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नेशनल हेल्थ सर्वे का खुलासा : 10 साल में बाल विवाह 30% घटे, पर अब भी 39% शादियां कम उम्र में

!!अनुपम कुमारी!! पटना : राज्य में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण पिछले 10 साल (2005-6 से 2015-16 तक) में बाल विवाह के मामलों में करीब 30% की गिरावट आयी है. लेकिन, अब भी राज्य में 39.1% शादियां कम उम्र में कर दी जाती हैं. राज्य के 38 में से 19 जिलों में बाल विवाह का […]

!!अनुपम कुमारी!!
पटना : राज्य में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण पिछले 10 साल (2005-6 से 2015-16 तक) में बाल विवाह के मामलों में करीब 30% की गिरावट आयी है. लेकिन, अब भी राज्य में 39.1% शादियां कम उम्र में कर दी जाती हैं. राज्य के 38 में से 19 जिलों में बाल विवाह का प्रतिशत 40% से अधिक है.
इनमें छह जिले सुपौल, मधेपुरा, बेगूसराय, जमुई, सीतामढ़ी व समस्तीपुर ऐसे हैं, जहां यह आंकड़ा 50% या उससे अधिक है. किशनगंज एकमात्र जिला है, जहां यह आंकड़ा 25% से कम है. नेशनल हेल्थ सर्वे के ये आंकड़े राज्य सरकार के लिए भी चिंता के कारण हैं. इसलिए सीएम नीतीश कुमार ने बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने का एलान किया है.
पांच जिले के 17 प्रखंडों में किया जा रहा काम
महिला विकास निगम और यूनिसेफ की ओर से राज्य के पांच जिले समस्तीपुर, गया, दरभंगा, नवादा व वैशाली के 17 प्रखंडों में स्वयं सहायता समूह के साथ काम किया जा रहा है. अब अन्य जिलों में काम करने की योजना तैयार की गयी है. महिला विकास निगम के परियोजना निदेशक रूपेश कुमार ने बताया कि इसके जरिये बाल विवाह कानून की जानकारी देना, पंचायत और स्कूल स्तर पर लोगों की कपासिटी बिल्डिंग डेवलप करने जैसे कार्य किये जा रहे हैं.
पटना की स्त्री रोग िवशेषज्ञ डॉ शांति राय कहती हैं िक कम उम्र में लड़कियों की शादी से न केवल उनका बचपन छीनता है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक रूप से असर पड़ता है. फिजिकल रिलेशन के लिए लड़कियों का शरीर पूरी तरह से तैयार नहीं होता और जब जबरन शारीरिक संबंध बनता है, तो उनमें गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. डिलेवरी के दौरान खून का अत्यधिक स्राव, खून की कमी, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं बनी रहती हैं. सिजेरियन के चांस बढ़ जाते हैं. साथ ही अत्यधिक इंज्यूरी का खतरा बना रहता है. इसका असर मां और उसके होनेवाले बच्चे दोनों पर पड़ता है, जिससे बच्चा कमजोर पैदा होता है. इससे शिशु की मृत्यु की आशंका बनी रहती है.
पटना विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री रणधीर कुमार िसंह ने कहा िक शहरी क्षेत्र में बाल विवाह कम देखने को मिलते हैं, पर ग्रामीण और जनजाति बहुल इलाकों में अब भी लड़के-लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जा रही है, क्योंकि वहां शिक्षा का अभाव है. रुढ़ीवादी विचार अब भी लोगों को जकड़े हुए हैं. समाज के लोग इसे प्रोत्साहित करते हैं. दूसरा बड़ा कारण यह है कि अाज भी महिलाओं की शिक्षा का स्तर कम है. इसके कारण वे इसका विरोध नहीं कर पाती हैं. नौकरी-पेशा वाले लोगों की कमी है.
क्या है कानून
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत 21 वर्ष से कम उम्र के लड़काें और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को नाबालिग माना गया है और इनकी शादी को अवैध ठहराया गया है. इसके तहत बाल विवाह करनेवालों, इसकी अनुमति देने, विवाह तय करने, विवाह करवाने या समारोह में भाग लेनेवालों काे दो वर्ष जेल या एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. महिलाओं को जेल की सजा से छूट है. उन पर सिर्फ जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
