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मॉडल स्कूल भवन के नर्मिाण में गुणवत्ता के साथ हो रहा खिलवाड़

मॉडल स्कूल भवन के निर्माण में गुणवत्ता के साथ हो रहा खिलवाड़ फोटो-08, 09कैप्सन- छत से झलक रहा सरिया व निर्माण स्थल पर लगा बोर्ड मुख्यालय स्थित सुरपत सिंह उच्च विद्यालय परिसर में निर्माणाधीन मॉडल स्कूल भवन निर्माण में संवेदक द्वारा गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.जिसका खामियाजा भविष्य में छात्रों को भुगतना […]

मॉडल स्कूल भवन के निर्माण में गुणवत्ता के साथ हो रहा खिलवाड़ फोटो-08, 09कैप्सन- छत से झलक रहा सरिया व निर्माण स्थल पर लगा बोर्ड मुख्यालय स्थित सुरपत सिंह उच्च विद्यालय परिसर में निर्माणाधीन मॉडल स्कूल भवन निर्माण में संवेदक द्वारा गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.जिसका खामियाजा भविष्य में छात्रों को भुगतना पड़ सकता है. कार्य एजेंसी डेल्को इंफ्रास्ट्रक्चर पर इस मॉडल स्कूल के भवन निर्माण की जिम्मेवारी है.लेकिन कंपनी द्वारा पेटी कांट्रेक्टर स्वाभिमांता को इस कार्य का जिम्मा सौंपा गया है.जिसके द्वारा आनन फानन कार्य को अंजाम दिया जा रहा है. बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास लिमिटेड के द्वारा दो करोड़ 80 लाख,10 हजार 349 रुपये की लागत से तीन मंजिला मॉडल स्कूल भवन का निर्माण प्रगति पर है. निर्माण कार्य प्रारंभिक चरण में ही विवादों से घिरा रहा और शिकायत के बाद कार्रवाई भी हुई, लेकिन कार्रवाई के बाद भी निर्माण कार्य में जुटी एजेंसी द्वारा गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है.अब लिंटर व ऊपरी बीम ढलाई सहित छत की ढ़लाई में लापरवाही का नमूना सामने आया है.स्थिति यह है कि छत व बीम का सरिया अभी से ही बाहर निकल आया है. वहीं कई स्थानों पर बीम क्रेक हो रहा है जिस पर लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है. तीन मंजिले इस इमारत के छत ढलाई में आठ एमएम के सरिया का प्रयोग किया गया है और ढलाई के बाद नए छत के अधिकांश हिस्से में मरम्मति की गयी है. इससे स्पष्ट है कि निर्माण कंपनी निर्माण की गुणवत्ता को लेकर गंभीर नहीं है और आनन फानन में कार्य का निष्पादन किया जा रहा है. प्रशासनिक पहल पर निर्माण कार्य की देखरेख के लिए स्थानीय स्तर पर सात सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया गया था. जिसमें सदस्य केशव कुमार गुड्डू , किशोर कुमार मुन्ना , चंद्रदेव पासवान, अर्जुन साह ने बताया कि उनलोगों ने प्रशासनिक स्तर पर कार्य की निगरानी नहीं किये जाने के कारण निर्माण स्थल पर जाना ही छोड़ दिया है. बताया कि निर्माण के आरंभ काल से अभी तक कहने के बावजूद निर्मित हिस्सों में पानी तक का प्रयोग नहीं किया गया और ना ही ढ़लाई के दौरान कंपन मशीन का ही उपयोग किया गया.

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