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इलेक्शन लाइव : नेताओं का जड़ एक, टहनी अलग-अलग

इलेक्शन लाइव : नेताओं का जड़ एक, टहनी अलग-अलग पूर्णिया. जब भी चुनाव का समय आता है, मामला विकास और जाति के बीच फंस कर रह जाता है. लेकिन विडंबना यह है कि विकास की बातें करने वाले भी अंतत: जाति के जंजाल से बाहर नहीं निकल पाते हैं. यूं भी विकास बड़ा ही उलझा […]

इलेक्शन लाइव : नेताओं का जड़ एक, टहनी अलग-अलग पूर्णिया. जब भी चुनाव का समय आता है, मामला विकास और जाति के बीच फंस कर रह जाता है. लेकिन विडंबना यह है कि विकास की बातें करने वाले भी अंतत: जाति के जंजाल से बाहर नहीं निकल पाते हैं. यूं भी विकास बड़ा ही उलझा शब्द है. वह इसलिए कि किसी के लिए विकास हुआ है तो किसी के लिए विकास अधूरा है. इसी विकास और जाति की खोज में चुनाव के बहाने हमने नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न हिस्से का दौरा कर विकास और जाति के बीच की सच्चाई तलाशने की कोशिश की. दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे. हमारा पहला पड़ाव वार्ड नंबर 42 का हिस्सा रूई गोला था. यहां आज भी सड़क के नाम पर ईंट सोलिंग है, जो दो दशक पहले के विकास का मापदंड हुआ करता था. यहीं पर युवा मंटू उरांव से मुलाकात हुई. बातचीत के आरंभ में चुनाव के प्रति वैराग्य भाव दिखाते हुए उसने टालने की कोशिश की. फिर आगे उसने कहा ‘ सब नेता मिलल-जूलल है, हमलोग कमाने-खटने वाले हैं, पॉलटिक्स से कौनो लेना-देना नहीं है ‘. पास बैठे मंटू के चाचा बालदेव उरांव ने कहा ‘ जो देखभाल करे, वही बढ़िया नेता है. किसी को तो वोट देना ही है, दे देंगे ‘. माधोपाड़ा बंगाली टोला में आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 22 पर भीड़-भाड़ देखने को मिली. दो दर्जन से अधिक बच्चे थे और कई माताएं भी मौजूद थी. सहायिका वैशाली दास बच्चों के लिए खिचड़ी बना रही थी, जबकि सेविका टूनू दास बच्चों को संभालने की कोशिश में जुटी हुई थी. चुनाव जागरूकता के रंग में आंगनबाड़ी केंद्र भी रंगा हुआ था. केंद्र की दीवार पर लिखा था ‘ लालच देकर वोट जो मांगे, भ्रष्टाचार करेगा आगे ‘. केंद्र पर मौजूद अनीता देवी, गेंदा देवी, छोटी देवी जैसी कई महिलाएं मौजूद थी. चुनाव के बाबत पूछे जाने पर कुछ अधिक नहीं बता सकी. उन्हें यह भी पता नहीं कि कौन-कौन से प्रत्याशी मैदान में हैं. जाहिर है, यहां और अधिक जागरूकता की जरूरत है. आंगनबाड़ी केंद्र से आगे बढ़ा तो मवेशी चरा रहे कानू राम और राजेंद्र उरांव से मुलाकात हुई. कानू राम ने बताया ‘ कुइछ लोग गुलाबबाग स आइल रहै, हमनी के पास जे आवे छै सब के कहै छियै तोरे वोट देबअ ‘. चुनावी सफर में आगे बढ़ा तो नेवालाल चौक पर भीड़-भाड़ नजर आयी. सिद्धार्थ अपनी दुकान में कचिया और खुरपी को तेज करने की कवायद में जुटा था. पूछने पर पसीने से