प्रिंटिंग प्रेस के मालिक विनीत व मैनेजर अमित के मोबाइल का निकाला गया सीडीआई
पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) पेपर लीक मामले में एसआईटी ने जांच शुरू की, तो आयोग के पूर्व सचिव परमेश्वर राम और उसके डाटा एंट्री ऑपरेटर को मामले में संलिप्तता के शक के आधार पर गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिये गये. इसके बाद एसआईटी बीएसएससी अध्यक्ष सुधीर कुमार के पास पूछताछ के लिए पहुंची. सुधीर कुमार ने पहली बार पूछताछ के दौरान एसआईटी को किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी. तब एसआईटी ने उनसे लिखित सवाले देकर जवाब मांगा. इस पर भी उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया. इसके बाद फिर एसआईटी की ओर से पूछताछ की गयी कि पेपर की सेटिंग किसने की थी?
एसआईटी के सवाल पर बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि आईआईटी दिल्ली के दास गुप्ता ने पेपर सेट किया था. इसके बाद एसआईटी की टीम दिल्ली गयी, मगर वहां इस नाम का कोई प्रोफेसर नहीं था. इसके बाद उनके मिलते-जुलते नाम के एक प्रोफेसर देवव्रत दास गुप्ता से पूछताछ की गयी, तो उन्होंने बीएसएससी का पेपर सेट करने से इनकार कर दिया. इसके बाद पुलिस टीम वहां से वापस लौट आयी. इसके बाद उसने दोबारा सुधीर कुमार से पूछताछ की.
सुधीर कुमार से दोबारा की गयी पूछताछ के दौरान उसे केवल गुजरात के अहमदाबाद की प्रिंटिंग प्रेस कॉनफिसेक प्रिंटर प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली स्थित ओएमआर इवोल्यूशन सेंटर की जानकारी मि ली. इसके बाद पुलिस को अनुसंधान में सफलता मिली और उसके प्रिंटिंग प्रेस के मालिक विनीत और मैनेजर अमित के मोबाइल का सीडीआर निकाला गया.
छानबीन के दौरान यह जानकारी मिली कि सभी तार एक-दूसरे से जुड़े हैं1 विनीत की बात ओएमआर इवोल्यूशन सेंटर के बरार से हो रही थी. जो एक तरह से पूरी तरह से नियम के खिलाफ था. इसके बाद पुलिस ने प्रिंटिंग प्रेस के संचालक विनीत और मैनेजर अमित को गिरफ्तार कर लिया और पटना ले आयी. हालांकि, बरार फरार होने में सफल रहा. बरार को यह जानकारी हो चुकी थी और उसने बीएसएससी के आइटी मैनेजर नीति प्रताप सिंह को यह जानकारी दे दी थी.
सीडीआर निकालने पर पुलिस को यह जानकारी मिली और आईटी मैनेजर को पकड़ा गया. इसके बाद पुलिस को यह जानकारी मिली कि नीति प्रताप की बीएसएससी के डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश से बात होती है. सारे लिंक मिलने के बाद आईटी मैनेजर की संलिप्तता पायी गयी.
डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश के माध्यम से प्रिंटिंग प्रेस से निकाले गये प्रश्नपत्र
बीएसएससी का पेपर एक और माध्यम से भी निकाले गया. इसका मास्टरमाइंड डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश था. उसने नीति प्रताप सिंह के माध्यम से यह जानकारी ले ली थी कि प्रिंटिंग प्रेस कहां पर है. साथ ही पूर्व सचिव परमेश्वर राम के दलाल और पटना के फुलवारीशरीफ निवासी आनंद शर्मा को भी प्रिंटिंग प्रेस की जानकारी हो चुकी थी. आनंद की भी बात दिल्ली के ओएमआर इवोल्यूशन सेंटर के बरार से होती थी.
कई तरीके से पेपर की छपाई होनेवाली प्रिंटिंग प्रेस के संबंध में सारी जानकारी लीक हो चुकी थी और एसआइटी के पास कुछ ऐसे भी तथ्य सामने आये हैं, जिसमें वहां काम करनेवाले लोगों को पैसे देकर पेपर निकालवाये गये. इससे वह पेपर अविनाश और आनंद के पास पहुंचा. जिसे अविनाश और आनंद ने कई गिरोहों, कोचिंग संचालकों और जॉब कंसलटेंसी तक पहुंचाकर पैसे वसूले.
एसआईटी ने सुधीर कुमार से पूछे ये सवाल
- आपके भाई तक प्रश्नपत्र कैसे पहुंचा? जबकि उक्त प्रश्न पत्र की जानकारी केवल आपकों ही थी?
