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पहले राशन कार्ड वितरण अब संशोधन का फंसा पेच

पूर्णिया : सरकार की ओर से जारी अनाज योजना पीएचएच शहरी क्षेत्र में संकट के दौर से गुजर रहा है. पहले राशन कार्ड के वितरण का झमेला और अब संशोधन का खेल जारी है. इस योजना के अंतर्गत सूचीगत गरीबों पर कटौती की तलवार लटक रही है. वहीं दूसरी तरफ आगामी 17 मई से नगर […]

पूर्णिया : सरकार की ओर से जारी अनाज योजना पीएचएच शहरी क्षेत्र में संकट के दौर से गुजर रहा है. पहले राशन कार्ड के वितरण का झमेला और अब संशोधन का खेल जारी है. इस योजना के अंतर्गत सूचीगत गरीबों पर कटौती की तलवार लटक रही है. वहीं दूसरी तरफ आगामी 17 मई से नगर निकाय चुनाव को लेकर नामांकन कार्य प्रारंभ होगा.

ऐसे में मामला इस कदर फंस जायेगा कि न तो कार्ड मिलेंगे और न ही राशन मिल सकेगा. विडंबना तो यह है कि वर्ष 2014 से ही यह योजना किसी न किसी बहाने लटकती रही है. ताजा स्थिति यह है कि एक तरफ सूचीबद्ध लाभुकों के बीच न तो आपूर्ति विभाग राशन कार्ड वितरण में दिलचस्पी दिखा रहा है और न ही नगर निगम को इसकी चिंता है. उपर से फाइनल सूची में दर्ज 4000 परिवारों के नामों में भी तकरीबन 35 फीसदी की कटौती का खेल जारी है.

गांवों में शुरू, शहर में फंसा है पेच
उपलब्ध जानकारी अनुसार पीएचएच योजना के तहत शहरी व ग्रामीण इलाकों के नये लाभुकों को सूचीबद्ध करना था. यह कार्य वर्ष 2013 के अंत व 2014 के प्रारंभ में दोनों जगह एक साथ शुरू होना था. लेकिन शहरी क्षेत्र के 46 वार्डों में बनी सूची में आपत्ति के बाद पेंच फंस गया. वहीं पूर्णिया पूर्व प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में यह योजना जहां 2015 से जारी है, वहीं तमाम सुधारों के बावजूद शहरी क्षेत्र में अब तक यह योजना शुरू नहीं हो पायी है.
जिस तरह शहरी क्षेत्र में पीएचएच अनाज योजना को लेकर पेंच फंसा हुआ है, उससे यह स्पष्ट दिखने लगा है कि गरीबों को अनाज के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि संभावना तो यह दिखने लगा है कि अगर एक सप्ताह के अंदर राशन कार्ड का वितरण नहीं हुआ तो नगर निकाय चुनाव के बाद ही गरीबों को अनाज नसीब होगा.
अधिकारियों का पेच गरीबों के निवाले पर भारी
इस योजना का सूरत-ए-हाल तो यह है कि अधिकारियों को अपने-अपने दाव-पेंच के आगे गरीबों की भूख नहीं दिखती है. एक तरफ जहां आपूर्ति विभाग ने वर्ष 2015 के नवंबर में ही सूची के आधार पर अनाज का आवंटन और उठाव भी करा दिया, वहीं गरीबों में राशन कार्ड के वितरण को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखाया.
केवल ग्रामीण इलाकों में ही यह योजना जमीन पर उतरा. वहीं निगम द्वारा भी जानकारी और कर्मियों की कमी को आधार बना कर इसे टाल दिया गया. फलस्वरूप पिछले पांच महीने से जहां गांवों में गरीब अनाज उठा रहे हैं, वहीं शहरी क्षेत्र के गरीब आज भी अनाज से वंचित हैं.
17 मई से नगर निकाय चुनाव को लेकर नामांकन कार्य होगा प्रारंभ
वर्ष 2014 से ही किसी न किसी बहाने लटकती रही है यह योजना
वर्तमान सूची से 32 प्रतिशत होगी कटौती
जानकारी के अनुसार आपूर्ति विभाग इस अनाज योजना के तहत बनी फाइनल सूची के तहत आवंटित करीब 18 हजार यूनिट अनाज से 32 प्रतिशत की कटौती करने की तैयारी कर चुकी है. बताया जाता है कि निगम क्षेत्र के 46 वार्डों से बनी 4000 परिवारों की सूची में से कई लोगों के नाम बाहर किये जा सकते हैं.
इस संबंध में बताया जाता है कि कई ऐसे लोग इस योजना के तहत सूचीबद्ध कर लिये गये हैं, जो इस श्रेणी में नहीं आते हैं या फिर वो किसी और योजना में शामिल है. उन्हें चिन्हित कर सूची संशोधित की जा रही है.

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