पटना : मकर संक्रांति के अवसर पर पटना में हुई नाव हादसे के लिए स्थानीय प्रशासनिक अमला जिम्मेवार था. प्रशासन के अलावा पर्यटन विभाग ने भी अपनी जिम्मेवारी सही प्रकार से नहीं निभाया. नाव दुर्घटना की जांच कर रही आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. सूत्रों के मुताबिक नाव हादसे के लिए स्थानीय प्रशासन व पर्यटन विभाग को जिम्मेवार माना गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि प्रशासनिक चुस्ती होती तो लोगों को बचाया जा सकता था. मकर संक्रांति के मौके पर 14 जनवरी को गंगा में नाव डूबने से 25 लोगों की मौत हो गयी थी.
प्रशासनिक चूक
कमेटी ने रिपोर्ट को तीन बिंदुओं पर फोकस कर जांच किया है. नाव हादसा कैसे हुआ, पतंगोत्सव में गंगा पार ले जाने और लाना के इंतजामात कैसे थे. किस स्तर पर लापरवाही बरती गयी. रिपोर्ट में उन मीडिया की रिपोर्ट और घटना में बचे लोगों के बयान के साथ इस कार्य में जुटे हुए अधिकारियों के बयान को दर्ज किया गया है. सूत्रों के मुताबिक जांच कमेटी ने हादसे के लिए प्रशासनिक चूक को बड़ा वजह माना है. इस चूक ने दुनिया भर में बिहार को मिली प्रकाश पर्व और कालचक्र पूजा की उपलब्धियों को धूमिल कर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक अगर प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त होती तो यह हादसा नहीं होता.
रिपोर्ट सरकार को सौंपी गयी
रिपोर्ट में कहा गया है कि पतंगोत्सव के लिए विज्ञापन छापकर जब लोगों को गंगा पार जाने के लिए प्रेरित किया गया तो उनके लौटने की व्यवस्था भी प्रशासन को करनी चाहिए थी. लेकिन पर्यटन विभाग के स्तर से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी. मानक संचालन प्रक्रिया के मुताबिक सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले नावों का परिचालन नहीं होना चाहिए. इसके बावजूद गंगा में नाव का परिचालन हुआ. कहा गया है कि छठ और अन्य त्योहारों के मौके पर घाटों व तालाबों के आसपास प्रशिक्षित गोताखोरों के साथ-साथ प्रशिक्षित पुलिस बल तैनात रहता है. मकर संक्रांति के दिन ऐसा कुछ नहीं किया गया था. यह तैयारी जिला प्रशासन को करनी थी. जांच टीम मेें आपदा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत और डीआइजी शालिन शामिल थे. घटना के जांच का आदेश 15 जनवरी को दिया गया था. 50 दिनों में जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दिया है.