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न विधायक जी पैदल, न सांसद बिना सफारी मर जाये जनता करके हवाई चप्पल की सवारी

सहरसा : मधेपुरा लोकसभा चुनाव के मतदान को अब मात्र 13 दिन शेष रह गये हैं. मतदान से ठीक पूर्व चैत महीने में बेमौसम हुई बारिश ने यहां सरकारी व प्रशासनिक स्तर से हुए कार्यों की कलई उतार दी है. लोग बस यही की रहे हैं कि प्रकृति भी यहां के प्रत्याशियों को शहर की […]

सहरसा : मधेपुरा लोकसभा चुनाव के मतदान को अब मात्र 13 दिन शेष रह गये हैं. मतदान से ठीक पूर्व चैत महीने में बेमौसम हुई बारिश ने यहां सरकारी व प्रशासनिक स्तर से हुए कार्यों की कलई उतार दी है. लोग बस यही की रहे हैं कि प्रकृति भी यहां के प्रत्याशियों को शहर की दुर्दशा और उनके किये कार्यों का लेखा-जोखा दिखा रही है.

शहर के हर मुहल्ले के लोग इच्छा जता रहे हैं कि काश! लोकसभा के प्रत्याशी अभी वोट मांगने सड़कों पर उतरते. शहर के बटराहा मुहल्ले की अधिकतर पक्की सड़क जलमग्न है. बेमौसम से सड़कों पर एक फीट तक पानी लग गया है. पानी निकासी को न तो नाले हैं और न ही कहीं बहाव के लिए जगह ही. मुहल्ले के प्रकाश चंद्र मनोज ने अपने काव्यात्मक लहजे में कहा कि ‘न विधायक जी पैदल, न सांसद बिना सफारी, मर जाये जनता करके हवाई चप्पल की सवारी’.

