गैर पंजीयन चल रहे स्कूल. विभाग उदासीन, स्कूल प्रबंधनों काे गरज नहीं
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2014 के बाद नहीं हुआ पंजीयन
गैर पंजीयन चल रहे स्कूल. विभाग उदासीन, स्कूल प्रबंधनों काे गरज नहीं निजी स्कूलों के पंजीयन मामले में जिला शिक्षा विभाग का रवैया शुरुआत से ही उदासीन रहा है. विभागीय उदासीनता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013 में आरंभ हुई पंजीयन की प्रक्रिया वर्ष 2014 में ही थम […]
निजी स्कूलों के पंजीयन मामले में जिला शिक्षा विभाग का रवैया शुरुआत से ही उदासीन रहा है. विभागीय उदासीनता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013 में आरंभ हुई पंजीयन की प्रक्रिया वर्ष 2014 में ही थम गयी. वर्ष 2013 में जहां 59 निजी स्कूलों को पंजीयन निर्गत किया गया, वही वर्ष 2014 में 49 स्कूलों को पंजीयन संख्या निर्गत हुआ. लेकिन इसके बाद पंजीयन की प्रक्रिया ही जिला शिक्षा विभाग द्वारा रोक दी गयी. नतीजा रहा कि वर्ष 2014 अथवा उसके पूर्व के आवेदनों पर भी विचार नहीं हो सका. जबकि विभागीय प्रावधानों के अनुसार तीन माह में आवेदनों का निष्पादन किया जाना है. दिलचस्प यह है पंजीयन पर रोक के बाबत विभाग द्वारा अब तक कोई पत्र निर्गत नहीं हुआ है.
पूर्णिया : कोसी और सीमांचल के सातों जिलों में पूर्णिया को एजुकेशन हब के तौर पर जाना जाता है. यहां तक कि लोग इसे मिनी राजधानी भी पुकारते हैं, जो कई मायनों में सार्थक है. लेकिन स्कूलों के पंजीयन मामले में पूर्णिया फिसड्डी है. जानकार बताते हैं कि कोसी और सीमांचल के इलाके में हाल के दिनों में निजी स्कूलों का काफी तेजी से विस्तार हो रहा है. लेकिन पूर्णिया की अपेक्षा में यह रफ्तार काफी धीमी है. वही कुल स्कूल के अनुपात में आवेदन और पंजीयन के मामले में पूर्णिया अन्य जिलों से काफी पीछे है. इसकी वजह जिला शिक्षा विभाग की लापरवाही बतायी जा रही है.
सूत्र बताते हैं कि विभागीय स्तर पर इसके लिए कभी विशेष पहल भी नहीं हुई, जिसके कारण यह स्थिति बनी है. गौरतलब है कि जिले में कुल 319 स्कूलों ने पंजीयन के लिए अब तक आवेदन किया है. जिसमें 104 को पंजीयन प्राप्त है और 26 को प्रत्याशा सूची में शामिल किया गया है. जबकि 189 आवेदनों पर कोई विचार भी नहीं हो सका है.
विभाग उदासीन, स्कूल प्रबंधन भी बना है लापरवाह: निजी स्कूलों के पंजीयन मामले में एक ओर जिला शिक्षा विभाग उदासीन बना हुआ है. वही जिन स्कूलों को पंजीयन नहीं मिला, वहां का प्रबंधन भी लापरवाह बना हुआ है. इसकी मूल वजह यह है कि जिन स्कूलों ने आवेदन किया और उनके मानक की जांच नहीं की गयी,
वे खुद को पंजीयन का दावेदार बता रहे हैं. वही विभाग स्तर से कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है, जिससे आवेदन नहीं करने वाले भी निश्चिंत बने हुए हैं. खुद विभागीय कर्मी भी ऐसे स्कूल संचालकों का हौसला बढ़ाते हैं. बच्चे नामांकित होने पर उस वर्ष स्कूल बंद नहीं होने की बात कह कर संचालकों को प्रोत्साहित किया जाता है.
