ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्णिया कुल सीट-सातकहीं सीधी टक्कर तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला के आसार ———————————— पूर्णिया जिले की सात विधानसभा सीट पर पांच नवंबर को मतदान की तिथि निर्धारित है. चुनावी कुरुक्षेत्र में रथी और महारथी के चेहरे भी स्पष्ट हो चुके हैं. वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में दो सीट जदयू, चार सीट भाजपा और एक सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी. लेकिन यह वर्ष 2015 है और अब राजनीतिक समीकरण के साथ-साथ सामाजिक समीकरण भी बदले-बदले नजर आ रहे हैं. चुनावी मैदान में प्रत्याशियों का ताबड़तोड़ जनता दर्शन कार्यक्रम जारी है. वहीं चौक-चौराहे से लेकर गांव के चौपाल तक चुनावी चर्चा छिड़ी हुई है. चुनाव परिदृश्य की बात करे तो इतना बदलाव तो जरूर आया है कि अब मतदाता विकास की भी बात कर रहा रहे हैं. लेकिन स्याह सच यह है कि विकास के साथ-साथ जाति की भी बात चल रही है. पांच नवंबर को विकास पर जाति भारी पड़ता है या विकास की जय होती है यह आने वाला वक्त ही बतायेगा. बहरहाल इस सत्ता संग्राम में अधिकांश जगहों पर सीधी लड़ाई तो कहीं त्रिकोणीय और कहीं चतुष्कोणीय भी नजर आ रहा है. हर दल में घमासान मचा है और बागी उम्मीदवार खेल बिगाड़ने के लिए तैयार है. तीसरा मोरचा कहीं एनडीए तो कहीं महा गंठबंधन के लिए भी परेशानी का सबब हो सकता है. इसके अलावा एआईएमआईएम समेत कई अन्य दल और निर्दलीय राजनीतिक जमीन तलाशने की जद्दोजेहद में जुटे हुए हैं. अमौर विधान सभा——————-वोटर -2,78,978विधान सभा चुनाव 2010जीते-सबा जफर (भाजपा)हारे-जलील मस्तान (कांग्रेस)मैदान में इस बार-13 प्रत्याशी महागंठबंधन-जलील मस्तान (कांग्रेस)एनडीए-सबा जफर (भाजपा)एनसीपी-शाहबुज्जमा जअपा-बाबर आजम पिछले चुनाव के प्रतिद्वंद्वी फिर आमने-सामने हैं. फर्क इतना है कि एक एनडीए तो दूसरा महा गंठबंधन प्रत्याशी है. बहुचर्चित ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी नवाजीस आलम उर्फ मिस्टर भी चुनाव मैदान में है. वहीं तीसरा मोरचा में यहां दोस्ताना संघर्ष होगा. एनसीपी के शाहबुज्जमा और जनअधिकार पार्टी के बाबर आजम आमने-सामने होंगे. इसके अलावा बीएसपी के नसीम अख्तर और लोकदल के प्रेमनाथ भगत भी ताल ठोक रहे हैं. यह मुसलिम बहुल इलाका है और यहां इसके दो समुदाय कुल्हैया और सूरजापुरी की अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा रही है. हिंदू जिनके साथ होते हैं उनका पलड़ा भारी रहता है. लेकिन इस बार कुछ हट कर समीकरण सामने आये तो आश्चर्य नहीं होगा. बायसी विधान सभा क्षेत्र ——————-वोटर -2,44,829विधान सभा चुनाव 2010जीते-संतोष कुशवाहा(भाजपा)हारे-हाजी अब्दुस सुभान(राजद)मैदान में इस बार-12 प्रत्याशी महा गंठबंधन-हाजी अब्दुस सुभान (राजद)एनडीए-अजीजुर्रहमान (रालोसपा)जअपा-मो सैयद रूकनुद्दीनएआइएमआईएम-गुलाम सरवर बायसी विधान सभा की राजनीतिक फिजां बदली-बदली हुई है. गत चुनाव के विजेता संतोष कुशवाहा अब जदयू कोटे से पूर्णिया के सांसद हैं. श्री कुशवाहा के निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे हाजी अब्दुस सुबहान उपचुनाव 