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बिहार में बिजली उपभोक्ताओं को अब बढ़ी दरों पर सीधे मिलेगा अनुदान : मंत्री बिजेंद्र

पटना :बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शनिवार को विधानसभा व विधान परिषद में कहा कि अब सरकार बिजली वितरण कंपनियों को अनुदान न देकर सीधे उपभोक्ताओं को देगी. अगले वित्तीय वर्ष 2017-18 के टैरिफ का प्रति सरकार को मिलेगी. उसका गहन अध्ययन होगा. पड़ोसी राज्यों को टैरिफ से तुलना कर राज्य सरकार […]

पटना :बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शनिवार को विधानसभा व विधान परिषद में कहा कि अब सरकार बिजली वितरण कंपनियों को अनुदान न देकर सीधे उपभोक्ताओं को देगी. अगले वित्तीय वर्ष 2017-18 के टैरिफ का प्रति सरकार को मिलेगी. उसका गहन अध्ययन होगा. पड़ोसी राज्यों को टैरिफ से तुलना कर राज्य सरकार उपभोक्ताओं को दिये जाने वाले अनुदान पर शीघ्र निर्णय लेगी. दो-तीन दिनों में सरकार के निर्णय से अवगत करा दिया जायेगा.

शनिवार को विधानसभा में पूरा विपक्ष बिजली दर में हुई बढ़ोतरी को लेकर एकजुट था. 11 बजे सदन का कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने इस मामले को उठाया. उन्होंने कहा कि बिजली दर में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ेगी. समाज का सभी तबका इससे प्रभावित होगा. विपक्ष के नेता जब इस मामले को रख रहे थे तो भाजपा के सदस्य सदन में वेल में आकर नारेबाजी करने लगे. आसन पर बैठे अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि समय पर इस मामले को रखियेगा. अभी प्रश्नकाल चलेगा. सरकार भी बिजली दर पर अपनी बात रखेगी, आसन के कड़े रुख और अनुरोध पर भाजपा के लोग अपनी सीट पर चले गये.


शून्यकाल में मिथिलेश तिवारी ने भी बढ़ी हुई बिजली दर का मामला उठाया. भाजपा व माले के सदस्यों ने विधानसभा के रेट पर भी बढ़ी हुई बिजली दर को वापस करने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने 24 मार्च को वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए जो टैरिफ की घोषणा की गयी है वह अनुदान रहित है.

पिछले साल तक सरकार बिजली वितरण कंपनियों को सीधे अनुदान देती थी. बिजली कंपनी अनुदान को जोड़कर आयोग के समक्ष याचिका दायर करती थी. इस साल नीतिगत निर्णय के तहत अनुदान रहित टैरिफ याचिका दायर की थी. इधर बताया जा रहा है कि सोमवार या मंगलवार को सरकार इस पर कोई ठोस निर्णय लेकर इसकी घोषणा करेगी.

कीमत बढ़ाना सरकार की मजबूरी : संजय सिंह
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा नेता सुशील मोदी बिजली के रेट को लेकर बवाल मचा रहे हैं, लेकिन वो बिहार के पड़ोसी राज्यों में नहीं देखते है कि वहां क्या रेट है? बिहार सरकार किसी आम आदमी पर कोई अतिरक्ति बोझ नहीं डालना चाहती है, लेकिन बिहार को बिजली इतनी महंगी मिल रही है कि कीमत बढ़ाना मजबूरी है. फिर भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से हस्तक्षेप करते हुए, इस रेट को फिर से रिवाइज करने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा कि सुशील मोदी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिली है. अब एक अप्रैल से बिजली की दरों में 55 प्रतिशत नहीं, बल्कि 28 प्रतिशत ही बढ़ोतरी होगी. बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने साल 2017-18 के लिए बिजली दरों में 55 प्रतिशत बढ़ोतरी का एलान किया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से सब्सिडी जारी रखने का फैसला लिया गया. इसके बाद ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बढ़ोतरी में कटौती का एलान किया़.

अभी बिजली कंपनियों को राज्य सरकार करीब चार हजार करोड़ रुपये सब्सिडी देती है. अगले वित्तीय वर्ष वर्ष में यह सब्सिडी जारी रहने पर उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में औसतन 28 प्रतिशत ही बढ़ोतरी का भार पड़ेगा. विनियामक आयोग ने बिजली की दरों के स्लैब में काफी कमी की है. अब राज्य सरकार अनुदान की राशि सीधे उपभोक्ता को देना चाहती है और उसी करण में काम जारी है.

संजय सिंह ने कहा कि विनियामक आयोग के के पास बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों ने पिछले साल 15 नवंबर को टैरिफ याचिका दायर की थी. दोनों बिजली वितरण कंपनियों नॉर्थ व साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनियों ने भी अलग-अलग टैरिफ याचिका दायर की थी. आयोग ने आदेश देने के पहले प्रमंडलों में जनसुनवाई की. बिजली कंपनी और उपभोक्ताओं की दलीलों को सुना. पड़ोसी राज्यों के टैरिफ की समीक्षा की. आयोग ने अगले वित्तीय वर्ष में सोलर और गैर सोलर नवीकरणीय ऊर्जा 7.75 प्रतिशत खरीदने को भी कहा है.

बिजली दर में वृद्धि पर जनता देगी करेंट : मोदी
पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने बिजली दर में वृद्धि का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि बिजली दर में पांच-दस प्रतिशत बढ़ोतरी होती तो ठीक था, लेकिन औसतन 55 फीसदी की बढ़ोतरी कहीं से सही नहीं है. एक बार में बिजली दर में वृद्धि कर सरकार झटका देगी तो जनता भी करंट देगी. उन्होंने कहा कि बिजली के दर में वृद्धि का फैसला वापस तो नहीं हो सकता, लेकिन सरकार सब्सिडी की राशि जरूर बढ़ा सकती है. बिजली दर में वृद्धि से बिहार की जनता में 4700 करोड़ का भार पड़ेगा, सरकार इस राशि को बिजली कंपनी को सब्सिडी के रूप में दे.

अब अगर सरकार सब्सिडी भी देगी तो उपभोक्ताओं पर 28 फीसदी का भार पड़ेगा. बिहार विधानपरिषद के अपने कार्यालय कक्ष में उन्होंने कहा कि सरकार के जो बिजली दर में बढ़ोतरी की है उससे शहरी क्षेत्र में वृद्धि 47 से 92 प्रतिशत तक की गयी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 123 फीसदी से 174 फीसदी तक वृद्धि की गयी है.

बिजली दर में बढ़ोतरी वापस हो : लोजपा
लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली की दर में 55 फीसदी बढ़ोतरी करने के फैसले का विरोध किया है. उन्होंने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि बिजली कंपनी के इस फैसले का प्रतिकूल प्रभाव गरीब, ग्रामीणों, किसानों और उद्योग जगत पर सीधे तौर पर पड़ेगा.
लगातार राज्य में महागठबंधन की सरकार पहले ही राज्य की जनता पर खाने-पीने तथा अन्य जरूरत की इस्तेमाल करने वाले सामानों पर टैक्स का बोझ डाले हुए है. अब ऊपर से बिजली दर की बढ़ोतरी का बोझ पूरी तरह से जन विरोधी है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अपना यह फैसला वापस नहीं लिया, तो लोजपा इसके विरोध में सदन से लेकर सड़क तक जन आंदोलन करेगी. यह जानकारी प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने दी है.

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