* साहनी देवी, डॉ संतोष भगत के हत्यारों तक नहीं पहुंच सकी पुलिस
* परिजनों का अब भी है पुलिसिया कार्रवाई का इंतजार
सहरसा : बीते साल भर की बात करें तो स्पीडी ट्रायल के जरिये अपराधियों को सजा दिलाने में सहरसा पुलिस तत्पर दिखी है, लेकिन हत्या जैसे संगीन मामलों का उदभेदन करने में फिसड्डी साबित हुई है.
पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए मृतक के परिजनों सहित राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों द्वारा कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया गया है. इसके बावजूद अब तक इन मामलों में पुलिस मुंह खोलने से परहेज कर रही है. साल भर बीत जाने के बाद भी लोगों को हत्या जैसे संगीन मामलों में न्याय का इंतजार है.
दूसरी तरफ उक्त कांडों में संलिप्त कई संभावित आरोपी खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं. वहीं राजनीतिक दल व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा साल में कभी–कभी आवाज बुलंद कर कर्तव्य की पूर्ति कर ली जाती है, जबकि इन कांडों में पुलिस को निष्पक्षता के साथ अनुसंधान करने की आवश्यकता है, जो फिलहाल किसी भी दृष्टिकोण से नजर नहीं आ रही है.
* संतोष को नहीं मिला इंसाफ
डॉक्टर संतोष भगत को 21 मई 2012 को अगवा किया गया था. परिजनों द्वारा थाना में दिये गये सूचना के बाद पुलिस ने सहरसा–खगड़िया रेलखंड के समीप से क्षत–विक्षत रूप में 23 मई को शव बरामद किया था. उसके बाद परिजनों द्वारा भी शव की शिनाख्त की गयी थी.
उस वक्त परिजनों द्वारा पुलिस को हत्याकांड से जुड़ी कुछ बातें भी बतायी थी, जिसमें स्थानीय निवासी व मधेपुरा में कार्यरत एक पर्यवेक्षिका से प्रगाढ़ता की बात भी छन कर निकली थी. कुछ लोगों द्वारा हत्याकांड से पूर्व दोनों को साथ देखे जाने की बात भी बतायी गयी थी. लेकिन इतनी जानकारी होने के बाद भी पुलिस उस महिला से पूछताछ क्यों नहीं कर सकी. शायद उसके परिजनों पर शिकंजा कसा जाने से मामले का खुलासा हो सकता था.
* साहनी की संपत्ति का हुआ बंदरबांट
शहर के बनगांव रोड स्थित अपने घर में व्यवसायी साहनी देवी की गला दबा कर हत्या कर दी गयी थी. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस द्वारा सभी बिंदुओं पर तफ्तीश भी की गयी थी. उस वक्त पुलिस भी हत्या को गंभीरता से ले रही थी. लेकिन व्यवसायी महिला का शहर में कोई सगा संबंधी नहीं होने के कारण पुलिस भी फाइल को अनसुलझा बना आराम फरमा रही है.