अगर समय पर रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कटाव बढ़ सकता है. ट्रैक के पश्चिम करीब 15 मीटर की दूरी पर कटाव हो रहा है. इधर पटरी के निकट किए गये बोल्डर क्रेट पर भी पानी चढ़ने लगा है. हालांकि रेलवे के अधिकारी इसे कोसी की सामान्य लीला मान कहते हैं कि ट्रैक पूरी तरह सुरक्षित है. रेलवे पूरी तरह नजर बनाये हुए है. रेलगाड़ियों के परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ने दिया जायेगा. युद्ध स्तर पर बचाव कार्य शीघ्र शुरू नहीं किया गया तो कोसी इलाके का रेल संपर्क राजधानी से पूरी तरह से कट जायेगा.
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लगातार बारिश से बढ़ा नदी का जलस्तर
सिमरी नगर: शुक्रवार से दो दिनों तक लगातार हुई बारिश से कोसी के जल स्तर में वृद्धि हुई और नदी ने कटाव की लीला दिखानी शुरू कर दी है, जबकि अभी आधे आषाढ़, सावन व भादो की बारिश बाकी है. हर साल की तरह इस बार भी इलाके का लाइफ लाइन समङो जाने वाले सहरसा-मानसी […]
सिमरी नगर: शुक्रवार से दो दिनों तक लगातार हुई बारिश से कोसी के जल स्तर में वृद्धि हुई और नदी ने कटाव की लीला दिखानी शुरू कर दी है, जबकि अभी आधे आषाढ़, सावन व भादो की बारिश बाकी है. हर साल की तरह इस बार भी इलाके का लाइफ लाइन समङो जाने वाले सहरसा-मानसी रेलखंड के फनगो हल्ट के समीप कोसी का कहर शुरू हो चुका है. नदी के जलस्तर मे वृद्घि व बचाव कार्य नगण्य होने से रेलवे ट्रैक पर पानी का दबाव बढ़ने की संभावना बढ़ गयी है.
नहीं हो रहा बचाव कार्य
फनगो और कोपरिया स्टेशनों के बीच कटाव सबसे अधिक और तेजी से हो रहा है. इन दोनों स्टेशनों के बीच कई ऐसे स्थान हैं जहां अब तक न तो बोल्डर गिराये गये हैं और न ही कटाव रोकने के कोई अन्य उपाय ही किये जा रहे हैं. नदी का जलस्तर पिछले दस दिनों से ही लगातार बढ़ रहा है. इधर दो दिनों की बारिस से कोसी का कटाव इतना अधिक है कि पूर्व में किया गया बोल्डर क्रेटिंग भी पांच से सात मीटर तक नदी की भेंट चढ़ चुका है. लगातार बारिस, नदी का तेज बहाव व तेज गति में हो रहे कटाव के बावजूद अब तक बचाव कार्य में मजदूर नहीं लगाये गए हैं. जिससे रेलयात्री सहित क्षेत्र के अन्य लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है.
गंभीर नहीं होता है रेलवे
कोसी नदी हर साल इस रेल ट्रैक पर अपना तांडव दिखाती है. नदी के काफी करीब आ जाने के बाद ट्रैक को बचाने के लिए बोल्डर गिराने का काम शुरू होता है. तब यहां गुजरने वाली रेलगाड़ियों की गति धीमी कर दी जाती है. बचाव कार्य के लिए कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ता है तो कुछ रेलगाड़ियों को मानसी तक ही सीमित रखा जाता है. अंतिम समय में रेलवे द्वारा बचाव कार्य के लिए बोल्डर गिराने की बात को यात्री सहित अन्य राशि का वारा-न्यारा करना ही बताते है. हर साल करोड़ों की राशि कोसी में डुबाने से बचाने के लिए यहां गाइड बांध अथवा पायलट चैनल बनाने की भी योजना थी. लेकिन किसी भी स्थायी योजना पर रेलवे गंभीर नहीं हो रहा है. नतीजतन साल दर साल कटाव करते कोसी अपना क्षेत्र विस्तार करती जा रही है.
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