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नोट पर प्रतिबंध बना जी का जंजाल

मुसीबत. बाजार में मची रही अफरा-तफरी, परेशान रहे जरूरी सामानों के खरीदार पांच सौ व एक हजार के नोट पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद गांव से शहर तक बुधवार को अफरा-तफरी का माहौल रहा और लोग इस बाबत अधिक से अधिक जानने के लिए परेशान रहे. मंगलवार की शाम इस आशय की घोषणा के […]

मुसीबत. बाजार में मची रही अफरा-तफरी, परेशान रहे जरूरी सामानों के खरीदार

पांच सौ व एक हजार के नोट पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद गांव से शहर तक बुधवार को अफरा-तफरी का माहौल रहा और लोग इस बाबत अधिक से अधिक जानने के लिए परेशान रहे. मंगलवार की शाम इस आशय की घोषणा के साथ ही एटीएम के बाहर पैसा निकालने और जमा करने वालों के बीच अफरा-तफरी का माहौल रहा.
पूर्णिया : केंद्र सरकार द्वारा 08 नवंबर की रात से 500 व 1000 रुपये के नोट पर अचानक प्रतिबंध लगाये जाने के बाद गांव से शहर तक बुधवार को अफरा-तफरी का माहौल रहा और लोग इस बाबत अधिक से अधिक जानने के लिए परेशान रहे. मंगलवार की शाम इस आशय की घोषणा के साथ ही एटीएम के बाहर पैसा निकालने और उससे अधिक जमा करने वालों की लंबी कतार लगी रही. हर चेहरे पर अनिश्चितता का भाव था और कोई इसे वाजिब तो कोई इसे गैर वाजिब ठहरा रहा था.
वहीं बुधवार को केंद्र सरकार की घोषणा जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी और बैंकों और एटीएम के शटर गिरे रहे. जबकि दुकानदार से लेकर कारोबारी तक 500 और 1000 के नोट लेने और देने से इनकार करते रहे. इस कवायद में सबसे अधिक परेशानी मरीज और उनके परिजनों को उठानी पड़ी. जबकि रेलवे स्टेशन पहुंचे यात्रियों को टिकट खरीदने में फजीहत का सामना करना पड़ा. रोजमर्रे के उपयोग की छोटी-छोटी सामग्री खरीदने से आम लोग वंचित रहे और उन्हें निराश दुकान से वापस लौटना पड़ा. कुल मिला कर प्रतिबंध का पहला दिन आम लोगों के लिए जी का जंजाल साबित हुआ.
रोजमर्रे की खरीदारी से भी वंचित रहे लोग
आम लोग रोजमर्रे की वस्तुएं दूध, सब्जी, चावल, दाल समेत अन्य सामानों की खरीदारी के लिए भी दर-दर भटकते नजर आये. किराना दुकान पर दुकानदार ने 500 और 1000 के नोट लेने से इनकार कर दिया. पॉलिटेक्निक चौक पर स्थित इजी प्राइस नामक दुकान के कर्मी पिंकू ने बताया कि मजबूरन सुबह से ही अधिकांश ग्राहकों को लौटाना पड़ रहा है. वजह यह है कि अगर वे 500 और 1000 के नोट ले भी लेते हैं तो दूसरे ग्राहक उसे स्वीकार नहीं करते हैं.
इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या यह है कि पूरे दिन भी बेचने के बाद जो राशि दुकान में आयेगी, उसे कहां और किसे दिया जाये, यह एक बड़ी समस्या होगी. बैंक में जमा करने की प्रक्रिया आसान नहीं होगी, लिहाजा वैसे ही लोगों को सामान दिया जा रहा है, जो खुदरा रुपये लेकर आ रहे हैं. इस प्रकार की समस्या उन तमाम तरह की दुकानों में देखने को मिली, जहां 100 और 200 रुपये की खरीदारी लोग करते हैं और अमूमन 500 और 1000 रुपये का नोट दुकानदार को देते हैं.
पेट्रोल पंप पर लगी रही ग्राहकों की भीड़
हालांकि केंद्र सरकार द्वारा रेलवे के साथ-साथ पेट्रोल पंपों पर 500 व 1000 के नोट के प्रचलन की इजाजत दी गयी थी. लेकिन यहां भी आदेश का अक्षरश: पालन नहीं हो रहा था. पंप पर दोनों नोट स्वीकार तो किये जा रहे थे, लेकिन शर्त यह होती थी कि 500 या 1000 के तेल खरीदने होंगे.
खुदरा उपलब्ध नहीं होने का हवाला देते हुए पंप कर्मी शेष राशि लौटाने से इनकार कर रहे थे. इस वजह से लोगों को मजबूरन 500 रुपये का तेल खरीदना पड़ रहा था. अन्यथा लोगों को निराश वापस लौटना पड़ रहा था. इस प्रकार ग्राहकों की मजबूरी का पंप मालिकों ने जम कर लाभ उठाया. इस वजह से कई जगहों पर ग्राहकों के साथ नोक-झोंक भी हुई, लेकिन अंतत: ग्राहकों को समझौता करना ही पड़ा.
दिन भर परेशान रहे यात्री
