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सदर अस्पताल:स्वास्थ्य सेवा की राह है कठिन

सदर अस्पताल:स्वास्थ्य सेवा की राह है कठिन पूर्णिया : सदर अस्पताल के स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर गिरावट देखने को मिल रहा है. इससे सदर अस्पताल की ओपीडी,आइपीडी,आपातकालीन सेवा समेत कई विभागों में मरीजों की संख्या में काफी कमी देखने को मिल रही है. डॉक्टरों का अभाव तो स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर ही रहा है, […]

सदर अस्पताल:स्वास्थ्य सेवा की राह है कठिन

पूर्णिया : सदर अस्पताल के स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर गिरावट देखने को मिल रहा है. इससे सदर अस्पताल की ओपीडी,आइपीडी,आपातकालीन सेवा समेत कई विभागों में मरीजों की संख्या में काफी कमी देखने को मिल रही है. डॉक्टरों का अभाव तो स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर ही रहा है,

साथ ही मरीजों के प्रति डॉक्टरों की संवेदनहीनता भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा की राह में रुकावट साबित हो रही है. इस मामले में विभागीय उदासीनता सदर अस्पताल की साख पर बट्टा लगाने का काम कर रही है. 59 में से मात्र 29 डॉक्टरसदर अस्पताल में डॉक्टरों के सृजित पद 59 की तुलना में मात्र 29 डॉक्टर कार्यरत हैं. इसके कारण बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मरीजों को हासिल नहीं हो पा रही है. इसके अलावा पारा मेडिकल कर्मियों की भी कमी सदर अस्पताल में है.

इन वजहों से कुछ डॉक्टर और पारा कर्मियों पर अनावश्यक मानसिक दबाव बना रहता है. जबकि कई डॉक्टर और कर्मी ऐसे भी हैं जिन्हें सदर अस्पताल की बेहतरी से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसा नहीं है कि डॉक्टर और कर्मियों की कमी का पता आला अधिकारियों को नहीं है लेकिन सभी जान कर भी अनजान बने हुए हैं. मरीज के प्रति संवेदनशील नहीं हैं डॉक्टर सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भरती मरीजों ने बताया कि पिछले कुछ माह से डॉक्टर वार्डों में नहीं जा रहे हैं.

उनका कहना है कि अधिकांश डॉक्टर नर्सों के ड्यूटी कक्ष में बैठ कर दवा आदि लिख कर वापस घर चले जाते हैं. इससे मरीजों की वास्तविक पीड़ा को नहीं समझ पाते हैं. इस हवा-हवाई इलाज से मरीजों को कितना लाभ हो पाता है यह कहना तो कठिन है लेकिन डॉक्टर और अस्पताल के प्रति मरीजों में अविश्वास जरूर पैदा होता है. ऐसी समस्या आइसोलेशन,वर्न,ऑर्थोपेडिक,महिला वार्ड में देखने व सुनने को मिल रहा है. मरीजों की संख्या में कमीपूर्वोत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल होने के नाते नेपाल,प बंगाल,कोसी एवं सीमांचल के लोगों को इस अस्पताल से बड़ी अपेक्षाएं रहती है.

हाल के दिनों में अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था के कारण लोग यहां आने से अब कतराने लगे हैं. गौरतलब है कि पूर्व में सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज के लिए प्रति दिन 1200 मरीज पहुंचते थे. जबकि आपातकालीन सेवा में औसतन 100 के आस पास मरीज पहुंचते थे. अब आलम यह है कि दोनों विभागों में मरीजों की संख्या क्रमश: 800 एवं 75 पर सिमट कर रह गयी है.

अधिकांश मामलों में किया जाता है रेफरसदर अस्पताल पहुंचने वाले अधिकांश मरीजों को रेफर टू हाइयर सेंटर लिख कर यहां तैनात डॉक्टर अपने कर्तव्यों का इति श्री कर लेते हैं. दूर-दराज इलाके से आने वाले मरीजों को इस तरह का पर्चा थमाये जाने के बाद वे खुद को ठगा महसूस कर रहे होते हैं.

डॉक्टरों के इस रवैये से सदर अस्पताल की प्रतिष्ठा सवालों के घेरे में है. साथ ही इसी अस्पताल के बहाने आबाद यहां के विशाल मेडिकल हब पर भी व्यापक असर पड़ रहा है. टिप्पणीउपलब्ध संसाधनों के आधार पर बेहतर सेवाएं मरीजों को उपलब्ध करायी जा रही है. जहां तक डॉक्टरों के वार्डों में राउंड नहीं लगाने की बात है. इस आशय की कोेई सूचना नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी. डॉ एमएम वसीम,सिविल सर्जन पूर्णियाफोटो: 27 पूर्णिया 1परिचय: सदर अस्पताल परिसर

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