एनएच 107 दिखा रहा है आईना : लोकसभा चुनाव में सभी तरह का ब्रह्मास्त्र चलाकर अपने लिए वोट मांगने वाले लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके इस बार के प्रत्याशियों को आईना दिखाने के लिए शहर से गुजरने वाली नेशनल हाइवे 107 ही काफी है. खगड़िया जिले से सहरसा होते हुए मधेपुरा और पूर्णिया को जोड़ने वाली एनएच 107 पिछले चार वर्षों से गड्ढ़े में तब्दील है. लेकिन राष्ट्रीय उच्चपथ को इस दशा से उबारने वाला कोई नहीं हुआ. किसी जनप्रतिनिधि ने इसे सुगम्य बनाने तक का प्रयास नहीं किया.
लिहाजा इस नेशनल हाइवे पर साइकिल, रिक्शा, इ-रिक्शा, कार, जीप, ट्रेक्टर, बस, ट्रक दुर्घटनाग्रस्त होती रही. लोग चोटिल हो अस्पताल पहुंचते रहे. लेकिन बावजूद सड़क की मरम्मती नहीं करायी जा सकी. मंगलवार व बुधवार को हुई बारिश में एनएच 107 की तस्वीर एक बार फिर उभर कर सामने आ गई. नेशनल हाइवे के नाम पर कहीं भी सड़क नहीं है. सिर्फ गड्ढ़े ही गड्ढ़े हैं. लोग बचते-बचाते निकलने का प्रयास करते हैं. हर लोगों के मुंह से बस एक ही बात निकलती है कि इसके लिए जिम्मेवार को सामने आकर जबाव देना चाहिए.
जनजीवन प्रभावित, नरक में तब्दील हुआ शहर
सहरसा : बेमौसम हुई बारिश में जहां किसानों की कमर तोड़ दी है वहीं शहरी जीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है. चार दिनों से रुक रुक कर हो रही बारिश से पूरे शहर में जलजमाव की स्थिति विकराल बन गयी है. गली, मुहल्लों सहित शहर की सभी मुख्य सडकें जल जमाव के कारण जानलेवा बन गया है.
जबकि किसानों के उपजे गेहूं घरों तक नहीं पहुंच सके हैं. बरसात के साथ-साथ ओलावृष्टि ने गेहूं की फसल के साथ आम एवं लीची जैसे महत्वपूर्ण फलों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. किसानों के गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी है.
आने वाले मूंग की फसल पर भी इस वर्षा का काफी बुरा असर दिखने लगा है. खेत अधिक गीले होने के कारण मूंग की बुवाई संभव नहीं हो पा रही है. गेहूं की फसल कटाई के बगैर खेतों में ही आंधी, बारिश एवं ओले से बर्बाद हो चुके हैं. सोमवार की देर रात्रि मूसलाधार वारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों को काफी क्षति हुई है. साथ ही उनके अरमानों पर ग्रहण लग गया है.
जबकि इससे कुछ दिन पूर्व भी जिले में हुई ओलावृष्टि एवं वर्षा से गेहूं की फसल सहित आम एवं लीची को बड़ा नुकसान पहुंचा था. वहीं शहर के मुख्य सड़क से लेकर गली मोहल्लों में जलजमाव के कारण लोगों को घरों से निकलना कठिन हो गया है. क्षतिग्रस्त मुख्य सड़कों पर पानी लगने से दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी है. लोग घर पहुंचने के बदले अस्पताल पहुंच रहे हैं.
आगामी 13 व 14 को भी वर्षा की है संभावना : अगवानपुर कृषि महाविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक संतोष कुमार ने बताया कि प्री मानसून की वजह से वर्षा हुई है. जो जिले के सभी क्षेत्रों में हुई है. वर्षा के साथ ओलावृष्टि से फसलों को क्षति हुई है. उन्होंने बताया कि 13 एवं 14 अप्रैल को एक बार फिर वर्षा व ओले पडने की संभावना है. इसके बाद मौसम साफ रहेगा. वहीं जिला कृषि पदाधिकारी सुरेश प्रसाद सिंह व परामर्शी डा मनोज सिंह ने बताया कि प्री मॉनसून के कारण हुई मूसलाधार वर्षा एवं ओलावृष्टि से किसानों को काफी क्षति हुई है.
उन्होंने बताया कि जिले में ओलावृष्टि एवं वर्षा से होने वाली गेहूं की फसल के क्षति का आकलन का निर्देश दिया गया है. जल्द ही क्षति का आकलन करते हुए विभाग को जानकारी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस वर्षा से कि गेहूं को बड़े नुकसान होने की संभावना है. जबकि मूंग की फसल का समय अभी शुरुआती दौर में है. जिससे मूंग की फसल को बडा नुकसान नहीं हुआ है.
शहर में जलजमाव से हो रही परेशानी: शहर के सभी मुख्य चौक चौराहे पर जलजमाव होने से शहरवासियों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. शहर की लगभग सभी मुख्य सड़कें पूरी तरह क्षतिग्रस्त है. इन क्षतिग्रस्त गड्ढों में जलजमाव होने से दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी है. लोगों का घरों से निकलना कठिन हो गया है. खासकर महिलाओं की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है.
शहर के प्रशांत मोड़, तिवारी टोला, हटिया गाछी ढाला, कोशी चौक, चांदनी चौक, रिफ्यूजी कॉलोनी, नया बाजार सहित अन्य जगहों पर सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढों में जलजमाव होने से सुरक्षित घर तक पहुंचने कठिन हो गया है. मोहल्लों की हालत भी वर्षा के कारण काफी खराब है. सभी घरों के आगे जलजमाव होने से मोहल्लेवासियों को घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है.
रेवती नक्षत्र ने शहर को डुबोया, सहरसा पानी-पानी
सहरसा. मंगलवार की रात और बुधवार को हुई घनघोर बारिश से पूरा शहर जैसे जलमग्न ही हो गया. हर बाजार, हर मुहल्ले की सड़क पर जलजमाव हो गया. सरकार और नगर की सुव्यवस्था के लिए उत्तरदायी सरकारी संस्थाओं की पोल खुल सी गई. कई मुहल्लों में तो अभी ही लोगों का घर से निकलना बंद हो गया. वे घर में कैद होकर रह गये हैं. जो घर से बाहर निकल सकते हैं, उनका भी चलना दूभर हो गया है.
