संवाददाता, पटना बिहार में जुगाड़ गाड़ियों की संख्या सबसे अधिक ग्रामीण इलाकों में बढ़ गयी है. परिवहन विभाग ने ऐसी गाड़ियों पर सख्ती करने का निर्णय लिया है. इसको लेकर विभागीय स्तर पर 2016 के बाद एक दोबारा से विभागीय बैठक हुई है, ताकि ऐसी गाड़ियों को जब्त किया जा सके. कोरोना से पूर्व जुगाड़ गाड़ियों पर सख्ती करते हुए पटना में अभियान चलाया गया था, जिसमें 40 से अधिक ऐसी गाड़ियों को पकड़ा गया और उन्हें जब्त कर लिया गया था, जो धीरे-धीरे कबाड़ हो गयीं, लेकिन उन्हें छुड़ाने कोई नहीं आया. समय-समय पर जिलों में अभियान चलाया जाता है, लेकिन इस अभियान के दौरान गाड़ियों पर जुर्माना नहीं होता है. परिवहन विभाग लोकसभा चुनाव के बाद जिला प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से ऐसी गाड़ियों पर सख्ती करेगा. साथ ही, ऐसी गाड़ियों को बनाने वाले कुछेक दुकानदारों को चिह्नित करके उनकी दुकानों को भी सील करने का भी योजना बनी है. इन गाड़ियों का कोई निबंधन या चेसिस नंबर नहीं रहता है. इस कारण से इनके ऊपर विभाग फाइन नहीं कर पाता है. जुगाड़ गाड़ी चलाने की नहीं है अनुमति परिवहन विभाग के मुताबिक इस गाड़ी को कबाड़ की दुकानों से खराब पार्ट को एक- दूसरे में जोड़ कर तैयार किया जाता है, जिसका कोई निबंधन तक नहीं होता है. ऐसे में परिवहन नियमों के मुताबिक इस तरह की गाड़ियों का किसी भी सड़क पर परिचालन करना मानक के अनुसार सही नहीं है, बावजूद इसके इन गाड़ियों को पकड़ने में विभाग के अधिकारियों को दिक्कत होती है, क्योंकि ऐसी गाड़ियों का चालान नहीं कटता है सीधे जब्ती की जाती है. जुगाड़ गाड़ियों से होती रहती हैं दुर्घटनाएं इस गाड़ी का हर पार्टी कहीं-कहीं कबाड़ से लाया जाता है. इसे चलाने वालों की रफ्तार काफी तेज रहती है, लेकिन इस गाड़ी में ब्रेक है या नहीं. यह भी भगवान भरोसे रहता है. ऐसे में कई बार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. लोग घायल भी होते हैं. अधिकतर इन गाड़ियों का शहरों में माल ढुलाई और ग्रामीण इलाकों में माल ढुलाई से लेकर अब लोगों के आवागमन में भी इसका उपयोग शुरू हो गया है, जो लोगों के लिए काफी खतरनाक है. इस कारण से विभाग ने इन गाड़ियों पर सख्ती करने का निर्णय लिया है.
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