पटना : ईश्वर तो एक शक्ति हैं. न उसका कोई नाम है, न रूप. जिसने जो नाम रख लिया वही ठीक है. ईश्वर को प्राप्त करने के लिए गृहस्थी त्याग कर जंगल में भटकने की आवश्यकता नहीं है, वह घर में भी रहने पर प्राप्त हो सकते हैं. जीवन में आंतरिक प्रसन्नता लाना चाहिए, यह बहुत बड़ा ईश्वरीय गुण है.
ज्ञान में ही शांति है, यह बाहर से नही मिलती. इसके लिए आंतरिक साधना करनी होगी. ये बातें गेट पब्लिक लाइब्रेरी में आयोजित रामाश्रम सत्संग भंडारा की पांचवी बैठक के साथ ही सत्संग आयोजन में सत्संगियों को संबोधित करते हुए आचार्य आलोक भैया ने कहीं. उन्होंने कहा कि अधिक समय संसार के कार्यों में लगाना चाहिए और थोड़ा समय परमार्थ पथ में देना चाहिए. लेकिन, परमार्थ पथ के समय थोड़ी देर के लिए संसार को भूल जाना चाहिए. परमपूज्य ने कहा कि दुुनिया के सारे काम सेवक बनकर करना चाहिए, मालिक बनकर नहीं. संसार में मेहमान बनकर रहना चाहिए. यहां की हर वस्तु किसी और की समझनी चाहिए. मैं और मेरा छोड़कर तू और तेरा का पथ पर चलना चाहिए. ईश्वर प्राप्त करने से पहले उससे मिलो जिसने ईश्वर को देखा है. वही तुम्हें ईश्वर का दर्शन करा सकता है. सभी संतों का कथन है कि सतगुरु की पूजा प्रभु की पूजा है. सतगुरु से प्रेम करना परमात्मा से प्रेेम करना है.
भंडारे में बड़ी संख्या में उमड़े लोग : सत्संग के दौरान ठंड की परवाह किये बगैर बड़ी संख्या में सत्संगियों की उपस्थिति रही. गुरु महाराज ने कहा कि सत्संगियों पर सदा सदकृपा बरसे. सभी स्वस्थ रहें एवं आत्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर रहें. इस अवसर पर कृष्णकांत शर्मा जी सहित विभिन्न प्रदेशों से आए आचार्य उपस्थित हुए. समारोप भाषण करते हुए पटना भंडारा के संयोजक सुधीर भैया ने सत्संग में लगे भक्तों को धन्यवाद दिया.
साथ ही साथ पटना जिला प्रशासन, गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी प्रबंध न्यास समिति और गेट पब्लिक लाइब्रेरी प्रबंध समिति सहित जदयू के विधान पार्षद डॉ रणवीर नन्दन को उनके सहयोग के लिए साधुवाद दिया. इस अवसर पर संजीव भैया, डाॅ मोहित भैया, संयोजक सुधीर रंजन सहाय, डाॅ ज्योति प्रसाद, ओम नारायण शर्मा आदि उपस्थित थे.