न्यू कॉलोनी, गांधी पथ, नया बाजार, सराही, रिफ्यूजी कॉलोनी, बटराहा, कायस्थ टोला, विद्यापति नगर, गंगजला, गौतम नगर, कोसी चौक सहित लगभग सभी मुहल्लों की सड़कें जलमग्न हैं. आश्चर्य तो यह है कि जलमग्न होने के बाद भी नगर परिषद जलनिकासी के लिए न तो नाले की ही सफाई कर रही है और न ही कच्चे नाले ही खुदवा रही है.
अश्विनी नक्षत्र में भी बारिश की संभावना: पं सुप्रसन्न मिश्र ने कहा कि छह से 13 नवंबर तक रेवती नक्षत्र का योग है. इसमें मेघ व ताप दोनों की संभावना है. झंझावात व उपलपात का योग दृष्टिगोचर हो रहा है. नक्षत्र के अनुसार ही मंगलवार व बुधवार को बारिश हुई. दो-तीन दिनों और आसमान में बादल छाये रहने, बारिश के होने व बर्फबारी की संभावनाएं हैं.
पं मिश्र ने कहा कि 14 अप्रैल से अश्विनी नक्षत्र का आगमन होगा. अश्विनी में भी वर्षापात व बर्फबारी की संभावनाएं हैं. यदि एक दिन कुछ घंटे हुए बारिश में शहर की ऐसी दुर्दशा हो सकती है तो लगातार बारिश में क्या दशा होगी. इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
जबकि बारिश का मूल समय जुलाई-अगस्त अभी बहुत दूर है. यदि सावन-भादो में भी इसी तरह बारिश हुई तो शहर के हालात 2016 की तरह हो जायेंगे. हर मुहल्ला-हर शहर जलमग्न नजर आयेगा. कई मुहल्लों में नाव चलाने होंगे तो जगह-जगी पंपसेट से पानी निकालते दृश्य सामने होंगे. बेमौसम हुई बारिश बार-बार सरकार और प्रशासन को जलनिकासी की व्यवस्था करने की ओर इशारा कर रही है. लेकिन इनके कानों पर जूं भी नहीं रेंग रहा.
पंपसेट लगा कर लोग निकालते रहे वर्षा का पानी
सोनबर्षाराज : बारिश ने किसानों के साथ आमजनों को भी त्रस्त कर दिया है. मंगलवार की अहले सुबह व दोपहर हुई बारिश ने सोनवर्षाराज बाजार सहित मोहल्लों में भी पैदल आवागमन को प्रभावित कर दिया है. सोनबर्षाराज हटिया रोड, मुख्य बाजार, जयप्रकाश चौक, राममनोहर लोहिया द्वार सहित हॉस्पिटल रोड मनौरी की सड़कों पर एक से दो फीट जलजमाव व कीचड़ ने लोगों के आवागमन को बदतर कर दिया.
घर से निकल रोजमर्रा के कार्यों के लिए राहगीर सहित आम लोगो कीचड़ से सने सड़क या फिर सड़को पर भरे नाली के गंदे पानी से गुजरना उनकी मजबूरी हो गई है. मनोरी में सड़कों पर जमा पानी को लेकर आमजन अपने स्तर से पम्प सेट लगा पानी को निकाल सुलभ राह बनाने में लगे थे.
जबकि सोनवर्षाराज मुख्य बाजार स्थित हटिया रोड में सड़क किनारे बने नाले पर दुकानदारों के अतिक्रमण की वजह से नाले का गंदा पानी घुटनों भर आ गया है. ऐसे में इस रास्ते से गुजरना लोगों के किसी नारकीय स्थिति को झेलने से कम नहीं है. यही नहीं, सोनवर्षा स्थित पंचायत भवन में बारिश का पानी भर जाने से भवन में संचालित नव प्राथमिक विद्यालय चबियारी मे बच्चों का पठन पाठन भी ठप हो गया.
मक्के की फसल को हुई भारी क्षति
पतरघट : मौसम में अचानक हुए बदलाव से इधर कुछ दिनों के अंदर रुक-रुककर हो रही आंधी पत्थर एवं भारी बारिश के कारण गेहूं मक्का की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. जिससे किसानों के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. जबकि सड़कों पर जलजमाव से लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मंगलवार की सुबह हुई तेज आंधी एवं बारिश के कारण सबसे बुरी स्थिति ओपी परिसर एवं प्रखंड कार्यालय की हो गयी.
जहां कार्यालय के मुख्य द्वार सहित पूरे परिसर में जलजमाव हो गया. सबसे हैरानी की बात यह है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटा प्रशासनिक अमला परिसर की बदहाली से अंजान बना हुआ है. जलजमाव के कारण पुलिसकर्मियों के अलावे प्रखंड तथा अंचल आने जाने वाले लोगो को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों की क्या स्थिति होगी. लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी सुधि लेने की फुर्सत नहीं है.
एक से ढेढ़ इंच के थे बर्फ: सिमरी बख्तियारपुर. अनुमंडल के सिमरी बख्तियारपुर एवं सलखुआ प्रखंडों में बारिश के साथ भारी मात्रा में ओलावृष्टि हुई. ओलावृष्टि से घोघसम, बेलवाड़ा, फेनसाहा और चिरैया में किसानों को भारी क्षति हुई है. बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से गेहूं, आम, मसूर, अरहर, प्याज की खेती करनेवाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
मंगलवार की सुबह से शुरू हुई बारिश के दौरान 11 बजे बारिश के साथ ओले भी गिरने लगे. एक से डेढ़ इंच के बड़े-बड़े ओले गिरने से रबी की फसलों को नुकसान हुआ है. वहीं, बारिश से तापमान में गिरावट आने से लोगों को गर्मी से निजात मिली है. बारिश के कारण गेहूं की कटनी कराये जाने के बाद खेत में ही फसल होने से किसान परेशान हो गये. बारिश के कारण जगह-जगह जलजमाव होने से लोगों को परेशानी हो रही है.
बारिश से जन जीवन अस्त-व्यस्त, रबी फसल बर्बाद: सौरबाजार. प्रखंड क्षेत्र में सोमवार की देर रात हुई झमाझम बर्षा से जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. वहीं रवि की फसलों को व्यापक क्षति पहुंची है. वर्षा के साथ हुए ओलावृष्टि से गेहूं की फसल के अलावे दलहन व रैंचा (तोरी), धनिया जैसे मसाले की फसल को भी व्यापक असर पहुंचा है. हालांकि हुई वर्षा से ईंट भट्ठा मालिकों को भी काफी क्षति पहुंचने की बात कही जा रही है. बेमौसम बरसात से सबसे ज्यादा परेशानी मवेशियों को बढ़ गयी है. फलस्वरूप निजात पाने के लिए आमजन त्राहिमाम कर रहे हैं.

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