बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नयी सरकार का गठन हो चुका है. नीतीश कुमार द्वारा एनडीए गठबंधन से बाहर निकलने और तेजस्वी यादव का दामन थामने के बाद अब सीबीआई भी आईआरसीटीसी घोटाले मामले में तेजी लाने जा रही है. इसके लिए सीबीआई ने हाई कोर्ट से मांग की है की जल्द ही इस घोटाले मामले में बहस शुरू की जाए.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने IRCTC घोटाले मामले में मोर्चा संभाल लिया है. इस मामले में लालू परिवार के कई लोगों को आरोपी बनाया गया है. जिसमें राबड़ी देवी और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में सीबीआई द्वारा चार वर्ष पहले चार्ज शीट दायर की गई थी परंतु अभी तक बहस शुरू नहीं हो पाई है.
दिल्ली हाई कोर्ट में एक आरोपी ने 2019 में एक याचिका दायर कर सीबीआई पर आरोप लगाया था की बिना सरकार की मंजूरी के उस पर आरोप तय किया जा रहा है. उसने हाई कोर्ट से चार्ज शीट रद्द करने की मांग करते हुए कहा था की जिस वक्त की यह घटना है उस वक्त वो सरकारी कर्मचारी था. इसलिए बिना सरकार की अनुमति के सीबीआई उस पर आरोप दायर नहीं कर सकती. इसके बाद दो अन्य आरोपियों द्वारा भी याचिका दायर की गई थी. इन्हीं कारणों से अब तक इस मामले में बहस शुरू नहीं हो पाई है.
मीडिया में आयी खबरों के अनुसार सीबीआई ने हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर आरोपी के अर्जी पर फैसले की मांग की है. सीबीआई का कहना है की कोर्ट से जो फैसला मिलेगा उसी के अनुसार आरोप तय किए जाएंगे. इसके साथ ही सीबीआई ने हाई कोर्ट से आरोपों पर बहस शुरू करने की भी मांग की है.
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बता दें की इस मामले में सीबीआई ने 2017 में लालू यादव, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था और फिर एक साल बाद इस मामले में चार्ज शीट दाखिल की गई थी. यह पूरा मामला उस वक्त है जब लालू प्रसाद यादव यूपीए की सरकार में रेल मंत्री थे.