37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

कृषि कानूनों को RJD सांसद ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, कहा- बड़े पूंजीपति छोटे किसानों का शोषण करेंगे

Kisan Bill Protest: नए कृषि कानूनों को लेकर देश भर में जगहों पर विरोध हो रहा है. विपक्ष भी केंद्र सरकार पर हमलावर है. शुक्रवार को राजद सांसद मनोज झा ने कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने इन कानूनों को भेदभावपूर्ण और मनमाना बताया है. कहा है कि इससे बड़े पूंजीपति छोटे किसानों का शोषण करेंगे.

Kisan Bill Protest: नए कृषि कानूनों को लेकर देश भर में जगहों पर विरोध हो रहा है. विपक्ष भी केंद्र सरकार पर हमलावर है. शुक्रवार को राजद सांसद मनोज झा ने कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने इन कानूनों को भेदभावपूर्ण और मनमाना बताया है. कहा है कि इससे बड़े पूंजीपति छोटे किसानों का शोषण करेंगे.

बता दें कि संसद ने हाल में तीन विधेयकों- ‘कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2020′, ‘किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन’ अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 और ‘आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक-2020 को पारित किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद तीनों कानून 27 सितंबर से प्रभावी हो गए.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने वकील फौजिया शकील के जरिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है. झा के अलावा, केरल से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य टी एन प्रथपन और तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ शीर्ष अदालत का रूख किया है . झा ने अपनी याचिका में कहा है, इन कानूनों ने कृषि क्षेत्र को कारोबारी घरानों के हाथों में सौंपने का रास्ता तैयार किया है.

किसान को निजी कंपनी के साथ बेहतर समझौता करने की जानकारी नहीं होती. इससे गैरबराबरी की व्यवस्था शुरू होगी और कृषि क्षेत्र पर कारोबारी घरानों का एकाधिकार हो जाएगा. याचिका में कहा गया है कि संसदीय नियमों और परिपाटी का उल्लंघन कर संसद में विधेयकों को पारित किया गया. राजद नेता ने याचिका में कहा है कि इनमें किसानों के हितों की बलि दे दी गयी है .

उन्हें बड़ी कंपनियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है तथा विवाद की दशा में समाधान के लिए किसी तरह के तंत्र की व्यवस्था नहीं की गयी है. उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि इन कानूनों के जरिए किसानों को बड़े पूंजीपतियों के विरूद्ध खड़ा किया गया है जिनके पास मोलभाव की अपार शक्ति है. याचिका में कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के बजाए कृषि क्षेत्र को निजी क्षेत्रों के हवाले कर दिया गया.

Also Read: बिहार विधानसभा चुनाव 2020: तेजप्रताप और तेजस्वी की मौजूदगी में हो रहा था सीट बंटवारा, तभी लगने लगे मुर्दाबाद के नारे

Posted By: Utpal kant

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें