उम्र के हिसाब से बच्चों को पौष्टिक स्वादिष्ट आहार खिलाकर आंगनबाड़ी सेविका मां को करेंगी प्रेरित
सरकार ने दिया सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर ‘अन्नप्रासन दिवस’ मनाने का निर्देश
योजना में छह से 24 महीने तक के बच्चे होंगे शामिल
मंतोष पटेल
सासाराम : ‘अन्नप्रासन’ की परंपरा केवल संपन्न परिवारों में ही सीमित है. बच्चों के जन्म के पांच-छह महीने बाद धूमधाम से अन्नप्रासन किया जाता है. घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चे को अन्न का पहला दाना खिलाते हैं. इसके बाद सगे-संबंधियों के साथ परिवार के लोग लजीज पकवानों का स्वाद लेते हैं. लेकिन, अब सरकार की पहल पर सभी बच्चों का अन्नप्रासन होगा. आंगनबाड़ी केंद्रों को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है.
सभी केंद्रों पर महीने में एक दिन ‘अन्नप्रासन दिवस’ मनाया जायेगा. ऐसा गरीब परिवारों के बच्चों को आवश्यक पौष्टिक आहार खिलाने के लिए मां को जागरूक करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. बच्चों को महीने में एक दिन उम्र के हिसाब पौष्टिक स्वादिष्ट आहार खिलाकर आंगनबाड़ी सेविका उसकी मां को प्रेरित करेंगी.
उम्र के हिसाब से तय होगा मेनू
अन्नप्रासन दिवस पर बच्चों के लिए उम्र के अनुसार मेनू तैयार किया गया है. किस उम्र में किस तरह का भोजन चाहिए, इसके आधार पर ही उनके लिए भोजन की व्यवस्था की जानी है. इसके लिए तीन कैटेगरी निर्धारित है. छह से नौ महीने, नौ से 12 महीने व 12 से 24 महीने के बच्चों को इसमें शामिल किया जाना है. कार्यक्रम में आंगनबाड़ी सेविका पोषक क्षेत्र के उन बच्चों को उनकी मां के साथ बुलायेगी, जो इस उम्र सीमा के अंदर आते हों.
हर केंद्र का होगा माइक्रोप्लान
अन्नप्रासन दिवस के लिए सभी केंद्रों को अपना माइक्रोप्लान बनाना है. यानी महीने में कोई एक दिन पहले से ही निर्धारित करके अधिकारियों को रिपोर्ट भेजनी है. इसके साथ अन्नप्रासन दिवस मनाने के बाद रिपोर्ट भेजनी है.
जिला स्तर पर होगी मॉनीटरिंग
आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्रासन दिवस मनाने का निर्देश सरकार की ओर से जारी किया किया गया है. इसकी मॉनीटरिंग ब्लॉक व जिला स्तर पर की जायेगी. हर महीने सभी प्रखंडों से जिला स्वास्थ्य समिति को इसकी रिपोर्ट भेजनी है. इसमें बताना होगा कि कितने केंद्रों पर अन्नप्रासन दिवस मनाने की योजना थी, कितने केंद्रों पर मनाया गया है.
साल 2015 में बना था प्लान
अन्नप्रासन दिवस मना कर बच्चों को पौष्टिक आहार देने के संबंध में वर्ष 2015 में यह प्लान बना था. प्रखंड स्तर पर इसका आयोजन किया जाना था. हालांकि, इसका अनुपालन सही तरीके से नहीं हो पाया.
उच्च स्तरीय समीक्षा में इस तरह की समस्या आने के बाद विभाग ने पिछले महीने नयी गाइड लाइन जारी कर दी, जिसके अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों पर ही कार्यक्रम आयोजित करना है.