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बजबजाते व बंद नाले बताते हैं व्यवस्था की हकीकत

सहरसा : मुख्यालयबरसात के दिनों में सभी मुख्य सड़क व नाले में फर्क मिट ही जाता है. सड़क व नालों के उपर से पानी एक समान बहता रहता है. उस समय इसी गंदे पानी में चलने अथवा पार होने की मजबूरी बनी होती है. तब नगर परिषद इसे प्रकृति प्रदत्त समस्या बताता है. लेकिन इसके […]

सहरसा : मुख्यालयबरसात के दिनों में सभी मुख्य सड़क व नाले में फर्क मिट ही जाता है. सड़क व नालों के उपर से पानी एक समान बहता रहता है. उस समय इसी गंदे पानी में चलने अथवा पार होने की मजबूरी बनी होती है. तब नगर परिषद इसे प्रकृति प्रदत्त समस्या बताता है.

लेकिन इसके बाद और पहले भी इन नालों की दशा तो दयनीय ही बनी रहती है. गाद से भरे रहने के कारण ये नाले पानी को आगे का रास्ता नहीं दिखा पाते हैं. लिहाजा सूखे दिनों में भी नाले के ये पानी बाहर सड़कों पर निकल बजबजाते रहते हैं. इस स्थिति के संबंध में पूछने पर उनका जबाव होता है कि नियमित रूप से नालों की सफाई करायी जाती है.

शहर के प्रमुख इलाकों के नालों की स्थिति देख यही प्रमाणित होता है कि नगर परिषद खुले नालों के उपर से पॉलिथिन, कचरा आदि निकल लेता है. अंदर के गाद को बाहर निकाल नालों को फ्री करने में उसकी दिलचस्पी नहीं होती है. जिस इलाके के नालों पर ढ़क्कन चढ़ा है. उधर तो छठे-छमासे भी कुदाल नहीं डाली जाती है. लिहाजा सालों भर शहर बजबजाते व बंद पड़े नालों से जूझता रहता है. रमेश झा रोड : कनेक्टर प्वाईंट है जामगंगजला के रमेश झा रोड में सड़क के दोनों ओर नाले बने हैं.

काफी जगहों पर ढ़क्कन भी डाले हुए हैं. वे नाले गाद और कचरों से भरे हुए हैं. लेकिन उनकी कभी सफाई नहीं होती है. लिहाजा गंदे पानी का छलक कर बाहर आना लगा रहता है. पूरब और पश्चिम की ओर से आने वाले नाले को नि:शक्त कार्यालय के आगे बने नाले से जोड़ दिया गया है. यहां कनेक्टर मुहाना ही कचरों से जाम है. यही नाला सभी पानी को बस स्टैंड के पीछे से रेल लाइन के किनारे खाली स्थान में गिराता था. कनेक्टर प्वाईंट के जाम रहने से नालों का पानी रमेश झा रोड में ही घुमड़ता रह जाता है.

रमेश झा रोड में बहाव का मुहाना ही है जाम डीबी रोड : मिट्टी व कचरों से भराशहर के प्रमुख व्यवसायिक बाजार डीबी रोड में सड़क के दोनों ओर नाला बना हुआ है. पूरब में आयुर्वेद कैंपस गेट से तो पश्चिम में गौतम मेडिकल के सामने से शुरू है.

इन दोनों नालों से इस इलाके के सभी गलियों से निकले नाले जुड़े हुए हैं. डीबी रोड के दोनों ओर के नाले को अनुराग गली के नाले से जोड़ कर पानी को गांधी पथ में गिराया गया है. लेकिन स्थिति यह है कि नलों में कहीं भी बहता पानी नहीं दिखता है. पूरा नाला मिट्टी, पॉलिथीन व कचरों से स्थायी रूप से बंद मालूम पड़ता है.

जगह-जगह नालों के ढ़क्कनों के बीच से बजबजाते बदबूदार पानी बाहर निकलते अवश्य दिख जाते हैं. अमित इंटरप्राइजेज के आगे नाला पूरी तरह सूखा हुआ है तो आगे जनता पुस्तक भंडार के आगे नाले से पानी बाहर फेंक रहा है.अमित इंटरप्राइजेज के आगे सूखा नालाफोटो- नाला 3- जनता पुस्तक के आगे नाले से बाहर निकलता पानीगांधी पथ : पुल पार करते हैं लोगगांधी पथ में भी सड़क के दोनों ओर नाला बना हुआ है.

पश्चिम में अनिरुद्ध प्रसाद गुप्ता के घर के सामने से शुरू है तो पूरब में जयनारायण साह के घर से. यह नाला आगे गांधी चौक तक जाता है. लेकिन सफाई नहीं किए जाने के कारण यह यहां के लोगों को सुविधा देने की बजाय सिर्फ परेशानी ही दे रहा है. दोनों ओर के नाले गाद से पूरी तरह भरे हैं.

यहां दुकान व आवासों में जाने के लिए लोगों को स्थायी रूप से ‘पुल’ बनाना पड़ा है. इस नालों को भी बीच में बजरंग बली मंदिर के पास बड़े नाले में जोड़ पानी को एबीएन हॉल के पीछे खाली स्थान में गिराया जाता है. लेकिन यहां भी मुहाना कई महीने से जाम है. लिहाजा पानी को आगे का रास्ता नहीं मिल पाता है.मंगल साह की दुकान में जाने के लिए बना है मंदिर के पास नाले का मुहाना है जाम

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