बनमनखी: मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में खास स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार एक बड़ी राशि खर्च कर रही है. खासकर पैसों के अभाव में इलाज से वंचित रहने वाले लोगों के लिए सरकारी अस्पतालों में चलायी जा रही योजनाओं से मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ी है. लेकिन विडंबना है कि लोगों के कल्याण के लिए चलायी जा रही योजनाओं का समुचित लाभ उन्हें मिल पाना असंभव बना हुआ है. विभिन्न प्रखंडों के सरकारी अस्पतालों में चलायी जा रही योजनाओं की वास्तविक तसवीर दिखाने के लिए चलाये जा रहे अभियान के तहत गुरुवार को प्रभात खबर की टीम अनुमंडलीय अस्पताल पहुंची. दो घंटे तक समय बिताने के बाद टीम ने पाया कि अस्पताल में ओपीडी, परची काउंटर तथा दवा वितरण काउंटर की स्थिति तो ठीक थी, लेकिन मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध मुफ्त दवा के बदले अस्पताल में सक्रिय दलाल मरीजों को जेनरिक दवा दुकान से दवा खरीदवा रहे थे. इसके साथ ही साथ कुछ खास जांच घर भी बंद पड़े थे. अस्पताल में आउटसोर्सिग सेवा की बदइंतजामी के कारण मरीजों को लाभ से वंचित रखने की तसवीर सामने आयी.
10.56 बजे
तीन-चार दिन पहले ही सिविल सजर्न ने अस्पताल के औचक निरीक्षण में साफ-सफाई की व्यवस्था पर नाराजगी जतायी थी. उन्होंने इसमें सुधार के निर्देश दिये थे. लेकिन अस्पताल की हालत आज भी जस की तस थी. अस्पताल परिसर में जहां-तहां मक्खियां भिनभिना रही थीं. लेबर रूम के सामने की यह स्थिति अस्पताल परिसर में व्याप्त कुव्यवस्था को साफ-साफ दर्शा रही थी.
11.04 बजे
दिन के 11 बज कर चार मिनट हो चुके थे. लेकिन दंत चिकित्सक का कक्ष खाली पड़ा था. इस बाबत पीएचसी प्रभारी डॉ आरएन सिंह ने बताया कि दंत चिकित्सक की डय़ूटी रोज लगती है, कक्ष में इंस्ट्रमेंट्स नहीं रहने के कारण डॉक्टर साहब कक्ष में नहीं बैठते हैं.
11. 07 बजे
टीम जब कुष्ठ, कालाजार व नि:शक्तता कक्ष का मुआयना करने पहुंची तो वहां की स्थिति भी यही थी, सभी कक्ष में ताले लटक रहे थे. इस बाबत पूछे जाने पर पता चला कि जांच घर के प्रभारी क्यूज करवाने विद्यालय गये थे. नि:शक्तता जांच घर के प्रभारी के ऊपर कुष्ठ जांच घर का अतिरिक्त जिम्मा है. कालाजार जांच घर के प्रभारी के बारे में कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं दे पाये.
11. 09 बजे
अस्पताल में भरती मरीजों के भोजन की व्यवस्था के लिए कमरा नंबर 37 में आउटसोर्सिग सेवा कक्ष है, दिन के 11.09 बजे तक उक्त कक्ष में भी ताला जड़ा था. इससे अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों के लिए सरकार की ओर से संचालित भोजन योजना की सच्चई का पता सहज ही लग जाता है. इस संदर्भ में नगराही गांव से अस्पताल पहुंची प्रसूता सुनीता देवी ने बताया कि वे गुरुवार सुबह चार बजे ही भरती हुई थीं, लेकिन दिन के बारह बज कर 56 मिनट तक उन्हें खाना तो दूर नाश्ता तक उपलब्ध नहीं कराया गया.
11. 46 बजे
अस्पताल में भरती मरीजों के लिए बेड व बेड शीट की मुकम्मल व्यवस्था है, लेकिन प्रसव गृह में नवजात तथा जच्च को बिना बेडशीट वाले बेड पर ही लिटा दिया गया था. इससे इंफेक्शन का खतरा मंडरा रहता है.
12.04 बजे
दवा की समुचित व्यवस्था अस्पताल में रहने की बात बतायी गयी. कुछ मरीज काउंटर से दवा ले रहे थे तो कुछ ग्रामीण इलाकों के मरीजों को आशा कर्मी अस्पताल परिसर में अवस्थित जेनरिक दवा दुकान पर ले जा रही थी.
12.04 बजे
जेनरिक दवा दुकान पर सरस्वती गांव की मरीज को पुरजे के साथ आशा कर्मी पहुंची. प्रभात खबर की टीम को दुकान पर देखते ही दुकानदार तथा आशा कर्मी सकपका गये. उनसे जब पूछा गया कि पुरजे में लिखी दवा अस्पताल में उपलब्ध है या नहीं, तो पता चला कि सारी दवा अस्पताल में उपलब्ध है. ऐसी परिस्थिति में जेनरिक दवा दुकान पर मरीज को लाने का कारण पूछने पर आशा कर्मी कुछ भी बोलने से इनकार कर गयी.