तर-बतर सिद्धार्थ ने कहा ‘ राजनीति के बारे में सोचने का भी फुरसत नहीं होता है ‘. पास ही सैलून चलाने वाले रंजीत ठाकुर ने कहा ‘ कहां वोट देना है, लोगों को अच्छी तरह से पता है. लोग अपना मन बना चुके हैं ‘. आगे बढ़ने पर स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले दिलीप कुमार से मुलाकात हुई. उसने कहा ‘ मैं दुकानदार हूं और दुकान में जो पूंजी लगायी है, उससे आगे कमाई उद्देश्य है. आप बताइए कि जिन्होंने करोड़ों रुपये में टिकट खरीदे हैं, उनका उद्देश्य क्या है ‘. आगे बढ़ा तो सूरज साह की नाश्ते की दुकान पर 03-04 लोग बैठे हुए थे. श्री साह सिंघाड़ा बनाने की जुगत में लगे हुए थे. श्री साह बताने लगे कि भट्ठा बाजार में दुकान चलाते थे तो उस दौर में एक आना में सिंघाड़ा बेचा करते थे. अब वह ना जमाना रहा और ना ही वैसे लोग रहे. बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो एक ने अपना नाम मो हकीम और दूसरे ने सरदार बलजीत सिंह बताया. चुनाव की बात हुई तो सूरज साह ने कहा ‘ अभी पिक्चर क्लियर नहीं है, कुछ भी नहीं कहा जा सकता ‘. बात फिर आगे बढ़ी तो मो हकीम ने कहा ‘ प्याज 60 रुपये, अरहर दाल 200 रुपये और मसूर दाल 110 रुपये. क्या यही अच्छे दिन आये हैं ‘. सवाल दलजीत ने पूछा ‘ कौन है इसके लिए जिम्मेवार ‘. जवाब देते हुए मो हकीम ने कहा ‘ प्रधानमंत्री जाने ‘. दलजीत ने कहा ‘ नहीं राज्य सरकार जिम्मेवार है. केंद्र से मदद नहीं लेता है ‘. बहस तल्ख होने लगी तो हस्तक्षेप करते हुए सूरज साह के बेटे राजेश ने कहा ‘ साहब आप लोग मार करवाइएगा क्या ‘. इसके बाद कुछ देर के लिए गतिरोध उत्पन्न हो गया. कुछ देर के बाद फिर चुनावी चर्चा हुई. दलजीत ने कहा ‘ विकास चाहिए, जो मिल जुल कर ही होगा ‘. मो हकीम ने कहा ‘ विकास के साथ-साथ सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है ‘. दलजीत ने कहा ‘ कानून व्यवस्था की स्थिति अब खराब है ‘. हकीम ने कहा ‘ दिल्ली में क्यों हो रहा है दुष्कर्म ‘. दलजीत ने कहा ‘ सब कुछ हो, लेकिन जात-पात नहीं होना चाहिए ‘. हकीम ने कहा ‘ नेता लोग ही बांट कर राज करना चाहते हैं ‘. इसके बाद जो बातचीत का परिदृश्य बदला वह हमारे लिए भी अप्रत्याशित था. अब दलजीत और मो हकीम के सुर मिल चुके थे. दलजीत ने कहा ‘ हर नेता एक जैसा है ‘. हकीम ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा ‘ सब नेताओं का जड़ एक है, टहनी अलग-अलग है ‘. दलजीत ने कहा ‘ सब मतलबी हैं, राजनीति में दुश्मन भी दोस्त हो जाते हैं ‘. हकीम ने कहा ‘ अरे भाई, यह दुश्मनी चुनाव तक ही रहती है. सब एक-दूसरे के यहां भोज खाने जाते हैं ‘. बातचीत को यही विराम देते हुए मैं आगे बढ़ गया. फोटो : 24 पूर्णिया 3, 4परिचय :3- लोहार की दुकान पर बैठे लोग4 – आंगनबाड़ी केंद्र में मौजूद बच्चे

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