ये होती हैं दिक्कतें
बचपन खत्म हो जाता है, पढ़ाई-लिखाई का अवसर नहीं मिल पाता
मानसिक व शारीरिक नुकसान
कम उम्र में फिजिकल रिलेशन से गर्भाशय कैंसर का बढ़ जाता है खतरा
डिलेवरी के दौरान खून का अत्यधिक स्राव, खून की कमी, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं बनी रहती हैं
कम उम्र में मां बनने से जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा
बिहार में बाल विवाह
2015-16 39.1 फीसदी
2012-13 56.7 फीसदी
2007-8 68.2 फीसदी
2005-6 69 फीसदी
इन िजलों में हालत सबसे खराब
सुपौल 56.9 फीसदी
मधेपुरा 56.3 फीसदी
बेगूसराय 53.2 फीसदी
जमुई 50.8 फीसदी
सीतामढ़ी 49.7 फीसदी
समस्तीपुर 49.6 फीसदी
सीएम से पीड़िता की गुहार कहा- मैं पढ़ना चाहती हूं
मुख्यमंत्री जी, मेरी शादी नौ साल में कर दी गयी थी. पति 35 साल के हैं. वह मुझे घर में कैद करके रखते हैं. मैं पति का घर छोड़ कर एक रिश्तेदार के यहां छुपी हुई हूं. पति मुझे फिर अपने साथ ले जाकर घर में बंद कर देंगे. मैं उनके साथ नहीं रहना चाहती हूं. मैं पढ़ना चाहती हूं. खुद के लिए जीना चाहती हूं. आपके अलावा कोई मेरी मदद नहीं कर सकता है. यह बाल विवाह से एक पीड़ित लड़कीकी गुहार है.
बेतिया ब्लॉक बगहा-दो की रहनेवाली इस लड़की ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पढ़ाई करने की गुहार लगायी है. पीड़िता के अनुसार उसकी शादी पांचवीं क्लास में ही कर दी गयी थी. पीड़िता पिछले 10 दिनों से अपने एक रिश्तेदार के यहां छुपी हुई है. पति उसे ढूंढ़ रहे हैं. वह घर से बाहर तक नहीं निकल पा रही है. अब परेशान होकर उसने मुख्यमंत्री से गुहार लगा कर उन्हें सारी बातों की जानकारी दी है.
नन्हीं जान की जुल्म भरी दास्तान
नौ साल की सोनी (बदला हुआ नाम) अपने परिवार में छह बहनों में तीसरे नंबर पर है. पिता मजदूरी करते हैं. 2004 में जनमी सोनी ने सही से होश भी नहीं संभाला था कि 2013 में उसकी शादी 35 साल के लड़के से कर दी गयी. शादी के बाद सोनी मायके आना चाहती थी, लेकिन उसके पति ने उसे आने नहीं दिया. जब वह जिद करने लगी, तो उसे घर मे ही कैद करके रखने लगा. पूरे तीन साल तक सोनी को कैद करके रखा और शारीरिक शोषण करता रहा.
फिर काफी जोर जबदस्ती से मां-बाप ने सोनी को जनवरी, 2017 में मायके लाया. कुछ दिनों के बाद फिर पति उसे ससुराल ले जाना चाहा. लेकिन, सोनी जाने को तैयार नहीं हुई. फिर एक दिन जबदस्ती मोटरसाइिकल पर उसे ले जा रहा था, तो उसकी सहेली ने उसकी मदद की. उसे मोटरसाइकिल के पीछे से खींच कर गन्ने की खेत में ले गयी. गन्ने के खेत से भागते-भागते दाेनों दूसरे गांव पहुंचीं. तीन दिन तक दूसरी जगह पर रहने के बाद सोनी फिर अपने घर आ गयी. फिर उसका पति उसे लेने आ गया. सोनी को रस्सी से बांध कर ऑटो में बैठाया. इसके बाद सोनी की चार दोस्तों ने विरोध किया.
उसके बाद स्थानीय एसपी को खबर की गयी. इसके बाद सोनी को ले जाने से रोका. इसके बाद से सोनी एक जगह से दूसरी जगह पर छुप रही है. वह बेतिया कस्तुरबा विद्यालय में नामांकन लेकर पढ़ना चाहती है. इसमें उसकी मदद हंगर प्रोजेक्ट की अख्तरी कर रही हैं. लेकिन अभी तक नामांकन नहीं हो पाया है. अख्तरी जी ने बताया कि सोनी बहुत ही डर गयी है. दो बहनों की शादी भी आठ और नौ साल की उम्र में ही कर दी गयी थी.

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