पंजीयन मामले में फिसड्डी है विभाग
संदेह के दायरे में है पंजीयन निर्गत करने की प्रक्रिया
निजी स्कूलों को पंजीयन निर्गत करने की जिला शिक्षा विभाग की पूरी प्रक्रिया ही संदेह के दायरे में है. इसकी मूल वजह यह है कि कोसी कॉलोनी स्थित माउंट जियोन स्कूल को भी जिला शिक्षा विभाग ने ही वर्ष 2014 में पंजीयन निर्गत किया था. स्कूल की संरचना तब भी लगभग वैसी ही थी, जैसी आज है.
वही विभाग के मानक प्रावधानों में भी कोई फेरबदल नहीं हुआ है. ऐसे में विभाग स्तर पर भले ही माउंट जियोन स्कूल के विरुद्ध कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ की गयी हो, लेकिन विभाग अपनी जिम्मेवारी से भी कन्नी नहीं काट सकता है. इसके अलावा जिस प्रकार रैंडमाइजेशन के आधार पर आवेदन चयन की बात सामने आयी है, उससे स्पष्ट है कि इसमें भी घालमेल किया गया है.
की जायेगी पहल
लंबित आवेदनों पर विचार क्यों नहीं किया गया, इस बाबत डीइओ से जानकारी ली जायेगी. शीघ्र ही इस दिशा में पहल होगी. मानकों की पूर्ति करने वाले स्कूलों को पंजीयन निर्गत होगा. वही शेष को निरस्त किया जायेगा.
राम शंकर, प्रभारी डीएम सह डीडीसी, पूर्णिया
दो वर्षों से नहीं हुई नियंत्रण समिति की बैठक
निजी स्कूलों को पंजीयन निर्गत करने, उनके मानकों की जांच, नियंत्रण व कार्रवाई को लेकर जिला स्तर पर तीन सदस्यीय समिति गठित है. जिला शिक्षा पदाधिकारी मो मंसूर आलम समिति के पदेन अध्यक्ष व सर्वशिक्षा डीपीओ विजय कुमार झा पदेन सचिव हैं. वही जिलाधिकारी के स्तर से एक वरीय उप समाहर्ता को समिति सदस्य के रूप में मनोनित किया जाता है. जिसमें पूर्णिया में जिला पंचायती राज पदाधिकारी कुमार विवेकानंद को समिति सदस्य मनोनित किया गया है.
लेकिन हैरत की बात यह है कि जिस समिति को इतनी बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गयी है, उसकी बैठक दो वर्षों से नहीं हुई. हाल के दिनों में माउंट जियोन विवाद के बाद बैठक हुई भी तो बेनतिजा रही. क्योंकि तीनों सदस्य पर्याप्त समय नहीं दे सके. सूत्रों की मानें तो इससे पूर्व जिस अवधि में पंजीयन निर्गत हुआ, तब भी समिति की बैठक केवल कागजों पर ही हुई, औपचारिकता पूरी की गयी और पंजीयन निर्गत कर दिया गया.
मानक और पंजीयन पर नहीं दिया गया जोर
हाल के दिनों में मानक और पंजीयन का विवाद गरमाने के बाद जिला शिक्षा विभाग भले ही गंभीर हुआ हो. लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी भी कुछ सामने नहीं आया है. जबकि सूत्रों के अनुसार पूर्व के समय में भी विभाग मानक और पंजीयन मामले में उदासीन ही रहा है. पंजीयन के लिए आवेदन प्राप्त करने पर विभाग का कभी कोई ध्यान नहीं रहा है.
वही जिन स्कूलों के आवेदन प्राप्त हुए, उनकी जांच में भी गड़बड़ी की गयी. सूत्र बताते हैं कि कोशी कॉलोनी स्थित माउंट जियोन स्कूल एक उदाहरण मात्र है, 80 फीसदी स्कूल मानकों को पूरा नहीं करते हैं. इन सभी स्कूलों को बिना किसी स्थलीय जांच के ही पंजीयन संख्या निर्गत किया गया है.
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