- प्रश्न पत्र की केवल आपके पास जानकारी थी, तो बाहर कैसे आया?
- प्रश्न सेट करने वाले प्रोफेसर के संबंध में गलत जानकारी क्यों दी?
- जब प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो परीक्षा रद्द होने की बात हुई और पूर्व सचिव ने अफवाह बता करने से इनकार कर देने का विज्ञापन दिया, तो आपने रद्द करने के
- बजाये समर्थन क्यों किया?
- एसआईटी ने जब लिखित जबाब मांगा, तो आपने क्यों नहीं दिया?
बहुत कुछ बोल गयी सुधीर कुमार की खामोशी
बीएसएससी पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किये गये आयोग के चेयरमैन सुधीर कुमार ने चुप्पी साध ली है. वेटनरी कॉलेज के गेस्ट हाउस में कई घंटों तक हुई पूछताछ में उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला. लगातार उनसे एसआईटी ने सवाल बदल-बदल कर पेपर लीक कांड के राज उगलवाने की कोशिश की, पर वे चुप रहे. सेंटरों से सांठ-गांठ, प्रिंटिंग प्रेस के मालिक से मिली-भगत और पेपर लीक से जुड़े कई सवाल दागे गये, लेकिन उन्होंने हामी नहीं भरी. एसआईटी प्रभारी ने कहा कि उनके पास ठोस सबूत हैं, सीडीआर से कुछ सबूत मिले हैं, जिससे साफ होता है कि अब तक गिरफ्तार किये गये कुछ लोगों से उनकी बातचीत होती थी. हालांकि, सुधीर कुमार ने इस पर भी कुछ नहीं बोला.
जब एसआईटी ने सुधीर कुमार से मांगी सफाई
एसआईटी की तरफ से किये गये सवालों पर जब सुधीर कुमार कुछ नहीं बोले, तो उनसे अंतिम सवाल पूछा गया कि आपको अपनी सफाई में कुछ कहना है. इस पर उन्होंने सिर हिला कर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. इसके बाद उनसे पूछताछ बंद कर दी गयी. एसएसपी ने आइजी नैय्यर हसनैन खान को सारी जानकारी दी. इसके बाद उन्हें कोर्ट ले जाया गया. अब इस खामेशी के निहतार्थ निकाले जा रहे हैं.
क्या सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं?
शुरुआत से ही आयोग की तरफ से सफाई देनेवाले सुधीर आखिर एकदम से चुप क्यों हो गये. सवाल यह है कि क्या वे कोई और राज जानते हैं, क्या उनके मुंह खोलने से ऐसे लोगों के नाम सामने आयेंगे, जो सियासत से रिश्ता रखते हैं. उनका कद कितना बड़ा है कि एसआईटी भी हाथ नहीं डाल सकती. कोई और प्रशासनिक अधिकारी सामने आ सकता है. ऐसे तमाम सवाल हैं, जो सुधीर कुमार के खामोशी के जवाब हो सकते हैं. इस चुप्पी के पीछे दूसरा पहलू यह भी है कि क्या सुधीर अपने आपको बेकसूर साबित करने के लिए अभी सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं.
भांजे आशीष ने नाना का भी लिया नाम
पकड़ा गया आशीष बीएसएससी अध्यक्ष सुधीर कुमार का भांजा है और उसने पुलिस के समक्ष सुधीर कुमार के पिता राधा प्रसाद का भी नाम लिया है. उसने बताया कि उसे नाना राधा प्रसाद ने प्रश्न पत्र दिया था. इस आधार पर पुलिस राधा प्रसाद की भी संलिप्तता के संबंध में जांच कर रही है. आशीष भी कोचिंग संचालक है और इसी कारण उसकी दोस्ती रैंडम कोचिंग क्लासेज के संचालक रामेश्वर से थी. आशीष ने ही रामेश्वर से छह लाख लिये थे और प्रश्न पत्र दिया था. जांच के क्रम में पुलिस को यह जानकारी मिली है कि नवादा व अन्य जिलों के सेटरों द्वारा भी आशीष व कोचिंग संचालक रामेश्वर के माध्यम से प्रश्न पत्र व आंसर सीट दिये गये थे. अब पुलिस उन सभी गिरोहों को खोजने में लगी है, उन्होंने प्रश्न पत्र लिये थे और उसके आंसर अपने-अपने उम्मीदवारों तक पहुंचाये थे.
