12.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शहर में गंठजोड़ से चल रहीं ”मौत की दुकानें”

पूर्णिया : दशकों से लाइन बाजार में फर्जी पैथोलॉजी का कारोबार फल-फूल रहा है. मंगलवार को फर्जी पैथोलॉजी के खिलाफ हुई कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन भी मानता है कि यहां बड़ी संख्या में फर्जी पैथोलॉजी संचालित हो रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि पहली बार मानकविहीन पैथोलॉजी के खिलाफ प्रशासनिक […]

पूर्णिया : दशकों से लाइन बाजार में फर्जी पैथोलॉजी का कारोबार फल-फूल रहा है. मंगलवार को फर्जी पैथोलॉजी के खिलाफ हुई कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन भी मानता है कि यहां बड़ी संख्या में फर्जी पैथोलॉजी संचालित हो रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि पहली बार मानकविहीन पैथोलॉजी के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई हुई है.

पूर्व में भी कार्रवाई होती रही है, लेकिन आज तक फर्जी पैथोलॉजी संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तो अप्रत्यक्ष रूप से संचालकों को संरक्षण ही प्राप्त होता रहा है. खास बात यह है कि इस काले कारोबार में धरती के भगवान चिकित्सक की अहम भूमिका होती है. लब्बोलुआब यह है कि चिकित्सक के आर्शीवाद और बिचौलिया के सहयोग से और अधिकारियों के संरक्षण में फर्जी पैथोलॉजी का कारोबार खूब फल-फूल रहा है.

मोटे तौर पर लाइन बाजार में 500 से अधिक पैथोलॉजी संचालित हैं. लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि स्वास्थ्य विभाग में मात्र 30 पैथोलॉजी ही निबंधित हैं. बांकी पैथोलॉजी बिना अनुमति और फर्जी तरीके से चल रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर सैकड़ों पैथोलॉजी किस आधार पर संचालित हो रहे हैं.
कई निजी नर्सिंग होम में भी संचालित है फर्जी पैथोलॉजी : शहर में तीन दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम संचालित हैं. जिसमें कई नर्सिंग होम एक्ट के द्वारा निर्दिष्ट मानक के खिलाफ संचालित है. शहर के किसी भी नर्सिंग होम में जांच या फीस का रेट लिस्ट नहीं टांगा गया है. वहीं डॉक्टर द्वारा अधिक मुनाफा कमाने के लिए मानक के खिलाफ बिना लाइसेंस का पैथोलॉजी संचालित है. जबकि नर्सिंग होम चलाना और पैथोलॉजी चलाना दोनों अलग-अलग मामला है.
पहले भी हुई छापेमारी, कार्रवाई सिफर : मंगलवार को लाइन बाजार में 44 पैथोलॉजी सेंटरों पर छापेमारी में कई पैथोलॉजी सील भी कर दिया गया. कई फर्जी पैथोलॉजी संचालक शटर बंद कर भाग निकले. अधिकारियों के जाने के बाद पैथोलॉजी संचालकों ने फिर से शटर उठा मौत की दुकान चलाना शुरू कर दिया. छह माह पूर्व भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा करीब 100 पैथोलॉजी सेंटर में छापेमारी कर सील कर दिया. कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की गयी. आज तक किसी भी दोषी पैथोलॉजी सेंटर या उनके संचालक पर कार्रवाई नहीं हुई है.
50 फीसदी तक कमीशन पाते हैं चिकित्सक
फर्जी पैथोलॉजी का कारोबार पूरी तरह कमीशन पर आधारित है. यहां सीधा-सीधा 50-50 का खेल होता है. बताया जाता है कि स्थापित पैथोलॉजी भी चिकित्सकों को 25 से 30 फीसदी कमीशन देते हैं. जबकि मानकविहीन पैथोलॉजी 50 फीसदी कमीशन के तौर पर डॉक्टरों को राशि उपलब्ध कराते हैं. वहीं बिचौलियों की भी पैथोलॉजी संचालन में अहम भूमिका होती है. इन्हें भी 10 फीसदी कमीशन प्राप्त होता है. इस प्रकार पैथोलॉजी संचालक शुल्क के रूप में वसूली गयी राशि का 50 से 60 फीसदी कमीशन मद में खर्च कर देते हैं. शेष 40 फीसदी में उनका अपना मुनाफा और तमाम खर्च शामिल होता है. जाहिर है कि 40 फीसदी भी उनकी सेवा के एवज में कम नहीं होता है. इसी कमीशन के बल पर डॉक्टरों की परची पैथोलॉजी तक पहुंचती है और परची के आधार पर ही प्रत्येक दिन पैथोलॉजी संचालक चिकित्सक को उनकी कमीशन की राशि पहुंचाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें