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नियम धुएं में, व्यवस्था पर जमी धूल

पूर्णिया : शहर की दो ऐसी मुख्य सड़क है जहां धुएं की धुंध के कारण वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है. शाम का समय हो और अंधेरा छा गया है तो धुएं की धुंध में सामने से आने वाली गाड़ी की रोशनी भी नहीं के बराबर दिखती. लगता है मानो जाड़े का मौसम हो […]

पूर्णिया : शहर की दो ऐसी मुख्य सड़क है जहां धुएं की धुंध के कारण वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है. शाम का समय हो और अंधेरा छा गया है तो धुएं की धुंध में सामने से आने वाली गाड़ी की रोशनी भी नहीं के बराबर दिखती. लगता है मानो जाड़े का मौसम हो और घना कोहरा छा गया हो.

जी हां, वह सड़क एक तरफ कप्तान पुल के पास है और दूसरी सड़क बायपास है. शहरवासियों को दोनों ही जगह खतरे का अहसास होता है. कभी किसी हादसे का तो कभी किसी बीमारी का डर बना रहता है.
दरअसल, शहर के इन इलाकों में सड़क किनारे कूड़ा-कचरा डंप किया जा रहा है जिससे निकलने वाली बदबू से लोगों का जीना अभी से मुहाल हो गया है जबकि अभी बरसात की सड़ांध झेलना बांकी है.
अव्वल तो यह कि कचरे में आग लगा दी गयी है जिससे धुएं का बवंडर उठ रहा है जो शाम में कोहरे के समान घना हो जाता है. कप्तानपुल के समीप कई नर्सिंग होम हैं जहां रोगियों का जमघट लगा रहता है. इसके साथ ही बगल से मुख्य सड़क गुजरती है जिस पर हमेशा लोगों की आवाजाही बनी रहती है. यहीं बगल में कई बस्तियां भी आबाद हैं.
अमूमन यही स्थिति बायपास में भी है जिसे राष्ट्रीय मार्ग 31 कहा जाता है. शहरवासियों की मानें तो बरसात में इसकी सड़ांध के कारण बगल से गुजरना भी मुश्किल हो जाता है. बसों से गुजरने के दौरान महिलाएं अक्सर उल्टी करने लगती हैं जबकि बच्चों को भी उबकाई आ जाती है.
कचरे में लगी आग से निकलने वाला धुआं न केवल आंखों में जलन देता है बल्कि उससे अलग किस्म की बदबू भी निकलती है. शहरवासी यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि यदि इससे बीमारी फैली तो इलाज की जिम्मेवारी कौन लेगा.
गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है धुआं
इस जगह से निकलने वाली बदबू व धूल तथा धुएं से भले ही लोगों को शुरुआती समय में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही हो, लेकिन कुछ सालों में ये टीबी, दमा, सहित श्वसन नली व फेफड़े से जुड़ी अन्य बीमारियों का बड़ा कारण बन सकता है. आंखों में जलन और लाली की भी शिकायत हो सकती है जबकि चर्म रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है. स्वच्छता और स्वास्थ्य के नजरिये से यह कतई सही नहीं है.
इस गंदगी के कारण संक्रमण होने वाली कोई भी बीमारी कहर बन सकती है. वाहनों से निकलने वाले धुएं की बात करें तो यह धीमा जहर है. इससे सांस और फेफड़े की बीमारी हो सकती है. धुआं चाहे वाहन का हो या कचरे का दोनों कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ता है जो मानव के लिए घातक है.
डाॅ एस. के. वर्मा. चिकित्सा विशेषज्ञ, सदर अस्पताल, पूर्णिया
धूल के धूंध में खो जाता है रंगभूमि
पूर्णिया में रंगभूमि मैदान एक शहर की एक ऐसी जगह है जहां लोग खुली हवा लेने के लिए सुबह में मॉर्निंग वाक करते हैं और शाम में टहलते हैं. पहले यहां मैदान में सिर्फ घास थे जिससे हरियाली नजर आती थी. मगर बदलते दौर में वाहनों की आवाजाही भी बीच मैदान से होने लगी है जिसके कारण घास खत्म हो गये और धूल ने घर बना लिया. यहां शाम में टहलने वाले लोगों का कहना है कि पूरा रंगभूमि मैदान प्रदुषित हो गया है.
