िवशेष योजना. पूर्णिया में बड़े पैमाने पर होगी दलहन की खेती
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तैयार किया प्लान, चयनित किसानों को िमलेगी किट
िवशेष योजना. पूर्णिया में बड़े पैमाने पर होगी दलहन की खेती कृषि विभाग ने तैयार की दलहन की खेती की विस्तृत रूपरेखा इस बार दलहन के रूप में बड़े पैमाने पर राजमा उपजाने की कवायद तेज पूर्णिया : इस साल रबी फसल के मौसम में पूर्णिया में बड़े पैमाने पर दलहन की खेती की जायेगी. […]
कृषि विभाग ने तैयार की दलहन की खेती की विस्तृत रूपरेखा
इस बार दलहन के रूप में बड़े पैमाने पर राजमा उपजाने की कवायद तेज
पूर्णिया : इस साल रबी फसल के मौसम में पूर्णिया में बड़े पैमाने पर दलहन की खेती की जायेगी. इसके लिए कृषि विभाग ने बड़ा प्लान तैयार किया है और सरकारी निर्देशानुसार दलहन की खेती करने वाले किसानों को चिन्हित भी कर लिया गया है. चिन्हित किसानों को एक स्पेशल-किट दी जायेगी. यह किट पूरी तरह अनुदानित दर पर उपलब्ध करायी जायेगी. आम दलहन के अलावा विशेष तौर पर राजमा की खेती लगाने की विशेष योजना तैयार की गयी है.
समझा जाता है कि पूर्णिया समेत कोसी-बेसिन में दलहन की विस्तृत पैमाने पर खेती का पर्याप्त संभावनाएं हैं. पिछले कुछ वर्षों से यह इलाका दलहन की खेती में हाशिये पर चला गया था. कोसी-बेसिन के पूर्णिया समेत सीमांचल के इलाके में मसूर एवं उड़द की खेती बड़े पैमाने पर होती थी. इससे पूर्व पूर्णिया जिले के केलांचल के रूप में विख्यात धमदाहा अनुमंडल में बड़े पैमाने पर अरहर की खेती होती थी. कालक्रम में प्राकृतिक विपदा के कारण दलहन की ये सभी खेती विलुप्तप्राय हो गयी. चार दशक पूर्व इस इलाके के समतल मैदान में खेसारी एवं चना की खेती काफी ज्यादा होती थी. वर्ष 1971 के बाद खेसारी, चना, अरहर एवं तीसी की खेती समाप्त हो गयी. पूर्व के इतिहास को देख कर कृषि विभाग ने दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नयी योजना तैयार की.
चालू वित्तीय वर्ष के पहले दलहन की खेती को जिंदा रखने के लिए कृषि विभाग ने इंटर-क्रॉप विधि से मक्का और आलू की खेती के साथ दलहन की खेती शुरू करवाया. इस प्रकार सफलता मिलने के बाद विभाग को यह समझ में आ गया कि इंटर-क्रॉप विधि से इतर अकेले दलहन की खेती की जाये तो कम समय में अधिक मुनाफा होगा.
12 सौ एकड़ में राजमा : इस साल पूर्णिया में 12 सौ एकड़ जमीन पर उन्नत किस्म का राजमा लगाया जायेगा. यह लक्ष्य कृषि विभाग ने निर्धारित किया है. इसके अलावा इच्छुक किसानों को भी विभाग प्रोत्साहित कर रहा है. राजमा के लिए 12 सौ एकड़ चिन्हित जमीन पर सिर्फ राजमा लगवाये जा रहे हैं. यह खेती इंटर-क्रॉप विधि से अलग होगी. इंटर-क्रॉप विधि से राजमा की खेती करने वाले पूर्ववत खेती करेंगे. इस हिसाब से कहा जा सकता है कि पूर्णिया
में इस बार बड़े पैमाने पर राजमा उपजाया जायेगा.
250 एकड़ में होगी खेती रूपौली, भवानीपुर, धमदाहा व बनमनखी चयनित
चालू वित्तीय वर्ष में जिस तरह से कृषि विभाग ने पहले योजना बनायी है, उसमें पूर्णिया जिले के टाल-दियरा क्षेत्र में ढ़ाई सौ एकड़ जमीन दलहन की खेती के लिए चिन्हित किया है. इसमें अरहर से लेकर मसूर एवं मटर आदि हैं. दलहन की खेती के लिए पूर्णिया जिले के रूपौली, भवानीपुर, धमदाहा एवं बनमनखी प्रखंड को चुना गया है. वहां ढ़ाई सौ एकड़ में विभिन्न प्रकार के दलहन लगवाये जा रहे हैं. बीज के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जा रहा है.
सीमांचल से दो िजलों का किया गया है चयन
सीमांचल में राजमा की खेती के लिए दो जिलों का चयन किया गया है. इसमें पूर्णिया और अररिया शामिल है. पूर्णिया में 12 सौ 50 एकड़ में अन्य दलहन फसलों के अलावा राजमा की खेती लगवायी जा रही है. किसानों को बीज उपलब्ध कराये जा रहे हैं. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि सलाहकारों को कड़े निर्देश दे दिये गये हैं.
सुरेंद्र प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी, पूर्णिया
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