डेहरी सदर : प्रखंड क्षेत्र में किसानों को औने-पौने भाव में अपने उपाजाये गये फसलों को बेचना नहीं पड़े, इसके लिए सरकार ने आत्मा के अधिकारियों को किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ ) बनाने की जिम्मेदारी दी है, ताकि किसानों को उनके फसलों का उचित मूल्य मिल सके. लेकिन, प्रखंड क्षेत्र में एफपीओ का गठन कछुए की चाल से चलने से किसानों की परेशानी बढ़ सकती है.
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धीमी गति से चल रहा किसान उत्पादक संगठन बनाने का काम
डेहरी सदर : प्रखंड क्षेत्र में किसानों को औने-पौने भाव में अपने उपाजाये गये फसलों को बेचना नहीं पड़े, इसके लिए सरकार ने आत्मा के अधिकारियों को किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ ) बनाने की जिम्मेदारी दी है, ताकि किसानों को उनके फसलों का उचित मूल्य मिल सके. लेकिन, प्रखंड क्षेत्र में एफपीओ का गठन कछुए […]
हालांकि, इससे संबंधित अधिकारी उक्त कार्य को अंतिम रूप देने की बात तो कह रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के किसानों को किसान संगठन बनाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का होना अनिवार्य है. सदस्यों की संख्या पूरी होने के बाद संगठन काे पंजीकृत करना होता है.
किसान उत्पादक संगठन में सदस्यता ग्रहण करने के लिए प्रत्येक किसान को एक हजार रुपये जमा करना होता है, जो राशि एक जगह सुरक्षित रहेगी. संगठन में जमा राशि से किसानों को जरूरत के अनुसार मदद भी मिलेगी. इस संगठन से जुड़ने के लिए पंचायत के किसानों को बैंक का पासबुक, आधार कार्ड व पैन कार्ड का फोटो काॅपी व डीबीटी से किसानों का पंजीकरण होना अनिवार्य है. संगठन को चलाने के लिए 10 सदस्यों का एक बोर्ड आॅफ डायरेक्टर होता है.
इस बोर्ड आॅफ डायरेक्टर में 10 सदस्यीय बोर्ड में एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य है. बोर्ड आॅफ डायरेक्टर के अलावा एक चेयरमैन होता है. किसान उत्पादक संगठन के निर्माण होने से किसानों को अपनी फसल को औने-पौने भाव में बेचना नहीं पड़ेगा. किसान को संगठन में बेचने पर उनके फसलों का उचित मूल्य मिलेगा. साथ ही एफपीओ छोटा किसान से अनाज खरीदेगा.
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