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लाइन बाजार की झुग्गी-झोंपड़ी में संचालित हो रहा है प्रसव गृह

इन केंद्रों पर मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ायी जाती है और प्रसूताओं की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है. संयोगवश कभी-कभी सफल प्रसव भी हो जाता है, जबकि अधिकांश मामलों में किसी न किसी प्रकार की समस्या जरूर उत्पन्न होती है. पूर्णिया : स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार अवैध प्रसूति गृह का केंद्र बन कर […]

इन केंद्रों पर मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ायी जाती है और प्रसूताओं की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है. संयोगवश कभी-कभी सफल प्रसव भी हो जाता है, जबकि अधिकांश मामलों में किसी न किसी प्रकार की समस्या जरूर उत्पन्न होती है.

पूर्णिया : स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार अवैध प्रसूति गृह का केंद्र बन कर रह गया है. खास बात यह है कि तंग कमरे से लेकर झुग्गी-झोंपड़ी तक में ऐसे प्रसव गृह का संचालन हो रहा है, जहां नीम-हकीम, खतरे जान वाली स्थिति रहती है. इन केंद्रों पर मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ायी जाती है और प्रसूताओं की जान के साथ खिलवाड़ किया जाता है. संयोगवश कभी-कभी सफल प्रसव भी हो जाता है, जबकि अधिकांश मामलों में किसी न किसी प्रकार की समस्या जरूर उत्पन्न होती है.
विकट परिस्थिति में इनके हाथ में रेफर का अचूक हथियार होता है. इन अवैध प्रसव गृह संचालकों के संबंध बड़े डॉक्टरों से भी बताये जाते हैं, जो मुश्किल की स्थिति में संकटमोचक साबित होते हैं. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य महकमा घृतराष्ट की भूमिका में नजर आता है.
महिलाओं द्वारा संचालित है अवैध प्रसव गृह
लाइन बाजार की विभिन्न गलियों में जो प्रसव गृह संचालित हो रहे हैं, उसकी स्थिति कबूतरखाने से भी बदतर है. अस्वास्थ्यकर वातावरण में यहां धड़ल्ले से प्रसव का खेल जारी है.
खास बात यह है कि अवैध प्रसव के इस कारोबार में संचालक के रूप में कई महिलाएं शामिल है, जो अकूत संपत्ति अर्जित कर चुकी है. इनमें पोस्टमार्टम रोड की रानी, संगीता, प्रिया, रंजू प्रिया आदि के नाम शामिल हैं. जिले के सदर अस्पताल सहित विभिन्न पीएचसी से आशाओं द्वारा बरगलाकर कर लाये गये प्रसूता का यहां प्रसव कराया जाता है.
प्रसव के दौरान जब पेंच फंस जाता है तो ऐसी प्रसूता को इलाज के लिए सदर अस्पताल व डॉक्टरों के निजी नर्सिंग होम में ले जाया जाता है. इस प्रकार के सैकड़ों उदाहरण मौजूद हैं.
सबों का बंटा हुआ है इलाका
खास बात यह है कि अवैध प्रसव गृह के संचालकों ने जिले के विभिन्न हिस्से का बंटवारा कर लिया है. इस मामले में पूरी ईमानदारी बरती जा रही है. पोस्टमार्टम रोड स्थित रानी के प्रसव घर में केनगर, बनमनखी, धमदाहा के आशाओं के द्वारा लाये गये गर्भवती का प्रसव कराया जाता है. जबकि संगीता व प्रिया के प्रसव घर में सदर अस्पताल, पूर्णिया पूर्व, डगरूआ व अमौर के पश्चिमी भाग की गर्भवती महिलाओं को लाया जाता है. जानकार बताते हैं कि हर अवैध प्रसव गृह में रोजाना आठ से दस प्रसव कराये जाते हैं.
बिना डिग्री की बनी गयी है डॉक्टर
पोस्टमार्टम रोड में ही एक नर्स बिना किसी डिग्री के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का बोर्ड लगा कर नर्सिंग होम का संचालन कर रही है. आश्चर्य इस बात का है कि विभाग के नाक के नीचे अवैध प्रसव गृह का संचालन हो रहा है और विभाग खामोश है. ऐसे में विभाग की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है. इन प्रसव गृह के नर्स अनपढ़ तो होते ही हैं,
साथ ही इनका प्रशिक्षण से दूर-दूर का कोई वास्ता नहीं होता है. आश्चर्य इस बात का भी है कि ऐसे नर्स सीजर ऑपरेशन करने से भी गुरेज नहीं करते हैं. ऐसे में जब कभी बात बिगड़ जाती है तो तुरंत बहाना बना कर सदर अस्पताल या अन्यत्र रेफर कर दिया जाता है. ऐसे प्रसव घरों में न्यूनतम 5000 से 15000 तक प्रति प्रसव वसूली की जाती है. जाहिर है कि अवैध प्रसव के इस खेल में प्रतिमाह लाखों का वारा-न्यारा हो रहा है.
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य महकमा घृतराष्ट की भूमिका में नजर आता है
विकट परिस्थिति में इनके हाथ में रेफर का है अचूक हथियार
ऐसे तमाम अवैध प्रसव घरों की जानकारी संग्रह की जा रही है. योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की जायेगी.
डाॅ एमएम वसीम, सिविल सर्जन, पूर्णिया

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