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किसी के पेट में चोट, तो कई की नाक फटी
बर्बरता. 16 वर्षों से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे उम्मीदवार अनुसेवकों पर चटकीं पुलिस की लाठियां सासाराम (कार्यालय) : कलेक्ट्रेट का गेट शुक्रवार की सुबह रणक्षेत्र में बदल गया. एसडीओ, एसडीपीओ, मजिस्ट्रेट सहित पुलिस बल उम्मीदवार अनुसेवकों पर टूट पड़े . महिला पुलिस महिला उम्मीदवारों को खींच कर धरना स्थल से उठाने की कोशिश […]
बर्बरता. 16 वर्षों से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे उम्मीदवार अनुसेवकों पर चटकीं पुलिस की लाठियां
सासाराम (कार्यालय) : कलेक्ट्रेट का गेट शुक्रवार की सुबह रणक्षेत्र में बदल गया. एसडीओ, एसडीपीओ, मजिस्ट्रेट सहित पुलिस बल उम्मीदवार अनुसेवकों पर टूट पड़े . महिला पुलिस महिला उम्मीदवारों को खींच कर धरना स्थल से उठाने की कोशिश की, हाथापाई हुई. नहीं मानी तो लाठी चटका दीं. पुरुषों पर पुलिस के जवान लाठियां बरसाने लगे. कलेक्ट्रेट गेट पर चीख-पुकार मच गयी.
किसी के पेर में चोट आयी, किसी का नाक फटा गया, किसी का हाथ टूटा गया तो किसी को अंदरूनी चोटें आयी. करीब आधा घंटा तक पुलिस कार्रवाई चलती ही. कलेक्ट्रेट गेट धरनार्थियों से खाली करा लिया गया. गेट का ताला एसडीओ अमरेंद्र कुमार ने खुलवाया.
पुलिस ने झंडा-बैनर नोच डाला. घायलों को साथी उम्मीदवार सदर अस्पताल लेकर चले. मरहम पट्टी हुई. करीब 15 लोगों का इलाज हुआ. इधर, धरना पर बैठे बिहार राज्य उम्मीदवार अनुसेवक संघ के सदस्यों को पुलिस बसों में ठूंस कर ले गयी. उम्मीदवार अनुसेवक पिछले 11 मई से अपनी एक सूत्री मांग सूचीबद्ध अनुसेवकों की बहाली को लेकर धरना पर बैठे थे. संघ ने पहले से ही शुक्रवार को कलेक्ट्रेट गेट बंद करने की सूचना प्रशासन को दी थी.
पूर्व सूचना के अनुसार तालाबंदी कर धरना देना उन्हें महंगा पड़ा. ज्ञातव्य हो कि बिहार राज्य उम्मीदवार अनुसेवक संघ करीब 16 वर्ष से बहाली को लेकर संघर्षरत हैं. वर्ष 2012 से उम्मीदवारों की बहाली को लेकर आंदोलन तेज होने लगा था. ढाई माह तक कलेक्ट्रेट गेट पर लगातार धरना दिया. कई बार मसाल जुलूस, प्रदर्शन व घेराव किया. लेकिन, उनकी बात नहीं बनी. हर बार जिलाधिकारी के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित होता रहा .
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