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बिहार में भी हो रहा राजनीति का ध्रुवीकरण, पूरे हफ्ते लालू के घनचक्कर में फंसे रहे नेता

पटना : बिहार की राजनीति के केंद्र में इन दिनों पार्टी के रूप में राजद और व्यक्ति के रूप में लालू प्रसाद चर्चा में हैं. इस पूरे सप्ताह लालू प्रसाद को लेकर बिहार की सियासत गरमायी रही. पूरे सप्ताह के घटनाक्रम पर नजर डालें, तो कभी ऐसा लगा कि महागठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं है, […]

पटना : बिहार की राजनीति के केंद्र में इन दिनों पार्टी के रूप में राजद और व्यक्ति के रूप में लालू प्रसाद चर्चा में हैं. इस पूरे सप्ताह लालू प्रसाद को लेकर बिहार की सियासत गरमायी रही. पूरे सप्ताह के घटनाक्रम पर नजर डालें, तो कभी ऐसा लगा कि महागठबंधन में सबकुछ ठीकठाक नहीं है, तो कभी ऐसा भी लगा कि कहीं महागठबंधन के रास्ते अलग-अलग न हो जायें. इन सारी चर्चाओं के बीच जो एक बातनिकलकर सामने आयी कि आज भी विपक्ष के लिये सियासी रूप से सबसे ज्यादा फायदेमंद लालू प्रसाद हैं. वहीं दूसरी ओर, यह भी साफ हुआ कि बिहार में महागठबंधन में भले ही राजद और जदयू एक साथ हों, लेकिन कई मामलों पर उनके रास्ते अलग-अलग हैं. यह बात इसलिए भी साफ जाहिर होती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार के लोक संवाद कार्यक्रम में यह स्पष्ट कर दिया कि महागठबंधन अलग बात है, लेकिन कई मुद्दों पर पार्टियों की राय अलग होगी और हो सकती है.

सोमवार से शुरू हुआ बयानबाजी का दौर

इस सप्ताह के राजनीतिक घटनाक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान से हुई. सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के परिवार पर लग रहे आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि वह सही है, या उसके पास तथ्य है, तो उन्हें कानून का सहारा लेना चाहिए. नीतीश कुमार ने जदयू और राजद को भी लेकर बयान दिया. मुख्यमंत्री ने अपने ऊपर लग रहे चुप्पी के आरोपों को खारिज करते हुए पत्रकारों के हर सवाल का जवाब दिया.

आयकर विभाग की छापेमारी से गरमायी राजनीति

नीतीश कुमार के बयान के अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि दूसरे दिन यानी मंगलवार को दिल्ली, गुड़गांव सहित कई अन्य 22 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी शुरू कर दी. मीडिया में खबर चलने लगी कि इन ठिकानों के तार सीधे-सीधे लालू प्रसाद के परिवार से जुड़े हुए हैं. फिर क्या था, बिहार की राजनीति में एकाएक उबाल आ गया. हमले तेज होने लगे और सबके निशाने पर लालू परिवार था. चौतरफा हमला झेल रहे लालू प्रसाद ने देर शाम के एक ट्वीट कर सबको चौंका दिया. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि भाजपा को नया पार्टनर मुबारक हो. लालू के इस ट्वीट के बाद राजनीतिक माहौल और भी गरम हो गया और तरह-तरह के कयास लगाये जाने लगे. हालांकि, लालू ने अगले ही ट्वीट में यह कहकर की ज्यादा लार मत टपकाओ मामले को शांत कर दिया.

जदयू प्रवक्ताओं के बयान पर रोक

इन सियासी हलचलों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से जदयू प्रवक्ताओं के बयान पर पहरा लगा दिया गया. नीतीश की ओर से साफ निर्देश दिया गया कि जदयू के प्रवक्ता बिना जानें और समझे किसी प्रकार का बयान ना दें. असर यह हुआ कि जदयू के प्रवक्ता मीडिया से बचते नजर आये और किसी चैनल कीचर्चा में भी हिस्सा नहीं लिया. मीडिया द्वारा छापेमारी के बारे में पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा कि इस बारे में जब तक पता नहीं चल जाता, क्या कहा जा सकता है. नीतीश ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट से पता चल रहा है 22 जगहों पर छापेमारी चल रही है. ये कहां-कहां छापेमारी हो रही है क्या उद्देश्य है, क्या हो रहा है, जब तक पता नहीं चलता तब तक क्या कहा जा सकता है.

कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प

नीतीश कुमार के बयान के अभी मायने निकाले ही जा रहे थे कि उसके अगले दिन राजद और बीजेपी कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प हो गयी और छह लोग घायल हो गये. राजद कार्यकर्ताओं का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह अधनंगे होकर लाठी-डंडे के साथ बीजेपी कार्यालय के सामने नारे लगाने लगे और बीजेपी कार्यकर्ताओं को ललकारने लगे. इस झड़प में दोनों ओर से जमकर पत्थरबाजी हुई और दोनों पार्टियों ने एक दूसरे पर प्राथमिकी दर्ज करायी. बीजेपी ने इस लेकर आक्रोश मार्च निकाला और देर शाम राजभवन में जाकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. बीजेपी ने लालू प्रसाद और उनके बेटों के इशारे पर राजद कार्यकर्ताओं द्वारा इस तरह की घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया गया.

लालू का पलटवार

सप्ताह के अंतिम दिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने अपने और अपने परिवार से जुड़े 1,000 करोड़ रुपये के कथित बेनामी सौदों के आरोपों में आज दिल्ली और पड़ोसी इलाकों के 22 स्थानों पर आयकर की छापेमारी से जुड़ी खबरों को खारिज किया. उन्होंने अगले आम चुनाव में भाजपा के खिलाफ समूचे विपक्ष को एकजुट करने का संकल्प भी दोहराया. केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पर हमला बोलते हुए राजद सुप्रीमो ने कहा कि सरकार कि पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर जायेगी. उन्होंने कहा कि मैं ज्योतिष हूं और भविष्यवाणी करता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार अपना पांच वर्ष पूरा नहीं कर पायेगी. सोलह मई को छापेमारी की खबरें आने के तीन दिन बाद उन्होंने कहा कि मुझे बताइए कि आयकर विभाग ने किन 22 स्थानों पर छापेमारी की है. लालू ने कहा कि जब आयकर विभाग हमसे पूछेगा, तो हम उनके सवालों का जवाब देंगे.

अंत में मिलालालू परिवार को झटका

अंत होते-होते लालू परिवार को झटका देने वाली एक और खबर आयी और बताया गया कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने यहां एक कंपनी द्वारा बनाये जा रहे एक मॉल का निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया है. इस कंपनी के निदेशक राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी हैं. बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने दावा किया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने यहां सगुना मोड पर बन रहे मॉल का निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया है क्योंकि यह पर्यावरण मंजूरी के बगैर बनाया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि 15 मई की तारीख वाले एक आदेश में मंत्रालय ने कहा है कि इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की जरुरत थी और अब यह पर्यावरण प्रभाव आंकलन अधिसूचना, 2006 के उल्लंघन का मामला है क्योंकि निर्माण स्थल पर यह कार्य पर्यावरण मंत्रालय की इजाजत लिए बगैर किया जा रहा है.

बिहार सरकार पर बीजेपी का हमला

सुशील मोदी ने मंत्रालय द्वारा जारी आदेश की प्रति को पढ़ते हुए कहा कि इन बातों के मद्देनजर आपको निर्माण स्थल पर तत्काल प्रभाव से काम रोकने और इस विषय में एक रिपोर्ट मंत्रालय को तीन हफ्ते में सौंपने का निर्देश दिया जाता है. सुशील ने आदेश की प्रति मीडियाकर्मियों को बांटी. उन्होंने कहा कि आदेश जारी होने के बाद चार दिन बीत गये हैं लेकिन राज्य सरकार ने निर्माण कार्य रोकने का अब तक कोई फैसला नहीं किया है. उन्होंने कहा कि यह इस बात को जाहिर करता है कि राज्य में किस तरह का सुशासन है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मॉल के अवैध निर्माण में हस्तक्षेप करने और निर्माण कार्य रोकने, परियोजना को सील करने तथा बेनामी संपत्ति जब्त करने की चुनौती दी.

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