृतिक कार्यक्रम तक उसने महोत्सव में अपनी अमिट छोड़ी. लेकिन कृतिका सिर्फ गायकी की नहीं बल्कि नृत्य में भी धुरंधर है. उसने कत्थक में नेशनल अवार्ड जीता है तो गायकी में वर्ष 2004 से अब तक कला संस्कृति विभाग, संगीत नाटक अकादमी विभाग सहित अन्य क्षेत्रों से कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है. नया बाजार के रहने वाले तबला वादक प्रो गौतम सिंह व शास्त्रीय गायिका भारती झा की दूसरी बेटी कृतिका पटना, दरभंगा के अलावा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, इलाहाबाद, बनारस जैसी जगहों पर भी अपनी गायिकी व कत्थक का जलवा बिखेर चुकी है. इतना ही नहीं छोटी-छोटी बच्चियों को वह कत्थक और गायिकी की बारीकियां भी बताती है. क्षेत्र के लोगों को है गर्वअपनी बहुआयामी प्रतिभा से अपनी खास पहचान बना चुकी कृतिका की प्रतिभा पर सभी को गर्व है. उग्रतारा महोत्सव के तीनों दिन के कार्यक्रम में कृतिका की मौजूदगी उसकी प्रतिभा बता रही थी. स्वागत गीत के साथ कृतिका ने ही कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इसके बाद विशुद्ध गंवई शैली के नृत्य को भी उसने अपनी आवाज दी. दूसरे दिन रात में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी उसने अपना जलवा बिखेरा. जबकि समापन की रात भी विनोद राठौर से पहले उसकी प्रस्तुति हुई. जिसकी गायिकी की प्रशंसा खुद विनोद राठौर ने की. अपने कार्यक्रम का अंत करते कृतिका ने जगजीत सिंह का गाना प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है, नये परिंदों को उड़ने में वक्त तो लगता है, से की. लेकिन मौजूद लोगों का कहना था कि इस नये परिंदों को उड़ने में वक्त नहीं लगेगा.
खलनायक नहीं, एक गायक हूं मैं..
खलनायक नहीं, एक गायक हूं मैं.. तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव का हुआ समापनअंतिम रात पार्श्व गायक विनोद राठौर की गायकी पर फिदा हुए लोगप्रतिनिधि, सहरसानायक नहीं खलनायक हूं मैं.., बाजीगर मैं बाजीगर.., ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं मैंने.., ऐ मेरे हमसफर ऐ मेरी जानेजां.. जैसे एक से बढ़कर एक गाने बुधवार की रात महिषी की […]
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