तीन वर्ष बीतने के बाद भी भूमि अधिग्रहण के पेंच में फंसा है बस पड़ाव का निर्माण
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विभागीय पेच से बाहर नहीं निकल पाया प्रमंडलीय बस पड़ाव
तीन वर्ष बीतने के बाद भी भूमि अधिग्रहण के पेंच में फंसा है बस पड़ाव का निर्माण मूलभूत सुविधाओं के साथ मरंगा से जीरो माइल और आरएनसाह चौक तक रोशनी की करनी थी व्यवस्था पूर्णिया : पूर्णिया का प्रमंडलीय बस पड़ाव तीन वर्ष के बाद भी भूमि अधिग्रहण के पेंच में फंसा पड़ा है. 2013-2014 […]
मूलभूत सुविधाओं के साथ मरंगा से जीरो माइल और आरएनसाह चौक तक रोशनी की करनी थी व्यवस्था
पूर्णिया : पूर्णिया का प्रमंडलीय बस पड़ाव तीन वर्ष के बाद भी भूमि अधिग्रहण के पेंच में फंसा पड़ा है. 2013-2014 में शहर से बाहर मरंगा स्थित बकरी प्रजनन केंद्र में नये सिरे से प्रमंडलीय बस पड़ाव को संवारने को लेकर 250 करोड़ की राशि के आवंटन और नगर निगम के कवायदों के बावजूद स्थानांतरण के पेंच में फंसा पूर्णिया का प्रमंडलीय बस पड़ाव उपेक्षा का दंश झेल रहा है. जल जमाव कीचड़ और अव्यवस्था के बीच हर रोज हजारों यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाने वाला यह बस पड़ाव खुद की मंजिल से दूर विभागीय पेंच में फंस कर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. स्थिति यह है कि जिला मुख्यालय से सटे इस बस पड़ाव की स्थिति नारकीय है. यात्री हलकान है और विभाग अपना राग अलाप रहा है.
दरअसल वर्ष 2013-14 में प्रमंडलीय बस पड़ाव को मरंगा शिफ्ट करने की घोषणा हुई थी. योजना बनी, डीपीआर तैयार हुआ और 250 करोड़ की परियोजना भी सार्वजनिक हुआ था. वर्ष गुजर गया लेकिन पहल सिफर है. हालात यह है कि राजनेता से लेकर अधिकारी तक केवल वादों की झड़ी लगा रहे हैं और बस पड़ाव के स्थानांतरण का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है. वहीं बस स्टैंड की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है.
न रोशनी न पेयजल की है व्यवस्था
मॉडल बस पड़ाव की घोषणा के बाद बस पड़ाव लगभग उपेक्षित पड़ गया है. सफाई व्यवस्था के अभाव में जगह-जगह कूड़े जमा हैं. बारिश का पानी कई हिस्सों में जमा है. कचरों के सड़ांध के बीच लगी एसी और लग्जरी गाड़ियों में सफर को लेकर आने जाने वाले यात्री से लेकर चालक और एजेंट सभी परेशान हैं, लेकिन सफाई नदारद है. इतना ही नहीं रोशनी के अभाव में शाम होते ही बस पड़ाव अंधेरे में डूब जाता है. बस पकड़ते समय अगर किसी को प्यास लगी तो बोतल बंद पानी के अलावा साधारण पेयजल मिलना मुश्किल है.
2014-15 में हुआ प्रयास
वर्ष 2014-15 में बस पड़ाव को संवारने का प्रयास हुआ था. तब तत्कालीन एसडीएम कुंदन कुमार ने बस पड़ाव का निरीक्षण किया था. उन्होंने ऑन द स्पॉट बस पड़ाव में रोशनी की व्यवस्था हेतु हाईमास्ट जलवाया था. इतना ही नहीं नगर निगम को फटकार लगाते हुए बस पड़ाव में नालों की सफाई तथा अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करवाया था. लेकिन कुछ ही दिनों के बाद बस पड़ाव की सूरत जस की तस हो गयी. स्थिति यह है कि प्रमंडलीय बस पड़ाव का तगमा लिए पूर्णिया के बस पड़ाव पूरी तरह उपेक्षा का शिकार हो गया है.
सब झाड़ लेते हैं पल्ला
बस पड़ाव को संवारने को लेकर जब-जब बात चली है सब एक दूसरे के बहाने पल्ला झाड़ लेते हैं. जिला परिषद से लेकर नगर निगम और अन्य संबंधित विभाग केवल राजस्व उगाही तक ही बस पड़ाव से वास्ता रखते हैं. जानकार बताते हैं कि बस पड़ाव से जहां लाखों रुपये की कमाई विभाग को होती है. वही सफाई, पेयजल, सड़क, रोशनी, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधा पर अब तक ठोस कार्य नहीं हुआ है. इतना ही नहीं पूर्व में बने रेन बसेरा और उपलब्ध सुविधाएं विध्वस्त हो चुकी है और उनके जीर्णोद्धार के दिशा में कोई औपचारिक काम भी नहीं हो पा रहा है.
पेंच में फंसा है स्थानांतरण का मामला
प्रमंडलीय बस पड़ाव को मरंगा स्थानांतरित करने का मामला भूमि अधिग्रहण के पेंच में फंसा है. बताया जाता है कि नगर निगम द्वारा मरंगा स्थित बकरी पालन फर्म में जगह चिह्नित कर सभी कागजातों के साथ उक्त विभाग को जमीन ट्रांसफर के लिए 2015 में ही भेजा गया है. लेकिन पशुपालन विभाग द्वारा जमीन हस्तांतरण नहीं किये जाने से मामला फंसा हुआ है. वजह चाहे जो हो, लेकिन पूर्णिया संवारने और जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने तथा पूर्णिया में मॉडल प्रमंडलीय बस पड़ाव के निर्माण के राह में अधिकारियों की कार्यशैली बाधा बनी हुई है.
इंतजार की घड़ी नहीं हो रही खत्म
बीते दो दशक में पूर्णिया का भूगोल कई दफा बदला. बल्कि पूर्णिया शिक्षा, स्वास्थ्य और कारोबारी दृष्टिकोण से काफी आगे निकल चुका है. लिहाजा प्रमंडलीय बस पड़ाव से दूसरे प्रदेश के लिए लग्जरी बसों की संख्या भी बढ़ी है.
शहर के जनसंख्या बढ़ने के साथ लोगों का आवागमन भी बढ़ा है. लिहाजा प्रमंडलीय बस पड़ाव के स्थानांतरण की घोषणा और मॉडल बस पड़ाव बनाने की घोषणा के बाद शहर के लोगों की निगाहें इस योजना के तरफ टिकी हुई है. बदकिश्मती यह है कि करोड़ों रुपया के आवंटन और डीपीआर बनने के बावजूद पिछले तीन साल से शहर के लोग इंतजार में एक-एक पल काट रहे हैं और अधिकारी आदेश और निर्देश की बातें कर मामले को लटकाये हुए हैं.
मॉडल बस पड़ाव के लिए 250 करोड़ का बना था प्रोजेक्ट रिपोर्ट
बस पड़ाव के स्थानांतरण से शहर में जाम की समस्या से मिलेगी मुक्ति
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