पूर्णिया : रोग के इलाज के लिए सिर्फ शारीरिक चिकित्सा नहीं, भाव जगत की चिकित्सा भी होनी चाहिए. हमारे विचार, हमारा व्यवहार तथा हमारे भाव निर्मल, पवित्र रहेंगे तो शरीर व्याधिग्रस्त नहीं होगा. कैंसर एवं अन्य रोग होने के कई कारण हो सकते हैं. नकारात्मक सोच और प्रतिशोध की भावना भी एक कारण हो सकता है. इसे नकारा नहीं जा सकता है. हमें रोग मुक्त रहने के लिए सकारात्मक सोच, क्षमा, दया और मैत्री भाव का विकास अपने अंदर करना चाहिए.
उक्त बातें मंगलवार को तेरापंथ भवन के प्रज्ञा सभागार में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित कैंसर प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए साध्वी मंगल प्रज्ञा जी ने कही. इस मौके पर डा गोपी प्रसाद एवं डा स्वीटी बतौर प्रशिक्षक मौजूद थे. कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉक्टरों ने उपस्थित महिलाओं को कैंसर की बीमारी से बचाव को लेकर कई तरीकों पर चर्चा की और उन्हें कैंसर से बचाव को लेकर सुरक्षित और संयमित रहने को कहा. कहा कि कैंसर जैसी घातक बीमारी का इलाज भले ही अब संभव है,
लेकिन थोड़ी जागरूकता और थोड़ी सतर्कता को अपना कर इस रोग से दूर रहा जा सकता है. इस दौरान महिला मंडल शांता संचेती, बबीता मालू, रीना संचेती, सीमा वैद्य ने मंगल गान किया. उपासिका संतोष जी श्रीमाल ने स्वागत भाषण दिया. आभार ज्ञापन महिला मंडल की अध्यक्षा तारा दुग्गड़ ने किया. वहीं कार्यक्रम संचालन मंत्री शांता संचेती ने किया.