2014 में विधायक निर्वाचित हुए हैं. वहीं एनडीए प्रत्याशी के रूप में रालोसपा के अल्पसंख्यक उम्मीदवार अजीजुर्रहमान मैदान में है. सीमांचल में राजनीतिक जमीन तलाश रही एआईएमआईएम ने गुलाम सरवर को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं जनअधिकार पार्टी के मो रूकनुद्दीन मैदान में है और वे पूर्व में भी विधायक रह चुके हैं. ऐसे में यहां त्रिकोणीय अथवा चतुष्कोणीय संघर्ष से इनकार नहीं किया जा सकता है. कसबा विधान सभा क्षेत्र—————-कुल मतदाता-2,61,802वर्ष 2010 चुनाव जीते-आफाक आलम (कांग्रेस)हारे-प्रदीप कुमार दास (बीजेपी)इस बार मैदान में- 15 प्रत्याशी महा गंठबंधन-आफाक आलम (कांग्रेस)एनडीए-प्रदीप कुमार दास(भाजपा)एनसीपी-सैयद गुलाम हुसैन दीपक कुमार चौहान-निर्दलीय संजय कुमार मिर्धा-निर्दलीय यहां कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई हमेशा से चलती रही है. वर्ष 2010 से पहले लगातार तीन बार भाजपा इस सीट पर अपनी जीत दर्ज कर चुकी है. यह सीट वैश्य बहुल है. उसके बाद यादव एवं मुसलिम मतदाताओं की संख्या है. ऐसे में सामाजिक समीकरण के आधार पर वोटों की गोलबंदी कोई भी गुल खिला सकती है. बहरहाल मुकाबला सीधा माना जाता है लेकिन एनसीपी किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दीपक कुमार चौहान और संजय कुमार मिर्धा भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जो एनडीए और महा गंठबंधन के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. बनमनखी विधान सभा क्षेत्र (सु)——————–वोटर-2,79,862वर्ष 2010 चुनाव-जीते-कृष्ण कुमार ऋषि (भाजपा)हारे-धर्मलाल ऋषि(राजद)इस बार मैदान में-18 प्रत्याशी महागंठबंधन -संजीव कुमार पासवान (आरजेडी)एनडीए-कृष्ण कुमार ऋषि जअपा-हरिलाल दास निर्दलीय-देवनारायण रजक 1962 ई से यह सीट सुरक्षित है और वर्ष 2000 से ही यहां भाजपा प्रत्याशी जीत रहे हैं. यहां एक चीनी मिल हुआ करती थी जो वर्षों से बंद पड़ी है. लिहाजा यहां रोजगार के लिए पलायन स्थायी समस्या है. महा गंठबंधन ने बिल्कुल नये खिलाड़ी को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा के पूर्व विधायक देवनारायण रजक बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ सकती है. वहीं जअपा प्रत्याशी हरि लाल दास महा गंठबंधन प्रत्याशी के लिए परेशान का सबब बन सकता है. लिहाजा त्रिकोणीय मुकाबला से इनकार नहीं किया जा सकता है.रूपौली विधान सभा क्षेत्र ————–वोटर-2,95,173 वर्ष 2010 चुनाव जीते-बीमा भारती (जदयू)हारे-शंकर सिंह (लोजपा)इस बार मैदान में-19 प्रत्याशी महा गंठबंधन- बीमा भारती (जदयू)एनडीए-परमानंद मंडल (भाजपा)जअपा-किरण सिंह निषाद निर्दलीय-शंकर सिंह उग्रवाद और नक्सल के लिए चर्चित रहे रूपौली विधान सभा क्षेत्र में इस बार बागियों की भरमार है. राज्य की काबीना मंत्री बीमा भारती वर्ष 2000 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही है. वहीं भाजपा ने नये चेहरा परमानंद मंडल को मैदान में उतारा है. गत विधान सभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे पूर्व विधायक शंकर सिंह इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में है. वहीं जअपा ने