तेज रफ्तार से दोपहिया और चारपहिया वाहनों के भागमभाग के कारण सुबह से धाम तक धूल उड़ते रहते हैं. धूल के कारण लोगों का खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. हर कोई यह सवाल खड़ा कर रहा है कि आखिर इस मैदान को प्रदूषण से बचाने की जवाबदेही किसके जिम्मे है और वह क्यों नहीं इसके लिए पहल कर रहा है.
काला धुआं उगल रहे वाहन, सांस लेना भी आफत
पूर्णिया की सड़कों पर वाहनों से निकलने वाला काला धुआं काल बन गया है. इससे खुली हवा में सांस लेना भी आफत हो गया है. यह विडंबना है कि वाहनों के पॉल्यूशन की जांच की यहां कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. हालांकि धुएं की जांच के लिए पूर्णिया में दस के करीब केंद्र खुले हुए हैं पर वहां जांच कराने के लिए न तो प्रशासनिक स्तर पर दबाव बनाया जाता है और न ही वाहन संचालक वहां खुद चल कर आते हैं.
इन केंद्रों में धुएं की जांच के लिए वही वाहन पहुंचते हैं जिन्हें शुरुआती दौर में रजिस्ट्रेशन के लिए सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. इससे धुआं जांच केंद्र के संचालक भी परेशान हैं क्योंकि इसके उपकरणों में लगायी गयी पूंजी और अपनी मेहनत के हिसाब से आय नहीं हो रही है.
हालांकि कुछ साल पूर्व चेकिंग का अभियान चलाया गया था जिसमें वाहनों के कागजात के साथ पॉल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट की भी जांच होती थी. मगर यह अभियान अधिक दिनों तक नहीं चल सका. जानकारों का कहना है कि इसकी जांच के लिए आवश्यक उपकरण ट्रैफिक पोस्ट पर भी होना चाहिए जहां ऐसे वाहनों को तुरंत पकड़ा जा सकता है पर यहां इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है.
बोले अधिकारी
जिले में 10 धुआं जांच केंद्र हैं. सभी धुआं जांच केंद्र को वाहनों की जांच के लिए कहा गया है. यही जांच केंद्र वहीं से वाहनों के जांच प्रमाण पत्र को ऑनलाइन कर देने का निर्देश दिया गया है. किसी भी सूरत में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चलने नहीं दिया जायेगा. इसकी जांच भी करवायी जा रही है.
विकास कुमार,डीटीओ, पूर्णिया
मेयर बोलीं
कप्तानपुल के समीप सड़क किनारे कोई कचड़ा नहीं फेंका जायेगा. इसके लिए निगमकर्मियों को सख्त हिदायत दी गयी है. यदि इसकी कोई शिकायत आयी तो संबंधित कर्मियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी. शहरवासियों से अपील है कि कचड़ा फेंकते निगम की गाड़ी को देखें तो इसकी शिकायत अवश्य उन तक पहुंचाएं.
सविता सिंह, मेयर, पूर्णिया
क्या हैं समस्याएं
धुएं के कारण प्रदूषण का बढ़ रहा है स्तर
बिना पुलिस कोड के ऑटो से अपराध का खतरा
ट्रैफिक पुलिस के पास ऑनस्पॉट प्रदूषण जांच की कोई सुविधा नहीं
दिन में भी दौड़ते रहते हैं बालू लदे ट्रक व ट्रैक्टर
ओवरलोडेड ऑटो कहीं भी यात्रियों को चढ़ाते और उतारते रहते हैं
आंकड़ों का आईना
02 स्थानों पर है अघोषित कचरा डंपिंग केंद्र
500 छोटी-बड़ी गाड़ियां पूर्णिया बस स्टैंड से खुलती हैं
20000 से अधिक ट्रकों की रोजाना होती है आवाजाही
25000 के ऑटो का जिले में होता है परिचालन
3302.30 वर्ग किलोमीटर है पूर्णिया का क्षेत्रफल
340600 है पूर्णिया की कुल जनसंख्या
990 प्रति वर्ग कमी. है जनसंख्या घनत्व

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