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आलू को रोग से बचाव के लिए उपचारित बीज जरूरी

आलू को रोग से बचाव के लिए उपचारित बीज जरूरी पूर्णिया. आलू फसल का विषाणु झुलसा है. पत्तियों का एकाएक सूखना एवं पौधे को मुरझाना इसकी प्रमुख पहचान है. आक्रांत पौधे को उखाड़ने पर इसका जड़ भाग काला दिखता है. उक्त बातें सहायक निदेशक पौधा संरक्षण पूर्णिया सतीश कुमार ने कही. उन्होंने कहा कि इसके […]

आलू को रोग से बचाव के लिए उपचारित बीज जरूरी पूर्णिया. आलू फसल का विषाणु झुलसा है. पत्तियों का एकाएक सूखना एवं पौधे को मुरझाना इसकी प्रमुख पहचान है. आक्रांत पौधे को उखाड़ने पर इसका जड़ भाग काला दिखता है. उक्त बातें सहायक निदेशक पौधा संरक्षण पूर्णिया सतीश कुमार ने कही. उन्होंने कहा कि इसके नियंत्रण के लिए खेत को साफ-सुथरा रखना आवश्यक है और उपचारित बीज को खेतों में लगाना चाहिए. कहा कि आलू के झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड का 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के दर से तथा स्ट्रेप्टोसायक्वीन की 6 ग्राम मात्रा प्रति 5 लीटर की दर से मिला कर अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड तीन ग्राम प्रति लीटर पानी और भेलीडाआईसीन 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव से पौधा रोग मुक्त हो जाता है. आलू की आगात व पिछात फसल झुलसीसहायक निदेशक पौधा संरक्षण श्री कुमार ने कहा है कि तापक्रम का एकाएक 10 डिग्री सेंटीग्रेड पर जाने एवं आर्द्रता में वृद्धि तथा बूंदा-बूंदी की स्थिति में इन रोगों का प्रकोप तेजी से बढ़ता है. उन्होंने कहा कि मौसम के रोग अनुकूल होते ही अविलंब मैकोजेब 75 प्रतिशत का 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा मैकोजेब तथा कार्वन्डाजीन या मेटालेक्सील का 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर की दर से घोल बना कर छिड़काव करने से पौधे स्वस्थ रहते हैं. फोटो: 16 पूर्णिया 28परिचय: सतीश कुमार

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