15 दमकल के सहारे है जिले की 33 लाख की आबादी
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उपेक्षा के दंश से दमकल विभाग हो रहा है बेदम
15 दमकल के सहारे है जिले की 33 लाख की आबादी गृहरक्षकों के भरोसे है अग्निशमन विभाग एक भी दमकल गाड़ी पर विभाग के चालक नहीं हैं पदस्थापित जिले के 06 थानों में है दमकल पूर्णिया : जिले की 35 लाख आबादी की अगलगी से सुरक्षा फिलहाल अग्निशमन विभाग के 15 दमकल गाड़ी के भरोसे […]
गृहरक्षकों के भरोसे है अग्निशमन विभाग
एक भी दमकल गाड़ी पर विभाग के चालक नहीं हैं पदस्थापित
जिले के 06 थानों में
है दमकल
पूर्णिया : जिले की 35 लाख आबादी की अगलगी से सुरक्षा फिलहाल अग्निशमन विभाग के 15 दमकल गाड़ी के भरोसे है. एक भी दमकल पर विभाग के चालक प्रतिनियुक्त नहीं हैं. इन दमकलों को चलाने के लिए गृहरक्षा वाहिनी के कर्मी को फिलहाल चालक के पद पर प्रतिनियुक्त रखा गया है, जो पूरी तौर पर अप्रशिक्षित हैं. विपरित परिस्थितियों में विभाग के कर्मी ही दमकल वाहन के चालक का काम कर रहे हैं. जिले के चार अनुमंडल जिनमें सदर, बायसी, धमदाहा व बनमनखी में अग्निशमन केंद्र है.
इन केंद्रों पर प्रत्येक में दो दमकल की व्यवस्था है. इसके अलावा जिले के छह थानों कसबा, जलालगढ़, रूपौली, रौटा, जानकीनगर एवं टीकापट्टी थाना में क्रमश: एक-एक दमकल तैनात है. दूसरी तरफ जिला मुख्यालय में रह रहे अग्निशमन कर्मियों के लिए न्यूनतम सुविधा भी उपलब्ध नहीं हैं.
विभाग में कर्मियों की है कमी
सदर अनुमंडल अंतर्गत जिला मुख्यालय में स्थित अग्निशमन केंद्र में दो दमकल एवं एक मिक्स्ड दमकल मौजूद है. दो दमकलों के लिए चार अग्निक, एक प्रधान अग्निक एवं एक चालक है. जबकि मिक्स्ड दमकल के लिए एक भी कर्मी प्रतिनियुक्त नहीं किये गये हैं. उल्लेखनीय है कि मिक्स्ड दमकल में 50 लीटर फोम एवं 300 लीटर पानी रखने की क्षमता है. खासकर तेल की वजह से लगी आग को इसके माध्यम से आसानी से बुझाया जा सकता है.
सदर अग्निशमन केंद्र में एक प्रधान अग्निक का पद रिक्त है. हाल के दिनों में एक और प्रधान अग्निक का पद रिक्त हो जायेगा. धमदाहा अनुमंडल अंतर्गत अग्निशमन केंद्र में प्रधान अग्निक का पद रिक्त है और प्रभारी ही प्रधान चालक है. बायसी अग्निशमन केंद्र में 08 अग्निक की जगह 06 कार्यरत है. प्रधान अग्निक का दोनों पद रिक्त है. इसके अलावा एक प्रधान चालक का पद रिक्त है. बनमनखी अग्निशमन केंद्र में दो प्रधान अग्निक एवं दो प्रधान चालक का पद रिक्त है. सनद रहे कि पूर्णिया में वर्ष 1971 में अग्निशमन केंद्र की स्थापना की गयी थी.
आवश्यक सुविधाओं से वंचित है कर्मी
मरंगा स्थित अग्निशमन केंद्र बदहाली के दौर से गुजर रहा है. बदहाली का आलम यह है कि अंग्रेज के जमाने का बना यह भवन अब जर्जर हो चुका है. इसका मुख्य कार्यालय भी जर्जर हो चुका है. जबकि इसकी खिड़कियां और किवाड़ आखिरी सांसें गिन रही है. इसी जर्जर भवन के एक हिस्से में बने हॉल में अग्निक कर्मी का आशियाना है.
इसके टूटे खिड़की और किवाड़ से ठंडी हवा अंदर प्रवेश करती रहती है. वहीं अधिकारी के लिए बना आवास भी जर्जर है, जो अब महिला कर्मियों का आशियाना बना हुआ है. वर्षों से फर्नीचर की खरीद नहीं हुई है और स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी विभाग से इतर बनाने की तैयारी चल रही है.
जाहिर है कि इस स्थिति से न्यूनतम सुविधा उपलब्ध होना भी दूर की कौड़ी साबित होगी.
जिले की आबादी के अनुपात में दमकल की व्यवस्था कम है. जिला अंतर्गत कार्यरत सभी दमकलों के चालक का काम गृहरक्षा वाहिनी के जवान कर रहे हैं. विभाग द्वारा प्रशिक्षित कर्मियों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने से अगलगी की घटना में परेशनियां हो रही है. शीघ्र ही गुलाबबाग में अग्निशमन केंद्र की स्थापना की जायेगी. अग्निशमन निर्माण को लेकर विभागीय प्रक्रिया चल रही है. यहां केंद्र स्थापित होने से दो दमकल वाहन बढ़ जायेगा.
रमेश कुमार यादव, अग्निशमन पदाधिकारी, पूर्णिया
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