सरकार द्वारा रबी फसल की बरबादी के बाद किसानों की भरपाई के लिए खरीफ फसल की योजना को लेकर पूर्व से ही किसानों के प्रति कृषि विभाग अपनी सजगता बनाये हुए हैं. लेकिन इन सब तैयारियों के बीच इस वर्ष आसमान में बादल की कमी व वर्षा नहीं होने के कारण किसान धान की खेती को लेकर मुसीबत में हैं. विभाग द्वारा जिले में इस वर्ष 65 हजार हेक्टेयर धान की खेती के पैदावार का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए जून के आखिरी तक मात्र 20 प्रतिशत धान रोपनी के लिए बिचड़ा खेतों में गिर पाया है. इस तरह लक्ष्य की पूर्ति को लेकर विभाग सहित किसानों में वर्षा नहीं होने के कारण संशय बना हुआ है. पिछले वर्ष मई-जून में खेती व बिचड़ा गिराने के लिए जहां अच्छी बारिश हुई थी, वहीं इस वर्ष अब तक क्षेत्र में मात्र 12 मिलीमीटर वर्षा ही हो पायी है. खरीफ फसल खेती की तैयारी को लेकर पूछे गये सवाल पर जिला कृषि पदाधिकारी उमेश मंडल ने कहा कि जिस अनुपात में अब तक वर्षा रिकार्ड किया गया है. इसे दिखते हुए निश्चित रूप से किसानों में धान की खेती को लेकर संशय कायम है. लेकिन उन्होंने किसानों में उम्मीद जगाते हुए कहा कि अभी भी धान का बिचड़ा गिराने व उसके रोपनी के लिए पर्याप्त समय बचा हुआ है. यदि समय रहते खेती के योग्य वर्षा हुई तो जिले के लक्ष्य को हर हाल में पूरा किया जा सकता है.
धान की खेती के लिए उनके विभाग द्वारा किसानों के लिए हर प्रकार का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. सुगंधित धान से लेकर जलजमाव वाले क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली बीज उपलब्ध है. वर्षा के कम अनुपात को देखते हुए उन्होंने खरीफ फसल के तौर पर किसानों को ऊंची जमीन पर मक्का व दलहन के लिए अरहर की खेती को लाभदायक बताया.