पिता बोले, जांच में निर्दोष साबित होगा बेटा
बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार के पिता राधा प्रसाद 1990 में संयुक्त सचिव, बिहार के पद से रिटायर हुए हैं. 1983 में डीआरडीए, हजारीबाग में एमडी के पद पर भी कार्यरत थे. मटवारी गांधी मैदान आवास में सुधीर कुमार के पिता राधा प्रसाद रहते हैं. उन्होंने बताया कि मेरे बेटे सुधीर कुमार को एसआईटी रात में पटना ले गयी. सुबह पटना में उनके परिवार से बातचीत की. हमारा तीसरा बेटा पटना वीमेंस कॉलेज में शिक्षक हैं. उनसे भी जानकारी ली. उन्होंने बताया कि बीएसएससी में प्रश्नपत्र लीक का मामला है. इसमें कुछ राजनीतिक मामले भी शामिल हैं. पूरे मामले की जांच चल रही है. मेरा बेटा निर्दोष साबित होगा.
बड़ा सवाल : परमेश्वर से मिले लिंक, तो कब होगी जांच?
बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के बाद अब कई बड़े अधिकारियों और नेताओं की गिरफ्तारी का रास्ता भी खुलता नजर आ रहा है. इसकी जांच की जद में कई बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आने की आशंका मजबूत हो गयी है. हालांकि, यह भी आशंका जतायी जा रही है कि एसएससी के पूर्व सचिव परमेश्वर राम ने जिन दर्जनभर बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम लिये हैं, क्या उन सबकी गिरफ्तारी हो पायेगी. उनके बताये सभी लिंक की जांच कब होगी, इसका अभी तक कोई शुरुआत नहीं हुई है.
इस मामले में आयोग के एक अन्य बड़े अधिकारी का भी नाम सामने आने की बात कही जा रही है. इस अधिकारी का नाम अब तक की जांच में सामने नहीं आया है. आयोग के ये अधिकारी पहले भी काफी विवादों में रह चुके हैं. फिलहाल इनकी संलिप्तता की जांच चल रही है. सबूत एकत्र होने पर इनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है. इस पेपर लीक मामले में कई नेता भी रडार पर हैं. अध्यक्ष से इनकी सांठ-गांठ और पूरे प्रकरण में इनकी संलिप्तता आगे की जांच में सामने आने की आशंका जतायी जा रही है.
इन सवालों के नहीं मिले अब तक जवाब
अब तक की जांच में अभी तक पूरी तरह से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि 29 जनवरी को जब परीक्षा की पहली तारीख थी, तो इससे पहले प्रश्न-पत्र किसके पास और कहां से पहुंचा था. जांच में जुटी एसआईटी यह दावा कर रही है कि पटना के एवीएन स्कूल से ही 29 जनवरी की सुबह करीब साढ़े नौ बजे पेपर लीक हुआ था, जबकि एवीएन स्कूल में जितने भी छात्र चोरी कर रहे थे, उनके पास उत्तर की परची पहले से ही मौजूद थी. ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि इनके पास पहले से प्रश्न-पत्र कैसे मौजूद था.
इसके अलावा, प्रश्न-पत्र जब 29 जनवरी को ही आउट होने के बाद वायरल हो गया था, तो 5 फरवरी के बाद से इसकी जांच क्यों शुरू की गयी. एक अहम प्रश्न यह भी है कि सबसे पहले प्रश्न-पत्र कहां और किसके पास पहुंचा, जहां से यह सभी स्थानों पर सप्लाइ हुआ. वारिसलीगंज में जो छापेमारी हुई थी, उसमें 12 फरवरी का भी प्रश्न-पत्र पाया गया है. इसके सरगना गौरीशंकर शर्मा को यह प्रश्न-पत्र कहां से मिला, इसकी जांच भी अभी तक नहीं हुई है. सभी दिनांक के प्रश्न-पत्र एक साथ इतने पहले से कैसे आउट थे.
कॉनफिसेक प्रिंटर की सच्चाई : महज छह महीने पहले बनी कंपनी को दे दी गयी प्रश्नपत्र छपाई की जिम्मेवारी
बिहार राज्य कर्म चारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने महज छह महीने बनी कंपनी को इंटरस्तरीय परीक्षा के प्रश्नपत्र को छापने की जिम्मेवारी दे दी थी. अध्यक्ष ने अपने विशेषाधिकार के साथ गुजरात के अहमदाबाद स्थित कंपनी कॉनफिसेक प्रिंटर प्राइवेट लिमिटेड को यह काम सौंपा था. इस कंपनी की स्थापना 18 जुलाई, 2016 को हुई थी. इसके साथ ही कंपनी के प्रोफाइल के अनुसार, तीन करोड़ रुपये का इसका शेयर कैपिटल है और पेड कैपिटल भी तीन करोड़ रुपये ही बतायी गयी है.
