बीमारी . पुणे में बीमार पड़ने पर दो दिन पहले घर रानीपतरा आया मरीज
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डेंगू का मरीज मिलने से हड़कंप
बीमारी . पुणे में बीमार पड़ने पर दो दिन पहले घर रानीपतरा आया मरीज पूर्णिया में डेंगू का कहर कड़ाके की ठंड में भी जारी है. पूर्णिया पूर्व प्रखंड के रानीपतरा में एक डेंगू का मरीज मिला है, जिसका इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है. इस बार डेंगू महाराष्ट्र के पूणे शहर से आया […]
पूर्णिया में डेंगू का कहर कड़ाके की ठंड में भी जारी है. पूर्णिया पूर्व प्रखंड के रानीपतरा में एक डेंगू का मरीज मिला है, जिसका इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है. इस बार डेंगू महाराष्ट्र के पूणे शहर से आया है.
पूर्णिया : जिले के पूर्व प्रखंड क्षेत्र के रानीपतरा निवासी अब्दूस सलाम का पुत्र मो जाकिर लगभग 15 दिन पूर्व रंग-रोगन का काम करने महाराष्ट्र के पुणे गया था. वहां महज दो-तीन दिन बाद ही उसे बुखार आने लगा. वहां के सरकारी अस्पताल में दिखाने के बाद उसे डेंगू पॉजीटिव बताया गया. वह दो दिन पूर्व अपने घर लौट आया. सोमवार को वह सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में भरती हुआ. जाकिर को यह समझ में नहीं आ रहा है कि उसे डेंगू पुणे में हुआ या फिर रानीपतरा में. बहरहाल वह सदर अस्पताल में अपना इलाज करा रहा है. विभाग के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष में अब तक डेंगू से आक्रांत मरीजों की संख्या बढ़ कर 12 हो गयी है.
इनमें से अधिकांश डेंगू के मरीज देश के महानगरों से पूर्णिया पहुंचे हैं. पूर्णिया में यह समस्या और भी बढ़ सकती है. इस दिशा में विभाग ने कोई विशेष इंतजाम नहीं किया है.
एडिज एजिप्टी है डेंगू का वाहक : डेंगू एडिज एजिप्टी मादा मच्छर के काटने से होता है. डॉक्टरों के अनुसार, मरीज में अचानक प्लाज्मा लीकेज होने से समस्या हो सकती है. इसलिए ज्यादा खतरे वाले मरीजों की जांच शुरुआत से ही होनी चाहिए. सबसे ज्यादा खतरा बीमारी के तीसरे से सांतवें दिन होता है. यह बुखार के कम होने से जुड़ा हुआ होता है. प्लाज्मा लीकेज का पता बुखार खत्म होने के प्रथम 24 घंटे और बाद के 24 घंटे में चल जाता है. ऐसे में व्यक्ति में पेट में दर्द, लगातार उल्टियां, बुखार से अचानक हाइपोथर्मिया हो जाना या असामान्य मानसिक स्तर, जैसे कि मानसिक भटकाव वाले लक्षण देखे जाते हैं. इसमें हमेटोक्रिट में वृद्धि हो जाती है, जो इस बात का संकेत होता है कि प्लाज्मा लीकेज हो चुका है और शरीर में तरल की मात्रा को दोबारा सामान्य स्तर पर लाना बेहद जरूरी हो गया है.
संसाधनों का घोर अभाव : डेंगू के लिहाज से भले ही सीमांचल सॉफ्ट टारगेट हो, ठीक उसके विपरित सीमांचल के किसी भी अस्पताल में इस गंभीर रोग से मुकाबले की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. सदर अस्पताल में, डेंगू के लिए संक्रमण वार्ड बनाया गया है, जो केवल एक कमरे का है. इसमें चार बेड की व्यवस्था की गयी है.
सावधानी से ही हो सकता है बचाव : चूंकि सीमांचल में डेंगू होने के बाद इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, लिहाजा सावधानी ही इसका एकमात्र बचाव हो जाता है. कई दिनों तक किसी भी बर्तन में पानी भरकर नहीं रखना चाहिए. एक हफ्ते के भीतर उसे बदलते रहें. खराब हो चुकी वस्तुओं जैसे टायर, नारियल के खोल, बोतलें आदि को फेंक देना चाहिए. छत, छज्जे आदि पर भी पानी जमा न होने दें और मच्छर मारने की दवा का प्रयोग लगातार करें. डेंगू संक्रमित मच्छर दिन के वक्त अधिक काटते हैं.
डेंगू के अधिकांश मरीज अन्य प्रदेशों से आते हैं. सदर अस्पताल में डेंगू प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए मुकम्मल व्यवस्था है..
डॉ सीएम सिंह, जिला मलेरिया उन्मूलन पदाधिकारी
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