बुधवार को बस स्टैंड पहुंचने वाले यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. अधिकांश यात्रियों के पास 500 और 1000 के नोट रहने से उन्हें गंतव्य स्थान तक जाने के लिए टिकट नहीं दिया गया. ऐसी कई महिला यात्री जो बिल्कुल अकेली थी, उन्हें अधिक परेशानी हुई. भागलपुर जाने वाले यात्रियों को सरकारी बस स्टैंड में बुकिंग क्लर्क द्वारा 100 रुपये तक के ही नोट मांगे जा रहे थे.
पूछे जाने पर क्लर्क ने लाचारी व्यक्त करते हुए बताया कि बैरियर व टॉल टैक्स में 500 और 1000 के नोट नहीं लिया जा रहा है. वहीं पटना जाने वाले बस बुकिंग एजेंट ने बताया कि 330 रुपये भाड़ा में 500 के नोट नहीं ले रहे हैं. कुछ ने बताया कि 330 रुपये की जगह 500 के नोट देने पर बांकी रुपये वापस नहीं करने के करार पर यात्री आसानी से मान जाते हैं. ऐसी परेशानी लंबी दूरी के बस यात्रियों को अधिक हुई. यात्रियों ने अपनी परेशानी बयां करते हुए कहा कि एटीएम मशीन से भी 500 और 100 के नोट ही निकलते हैं तो फिर किस प्रकार इन्हें 100 और 50 के नोट दिया जाये.
सुनसान रहा निबंधन कार्यालय
500 और 1000 के नोट पर प्रतिबंध का असर निबंधन कार्यालय में भी दिखा. कार्यालय में प्रतिदिन औसतन 50 से 60 की संख्या में निबंधन होता था, वहीं बुधवार को दोपहर बाद तक केवाला के लिए 10 ही कागजात जमा किये गये. कार्यालय परिसर में मौजूद कई वेंडर ने बताया कि जमीन बेचने वालों को बकाये राशि के भुगतान में 100-100 के नोट नहीं होने से निबंधन कार्य नहीं हो पाया.
वहीं दूसरी ओर बैंक बंद रहने से चालान जमा नहीं किया जा सका. बताया कि अधिकांश जमीन खरीदारों के पास 500 और 1000 के नोट थे, जिसके कारण निबंधन के लिए कागजात कार्यालय में दाखिल नहीं किया जा सका. कमोबेश यही स्थिति अन्य कार्यालयों की भी थी, जहां 100-200 रुपये शुल्क के रूप में अनिवार्य होता है.
इलाज के लिए आये मरीज भी रहे परेशान
500 और 1000 के नोटों पर लगे पाबंदी का असर सदर अस्पताल आये मरीज समेत उन तमाम लोगों पर पड़ा, जो इलाज के लिए जिला मुख्यालय आये थे. मरीज और उसके परिजन दिन भर 500 रुपये का नोट लेकर भटकते रहे. किंतु मरीजों को दवा व खान पान के सामानों के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.
अररिया जिले के जोकीहाट से आये मरीज के परिजन मुख्तार को एक इंजेक्शन चाहिए थी. इंजेक्शन के लिए 40 रुपये खुल्ले नहीं थे. दवा विक्रेता को वह 500 रुपये दे रहा था. अंतत: दोनों के बीच इस बात पर सहमति हुई कि दवा सहित ढाई सौ अभी और 250 बाद में दिया जायेगा. डगरुआ से आये गुलबहार 500 रुपये के नोट ले कर सदर अस्पताल स्थित एक नाश्ते वाले से दो लिट्टी देने की मांग कर रहा था.
दुकानदार ने उसे मना कर दिया. गुलबहार ने बताया कि उसके पास महज यही 500 रुपये हैं. वह सुबह से ही रुपये रहते हुए भूखा प्यासा है. अन्य दिनों की अपेक्षा दवा दुकानों पर भी कम भीड़ नजर आयी, क्योंकि हर जगह 500 और 1000 का नोट पेंच बन कर सामने आ जा रहा था.
घर में भी उजागर हुआ कालाधन
कहते हैं कि केंद्र सरकार का यह फैसला कालाधन के खिलाफ सर्जिकल अटैक है. कालाधन कितना प्रभावित हो पाता है, यह तो आने वाला वक्त बतायेगा, लेकिन घर में छुपा कालाधन इसके बाद जरूर उजागर हुआ है. सुभाष नगर स्थित एक परिवार में बुधवार की सुबह से ही सरकार के इस फैसले पर बहस छिड़ी हुई थी. अंतत: गृहिणी ने 500 और 1000 के जब कुल 50 हजार राशि अपने जिम्मे से निकाल कर पतिदेव को सौंपा तो सभी लोग भौंचक रह गये. रुपये सौंपते हुए पत्नी ने फरमाया ‘ इसे भी किसी बैंक में जाकर बदल लाइये ‘ . जबकि घर के सबसे छोटे सदस्य की प्रतिक्रिया थी ‘
शुक्र है कि मेरे पास केवल 100 के नोट हैं, मैं इस तरह की परेशानी से बच गया ‘ . दरअसल इस तरह का कालाधन हर घर में मौजूद है, जो घर की गृहिणी बचत के तौर पर बिना पति को जानकारी दिये लंबे समय से बुरे वक्त के लिए संजो कर रखती है. लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले से छुपा हुआ सच सामने आ गया.
मंगलवार की देर रात एटीएम के बाहर जमा व निकासी के लिए ग्राहकों की लगी भीड़ व पेट्रोल पंप पर भी लगी रही भीड़.
रेलवे स्टेशन पर परेशान रहे लोग, िटकट लेने में हुई भारी परेशानी

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