ओपीडी से आपातकालीन सेवा तक पसरी है बदइंतजामी केस स्टडी-एकडगरुआ प्रखंड के एकहौआ गांव से हरि राय खांसी की शिकायत पर एक्स रे कराने सदर अस्पताल पहुंचा था. उसके अस्पताल पहुंचते ही ग्यारह बज गये. वह निबंधन काउंटर से ले कर एक्स रे सेंटर तक सवेरे एक्स रे कर देने का गुहार लगाया. लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गयी. अंतत:बिना इलाज कराये घर वापस चला गया. केस स्टडी-दोश्रीनगर प्रखंड के झुन्नी बलूआ निवासी सरिता देवी प्रसव पीड़ा में अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड पहुंची थी. वह पीड़ा से कराहती रही, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गयी. परिजन थक हार कर उसे बाहर ले जाकर प्रसव कराया. केस स्टडी -तीनबायसी प्रखंड के हिजला गांव निवासी शाहेदा खातुन सड़क हादसे में घायल होकर सदर अस्पताल में गंभीर अवस्था में अस्पताल में भरती हुई थी. उन्हें एक युनिट रक्त चढ़ाने की आवश्यकता थी. परिजन रक्त ले कर चढ़ाने के लिए आपातकालीन सेवा से लेकर वार्ड तक स्वास्थ्य कर्मियों से गुहार लगाता रहा. जब उसे रक्त चढ़ाने आया तो तब तक उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे. ——————पूर्णिया. यह बानगी है पूर्वोत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पूर्णिया का सदर अस्पताल का. ओपीडी से लेकर आपातकालीन सेवा, मेटरनिटी वार्ड चारों ओर अव्यवस्था व बदइंतजामी का आलम पसरा हुआ है. यहां के ओपीडी में मरीजों की भीड़ में बेहताशा लगती है. यहां लगने वाली भीड़ से अस्पताल की बदइंतजामी का पोल खोलने के लिए काफी है. यहां पहुंचने वाले तमाम मरीज सुबह से शाम तक भागम-भाग व धक्का-मुक्की के बीच इलाज कराने की कोशिश में दिखते हैं. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिसका जोर, उसका इलाज वाली कहावत चरितार्थ होती है. मरीजों के इस पीड़ा का स्थायी इलाज फिलहाल दूर -दूर तक नहीं दिख रहा है. लगती है लंबी कतार————इसमें कोई दो राय नहीं है कि सदर अस्पताल के हर सेवा से अधिक ओपीडी में मरीजों की भीड़ लगती है. यहां रोजाना औसतन एक हजार से अधिक मरीज जिले के विभिन्न प्रखंडों से पहुंचते हैं. सबों के मन में उम्मीद होती है कि यहां उसके मर्ज का इलाज संभव हो जायेगा. लेकिन जैसे ही निबंधन के कतार पर खड़ा होता है. उसकी उम्मीदें जवाब देने लगती है. सुबह से शाम तक लंबी-लंबी कतारों के बीच इलाज के आस में खड़े होते हैं. लेकिन ओपीडी का समय बीतते ही मायूसी के साथ बिना इलाज कराये बैरंग वापस लौटने की मजबूरी देखते ही बनती है. अस्पताल प्रबंधन मरीजों के इस दर्द से अनजान बनी हुई है. भीड़ के साथ ही बढ़ जाती है धक्का-मुक्की ———-ओपीडी में निबंधन से लेकर जांच तक धक्का मुक्की की स्थिति तो बनी रहती ही है. इसके बीच भी इस काउंटर से उस काउंटर तक भागम-भाग की स्थिति बनी रहती है. यदि कोई मरीज भागम भाग में किसी भी जांच में चूक गया तो उसे अब दूसरे शिफ्ट की प्रतीक्षा में बैठना पड़ता है. कुल मिला कर एक मरीज का एक दिन इसी प्रक्रिया में बीत जाता है. बाहर से आने वाले मरीज तो प्रथम शिफ्ट में किसी प्रकार निबंधन करा लेते हैं लेकिन काउंसेलिंग के लिए दूसरे शिफ्ट की प्रतिक्षा में रहना पड़ता है. इस प्रकार इन मरीजों को दो दिन का चक्कर इलाज कराने में लग जाता है. अस्पताल प्रबंधन की इस बदइंतजामी के कारण इस प्रतिष्ठित अस्पताल के शाख को गहरा धक्का लग रहा है. लिहाजा लोग अब यहां इलाज के लिए आने से कतराने लगे हैं. कलर डिस्प्ले सिस्टम भी हुआ फेल——————पिछले वर्षों में अस्पताल की भीड़ नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाखों रुपये खर्च कर क्यू मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किया गया था. इस सिस्टम को लगाने में तत्कालीन डीएम मनीष कुमार वर्मा दिलचस्पी दिखाई थी. इस सिस्टम के तहत लोग निबंधन के बाद आराम से ओपीडी के आगे लगे कुर्सी पर बैठ कर कलर डिस्प्ले में अपनी बारी की प्रतिक्षा करते थे. बिना किसी धक्का -मुक्की के मरीज अपना इलाज करा कर घर वापस चले जाते थे. लेकिन अफसोस इस बात का है कि लगने के कुछ महिनों के बाद यह सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया. जिसको ठीक कराने की अब तक कोई कोशिश ही नहीं की गयी. लाखों के लागत से यह सिस्टम कचरे के ढेर पर पड़ा है. ओपीडी के दीवार लगे खराब कलर डिस्प्ले अस्पताल के बदइंतजामी का रोना रो रही है. दवा लेने में मचती है हाय-तौबामरीजों को दवा वितरण के लिए काउंटर भी नाकाफी साबित हो रहा है. लिहाजा यहां भी ओपीडी बंद होने के घंटों बाद भी दवा लेन के लिए मारा मारी देखने को मिलती है. दवा वितरण केंद्र के चारो केंद्रों पर ओपीडी बंद होने के घंटों बाद तक लंबी लंबी कतारें देखने को मिलती है. यहां भी धक्का मुक्की की स्थिति बनी रहती है. जिससे कमजोर मरीजों को दवा लेने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कहते हैं अधिकारी———-हमारे पास जितना संसाधन था, सब लगा दिया. अब डॉक्टरों के पास दवा वितरण के काउंटर बढ़ाने के कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है, जिससे काउंटरों की संख्या बढ़ायी जा सके. भविष्य में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी तो उस हिसाब से संसाधन उपलब्ध होंगे तभी काउंटर बढ़ सकता है. डॉ एमएम वसीम, सिविल सर्जन, पूर्णियाफोटो:15पूर्णिया2व 3परिचय2-ओपीडी बंद होने के बाद भी ओपीडी के आगे लगी भीडपरिचय3-सिविल सर्जऩ
ओपीडी से आपातकालीन सेवा तक पसरी है बदइंतजामी
ओपीडी से आपातकालीन सेवा तक पसरी है बदइंतजामी केस स्टडी-एकडगरुआ प्रखंड के एकहौआ गांव से हरि राय खांसी की शिकायत पर एक्स रे कराने सदर अस्पताल पहुंचा था. उसके अस्पताल पहुंचते ही ग्यारह बज गये. वह निबंधन काउंटर से ले कर एक्स रे सेंटर तक सवेरे एक्स रे कर देने का गुहार लगाया. लेकिन उसकी […]
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