हालांकि, यह जो काम करती है, उसमें प्रिंटिंग से जुड़ा बहुत ज्यादा नहीं है. यह कंपनी मूलत: प्रिंटर, ऑफसेट, स्क्रीन स्टेशनरी, जेनरल, ऑफसेट प्रिंटिंग मशीन, मल्टीकलर फ्लेक्सो प्रिंटेड बैग, प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक प्रिंटेड से जुड़ा काम करती है. यदि ध्यान दें, तो यह कंपनी एसएससी के इंटरस्तरीय परीक्षाओं के विज्ञापन प्रकाशन के दो से ढाई साल बाद अस्तित्व में आयी और उसे दिसंबर-जनवरी में प्रश्नपत्र छापने की जिम्मेवारी दे दी गयी थी.
वहीं, ओएमआर शीट दिल्ली में तैयार कराया गया. इन दोनों जगहों से ही पेपर लीक प्रकरण की प्रमुख भूमिका जांच में सामने आयी है. इस कंपनी में दो डायरेक्टर हैं, जो अप्वाइंटमेंट डेट यानी 18 जुलाई, 2016 से ही इस पद पर हैं. इसमें एक विनीत सुरेश चंद्र आर्य और जया विनीत आर्य शामिल हैं. अभी विनीत एसआईटी की हिरासत में है. इसके अलावा, किसी और की जानकारी नहीं दर्ज है. अहमदाबाद के नरोडा के जीआइडीसी फेज थ्री में सी वन 39-14 स्थित यह कंपनी खुद को कंपनीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत निबंधित बता रही है, लेकिन ऑफिशियल इमेल आईडी भी जी-मेल की है, यानी इसने अपना डोमेन तक नहीं लिया था.
सुधीर कुमार के समर्थन में उतरा आईएएस लॉबी : कोर्ट के खर्च से लेकर अन्य सभी तरह के खर्चों का करेगा वहन
बिहार के आईएएस एसोसिएशन का कहना है कि जिस तरह देर रात अध्यक्ष की गिरफ्तारी एसआईटी की टीम ने की है, वह पूरी तरह से गलत है. इससे एसोसिएशन काफी खफा और दुखी है. सुधीर कुमार आईएएस कैडर के बेहतरीन और ईमानदार अधिकारियों में एक हैं और उनकी ईमानदारी और क्रेडेंसियल (साख) के साथ पूरा एसोसिएशन एकजुट होकर खड़ा है. एसोसिएशन के पास ऐसा एक भी कारण मौजूद नहीं है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ किसी तरह के आपराधिक मामले की बात कभी भी साबित होती है.
एसोसिएशन का कहना है कि इस मामले में शुरू से ही सुधीर कुमार हर तरह से जांच टीम को सहयोग करते आये हैं. एसोसिएशन इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की पूरजोर सिफारिश करता है. एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि वह इस मामले में हर तरह की लड़ाई लड़ने के लिए सुधीर कुमार के साथ है. कोर्ट के खर्च से लेकर अन्य सभी तरह के खर्चों का वहन एसोसिएशन ही करेगा.
इससे पहले गिरफ्तारी की खबर मिलने के तुरंत बाद आईएएस एसोसिएशन की आपात बैठक सुबह करीब 11 बजे एसोसिएशन के कार्यालय में हुई. इसके बाद फिर दोपहर में दोबारा बैठक की गयी. दोनों बैठकों के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के आवास पर भी विशेष बैठक करके सभी अधिकारियों ने अपनी बात रखी. बैठक से निकलने के बाद सभी अधिकारी इस मामले पर किसी तरह का बयान देने से बचते रहे. बैठक में एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेककुमार सिंह और कोषाध्यक्ष दीपक कुमार सिंह के अलावा अन्य सभी आईएएस अधिकारी मौजूद थे. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के आवास पर एसोसिएशन के अधिकारियों की देर शाम भी बैठक हुई.
कब-कब क्या हुआ?
06 फरवरी, 2017 : एसआइटी का गठन, प्रश्नपत्र लीक होने की पुष्टि
07 फरवरी, 2017 : बीएसएससी सचिव के घर पर छापेमारी
08 फरवरी, 2017 : सचिव व डाटा इंट्री ऑपरेटर गिरफ्तार, परीक्षा रद्द
10 फरवरी, 2017 : एवीएन स्कूल के संचालक समेत छह गिरफ्तार
11 फरवरी, 2017 : सचिव का दलाल और एवीएन का केंद्र अधीक्षक गिरफ्तार
13 फरवरी, 2017 : दो डाटा इंट्री ऑपरेटर, एवीएन के शिक्षक समेत छह गिरफ्तार
23 फरवरी, 2017 : प्रिंटिंग प्रेस के संचालक और मैनेजर गिरफ्तार
24 फरवरी, 2017 : बीएसएससी के अध्यक्ष समेत छह गिरफ्तार