उसने पहली दफा में ही सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया है कि जज्बे के आगे अर्थाभाव अथवा कोई दुविधा भी खास मायने नहीं रखता. देश भर में चयनित 93 छात्रों में एक छात्र अरविंद कुमार है. वह घर से काफी गरीब है. वह मूल रूप से अररिया जिले के पलासी थाना अंतर्गत चौड़ी गांव का रहने वाला है.
उसके पिता कमल साह एक साधारण किसान हैं. अरविंद पूर्णिया में अपने चाचा के पास रह कर साग-सत्तू खाकर रहता था. लगातार 14 महीना तक उसने एक ही परीक्षा की कड़ी तैयारी की. उसने इस सफलता का राज बताते हुए कहा कि जुनून उसका अपना था और दिशा निर्देश अपने गुरु ड्रीम एचीवर के निदेशक एचएस झा का बताया जिन्होंने उसे हर तरह से रास्ता दिखाया.