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सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश, दो माह में खाली करें शराब का स्‍टॉक

पटना : राज्य में पूर्ण शराबबंदी के एक साल पूरे होने के चार दिन पूर्व प्रदेश में शराब बनानेवाली सभी कंपनियों के लाइसेंस शनिवार को समाप्त हो जायेंगे. राज्य सरकार ने पहली अप्रैल से किसी भी कंपनी को आगे शराब बनाने के लाइसेंस का नवीकरण नहीं किया है. इस बाबत शराब बनानेवाली कंपनियों के एसोसिएशन […]

पटना : राज्य में पूर्ण शराबबंदी के एक साल पूरे होने के चार दिन पूर्व प्रदेश में शराब बनानेवाली सभी कंपनियों के लाइसेंस शनिवार को समाप्त हो जायेंगे. राज्य सरकार ने पहली अप्रैल से किसी भी कंपनी को आगे शराब बनाने के लाइसेंस का नवीकरण नहीं किया है. इस बाबत शराब बनानेवाली कंपनियों के एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी कंपनियों को दो महीने के अंदर अपने पूर्व के बने स्टाॅक को खाली करने का निर्देश दिया है. हालांकि, शराबबंदी पर सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार इन कंपनियों को सिर्फ एक महीने का ही मोहलत देने के पक्ष में थी.
राज्य के प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि सरकार किसी भी कंपनी के लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने जा रही है, जो भी कंपनियां बिहार में शराब निर्माण कर रही हैं, उन्हें एक महीने के अंदर अपने पूर्व में बने स्टाॅक को यहां से हटा लेने का आदेश भी दिया है. इस पर कोर्ट ने आंशिक संशोधन करते हुए कंपनियों को एक और महीने की मोहलत देते हुए दो महीने तक स्टाॅक खाली करने का आदेश दिया है.
उन्होंने देर शाम बताया कि चार अप्रैल तक सभी कंपनियों को राज्य सरकार के समक्ष यह बताना होगा कि उसके पास पूर्व में बने कितने स्टाॅक जमा है. सरकार एक सप्ताह के भीतर इसकी जांच करायेगी. फिर कंपनियों को इंपोर्ट प्रमाणपत्र दिखाने पर उन्हें दो महीने के अंदर पूरे स्टाॅक को हटाने की अनुमति दी जायेगी. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पांच अप्रैल, 2016 से राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी की थी. साथ ही एक अप्रैल, 2017 से राज्य में पूर्व से चली आ रही शराब कंपनियों के लाइसेंस को नवीकरण करने से भी मना कर दिया है.
नेशनल और स्टेट हाइवे पर 500 मीटर के दायरे में दुकान नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश भर में शनिवार से नेशनल व स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में आनेवाली शराब की दुकानें बंद करनी पड़ेंगी. हालांकि, 20,000 तक की आबादी वाले इलाकों और सिक्किम, मेघालय व हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों को इससे छूट होगी. वहां यह सीमा 500 से घटा कर 220 मीटर की गयी है. कोर्ट ने विभिन्न राज्यों की अर्जियों पर यह आदेश दिया. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हाइवे के पास शराब की दुकानों पर पाबंदी लगाने वाला फैसला बार, पब और रेस्तरां पर भी लागू होगा, क्योंकि शराब पीकर गाड़ी चलाने से जानलेवा सड़क हादसे होते हैं. नेशनल और स्टेट हाइवे से 500 मीटर दूर तक शराब की दुकानों पर रोक जारी रहेगी या नहीं, अप्रैल की डेडलाइन बढ़ेगी या नहीं? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि फैसले में सुधार की जरूरत है, क्योंकि इससे ‘राज्यों का बजट गड़बड़ा जायेगा.

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