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बिहार परचा लीक आयोग : नर्सिंग होम में छुपा था, ठिकाना बदलने निकला, तो पकड़ा गया

पटना : बीएसएससी पेपर लीक मामले में आरोपित इवैल्यूएटर आनंद बरार को गिरफ्तार कर लिया गया है. दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले बैठी एसआइटी प्रमुख मनु महाराज की टीम ने रविवार को उसे दिल्ली के भीम हंस नर्सिंग होम के बाहर पकड़ लिया. वह मरीज बन कर इस नर्सिंग होम में छुपा था. […]

पटना : बीएसएससी पेपर लीक मामले में आरोपित इवैल्यूएटर आनंद बरार को गिरफ्तार कर लिया गया है. दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले बैठी एसआइटी प्रमुख मनु महाराज की टीम ने रविवार को उसे दिल्ली के भीम हंस नर्सिंग होम के बाहर पकड़ लिया. वह मरीज बन कर इस नर्सिंग होम में छुपा था. एसआइटी ने उसके लोकेशन को ट्रेस कर लिया था. बाहर घेराबंदी की गयी थी. इस दौरान ठिकाना बदलने के लिए वह जैसे ही बाहर निकला, उसे पकड़ लिया गया. उधर इस मामले में आयोग के ओएसडी व आइएएस अधिकारी सीके अनिल अब भी फरार हैं.

िगरफ्तारी के बाद बरार को पटना लाया गया. हालांिक, एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि बरार को मंगलवार को पटना लाया जायेगा. दिल्ली में ही उससे पूछताछ हुई, शुरुआत में आनाकानी करनेवाला बरार पुलिस की सख्ती के बाद सारे राज उगल दिये. उसने कबूल किया है कि परमेश्वर राम से मोबाइल फोन पर उससे बातचीत होती थी. उनके एसएमएस भी उसके पास जाते थे. उसकी बातचीत परमेश्वर राम, प्रिंटिंग प्रेस के मालिक विनीत अग्रवाल से होती थी. वह बिहार बोर्ड के टॉपर घोटाले के आरोपित पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद से भी जुड़ा था. एसआइटी को आनंद से और बड़े खुलासे की उम्मीद है. किस तरह से ओएमआर शीट में फेरबदल करके सेटिंग वाले छात्रों को लाभ पहुंचाया जाता था. एसआइटी को आनंद के जरिये सुधीर कुमार, परमेश्वर राम और सीके अनिल के बारे में जानकारी और ठोस सबूत दोनों मिलेंगे.

जब्त किये गये मोबाइल फोन को एफएसएल भेजेगी एसआइटी

आनंद बरार की परमेश्वर राम से जिस नंबर पर बात होती थी, वह नंबर उसके पास से नहीं मिला है. सूत्रों की मानें, तो जब उसकी तलाश शुरू हुई, तो उसने अपना नंबर और मोबाइल फोन दोनों चेंज कर दिया. अब जो मोबाइल वह इस्तेमाल कर रहा था, उसे एसआइटी ने कब्जे में ले लिया है. पुराना मोबाइल फोन भी बरामद करने की कोशिश की जा रही है. मोबाइल फोन की प्राथमिक जांच एसआइटी कर रही है. गहराई से जांच, डीलिट हो चुके एसएमएस की जानकारी हासिल करने के लिए एसआइटी उसके मोबाइल फोन को एफएसएल को भेजेगी.

सुधीर ने टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उसे बदला, फिर भी लीक हो गया प्रश्नपत्र

बीएसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार ने टेंडर प्रक्रिया को दुरुस्त करने या सुधारने के लिए पूरी व्यवस्था बदली, इसके बावजूद पेपर लीक हो गया.केस डायरी में दर्ज एसआइटी की पूछताछ में उनके जवाब में इस बात के स्पष्ट रूप से संकेत मिले हैं कि उन्होंने इस डर से ही प्रश्नपत्र सेट करने और इसे छापने के लिए प्रिंटर का चयन करने की प्रक्रिया में पहले से शामिल ‘उन’ आठ-नौ लोगों को हटाते हुए बतौर अध्यक्ष पूरी व्यवस्था को अपने पास केंद्रित कर लिया. फिर भी प्रश्नपत्र इतने बड़े स्तर पर लीक हो गया. आखिर यह कहां से और कैसे लीक हुआ, यह सवाल अब भी साफ नहीं हुआ है. लेकिन, पूरी पूछताछ जिन आठ-नौ अन्य लोगों की तरफ इशारा करती है.

उससे एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या सुधीर कुमार ने इसे लीक किया या इस पूरे प्रकरण में ‘उन’ आठ-नौ लोगों की भी मिलीभगत है, जिनका नाम सुधीर कुमार नहीं बता रहे और न ही अब तक की जांच में ये नाम सामने आये हैं. इन आठ-नौ लोगों में कौन-कौन सफेदपोश शामिल हैं और इस मामले में इनकी भूमिका क्या रही है, इसकी जांच भी होनी चाहिए.पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार ने इस परीक्षा के पहले मुख्य सचिव से मुलाकात करके टेंडर के वर्किंग स्टाइल पर सवाल उठाते हुए यह आशंका जतायी थी कि एक एग्रीमेंट पर जब आठ-नौ लोग हस्ताक्षर करेंगे, तो यह गोपनीय कैसे रहेगा. इसके बाद पुराने अध्यक्ष की तरफ से तय रेट के आधार पर ही प्रिंटर को प्रश्नपत्र छापने का जिम्मा दे दिया गया था. प्रश्नपत्र छप कर प्रिंटिंग प्रेस से सीधे जिलों के स्ट्रांग रूम में पहुंचा और इसकी देखरेख के लिए सभी जिलों में एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये.

फिर भी प्रश्नपत्र लीक हो गया. यह बड़े सवाल पैदा करता है या किसी बड़ी साजिश की तरफ भी इशारा करता है. पूर्व अध्यक्ष से पूछताछ में इस बात का भी जानकारी है कि प्रश्नपत्र सेट करने और इसे छापने की पूरी जिम्मेवारी अध्यक्ष पर होती है. फिर भी यह लीक हुआ, तो क्या कहीं किसी ने इसी बात का फायदा किसी साजिश के तहत तो नहीं उठा लिया. इन सवालों पर फिलहाल एसआइटी जांच कर रही है.

हालांकि, प्रश्नपत्र लीक प्रकरण में बीएसएससी के पूर्व सचिव परमेश्वर राम समेत अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है. परमेश्वर राम से हुई पूछताछ में अविनाश, आनंद शर्मा समेत कई दलालों के साथ मिलीभगत कर नौकरी दिलाने के लिए गड़बड़ी की है. परमेश्वर ने अपने स्तर पर ही यह गड़बड़ी की है या उन्हें किसी बड़े या ‘उन’ लोगों का सानिध्य प्राप्त था, जिनके नाम अब तक सामने नहीं आये हैं.

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