किरण सिंह निषाद को मैदान में उतारा है. लिहाजा त्रिकोणीय मुकाबला की संभावना नजर आ रही है. हालांकि अंतिम समय में मतों का ध्रुवीकरण यहां की खास पहचान है. ऐसे में मुकाबला सीधा और परिणाम चौंकाने वाला हो जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए. धमदाहा विधान सभा क्षेत्र——————वोटर-2,87, 146वर्ष 2010 विधान सभा चुनावजीते-लेसी सिंह (जदयू)हारे-डा इरशाद अहमद खान (कांग्रेस)इस बार मैदान में-25 प्रत्याशी महागंठबंधन-लेसी सिंह एनडीए-शंकर झा आजाद (रालोसपा)जअपा-दिलीप कुमार यादव झामुमो-तहमूल हुसैन निर्दलीय-ज्योति रानी निर्दलीय-निरंजन कुशवाहा असली चुनावी महाभारत का नजारा यहां देखने को मिल रहा है. सभी दलों में सबसे अधिक बगावत का झंडा यही लहरा रहा है. राज्य की काबीना मंत्री लेसी सिंह यहां महागंठबंधन उम्मीदवार है. लिहाजा यहां हॉट सीट मानी जा रही है. वहीं एनडीए से यह सीट रालोसपा खाते में गयी है जिसके उम्मीदवार शिवशंकर ठाकुर उर्फ शिव शंकर झा आजाद है. वहीं जअपा ने पूर्व विधायक दिलीप कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है. तहमूल हुसैन अब झामुमो प्रत्याशी हैं तो ज्योति रानी और निरंजन कुशवाहा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में खड़े हैं. इनमें से दिलीप यादव, तहमूल हुसैन, निरंजन कुशवाहा और ज्योति रानी बतौर बागी प्रत्याशी मैदान में हैं. बहरहाल मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है.पूर्णिया विधान सभा क्षेत्र —————–वोटर-2,82,114वर्ष 2010 का चुनाव-जीते-राज किशोर केसरी (जीते)हारे-रामचरित्र यादव (कांग्रेस)इस बार मैदान में -25 प्रत्याशी महागंठबंधन-इंदू सिन्हा (कांग्रेस)एनडीए-विजय खेमका (भाजपा)जअपा-अरविंद कुमार साह भोला निर्दलीय -राम चरित्र यादव सपा-कर्नल अक्षय यादव विगत 5 वर्षों में सदर विधान सभा क्षेत्र सबसे अधिक राजनीतिक उथल-पुथल का गवाह रहा है. यहां वर्ष 2011 में विधायक राज किशोर केसरी की हत्या हुई तो उपचुनाव में स्व केसरी की विधवा किरण केसरी भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुई. अब श्रीमती केसरी बेटिकट हैं और भाजपा ने विजय खेमका पर भरोसा जताया है. वहीं महा गंठबंधन प्रत्याशी जिला कांग्रेस अध्यक्ष इंदू सिन्हा बनायी गयी है. जअपा के अरविंद कुमार साह भोला भी मैदान में खड़े हैं तो गत चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे रामचरित्र यादव बतौर निर्दलीय प्रत्याशी और सपा के कर्नल अक्षय यादव कड़ी चुनौती दे रहे हैं. लिहाजा सदर का मुकाबला काफी संघर्ष भरा है और त्रिकोणीय है.
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ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्णिया कुल सीट-सातकहीं सीधी टक्कर तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला के आसार ———————————— पूर्णिया जिले की सात विधानसभा सीट पर पांच नवंबर को मतदान की तिथि निर्धारित है. चुनावी कुरुक्षेत्र में रथी और महारथी के चेहरे भी स्पष्ट हो चुके हैं. वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में दो सीट जदयू, चार सीट भाजपा […]
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