पटना : भारतीय निर्वाचन आयोग की सूची से शुक्रवार को बेदखल की गयी राज्य की राजनीतिक पार्टियों ने अपना पता फर्जी बताया है. इतना ही नहीं, सरकारी आवास को ही दफ्तर बता कर पार्टियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. राज्य की आठ राजनीतिक पार्टियों को सूची से बेदखल कर आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को पत्र लिख इनके चंदे की जांच के निर्देश दिया है. प्रभात खबर की पड़ताल में चौंकानेवाली बातें सामने आयी हैं.
सरकारी ऑडिटर आवास को बताया कार्यालय
बिहार विकास पार्टी का पता स्पेशल क्वार्टर टाइप 1 में रूम नंबर 6, आर ब्लॉक की तलाश करने जब यहां पहुंचा गया, तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. दरवाजा बंद था, खटखटाने पर एक शख्स बाहर आये. उन्होंने अपना नाम संतोष कुमार बताया. उन्होंने बताया कि वह एजी ऑफिस में ऑडिटर हैं. दो साल से यहां रह रहे हैं. पहले यहां एजी ऑफिस के ही सभी साथी रहते थे. यहां एजी ऑफिस के ही स्टाफ शुरू से रह रहे हैं.
12 साल से यहां कोई कार्यालय नहीं
चंपारण विकास पार्टी का पता विधायक फ्लैट नंबर 102 (ब्लॉक ए) का रियलिटी चेक के दौरान पता चला कि यहां पिछले 12 साल से इस पार्टी का कोई कार्यालय नहीं है. वर्तमान में यहां मधुबनी से भाजपा विधायक विजय कुमार खेमका पिछले दो सालों से रह रहे हैं. उसके पहले बेनीपट्टी के विधायक रह चुके विनोद नारायण झा यहां 10 साल रहे थे.
रालोसपा विधायक फ्लैट को बताया अपना ऑफिस
उम्रकैद की सजा भुगत रहे पूर्व विधायक आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन 1993 में किया था. पार्टी का कार्यालय दरोगा प्रसाद राय पथ स्थित विधायक फ्लैट नंबर 303 (ब्लॉक सी) को बताया गया है. रियलिटी चेक में यहां रालोसपा के हरलाखी से विधायक सुधांशू शेखर का आवास पाया गया. आनंद मोहन के करीबी रहे अनिल झा ने बताया कि पहले यहां पार्टी कार्यालय था, लेकिन साल 2000 के बाद बंद हो गया.
पांचवें तल्ले पर दस साल से बंद है फ्लैट
विजेता पार्टी ने अपना पता 501, अभिषेक प्लाजा, एक्जीबिशन रोड बताया है. इस पते पर जब पहुंचा गया, तो फ्लैट का दरवाजा बंद था. ताले पर धूल की एक मोटी परत जमी थी. अपार्टमेंट के गार्ड मनोज ने बताया कि फ्लैट पिछले कई सालों से बंद है. लोगों का कहना है कि करीब दस साल से इस फ्लैट में कोई नहीं आया है.
लोग नाम भी नहीं सुने
भारतीय प्रजातंत्र पार्टी का पता पटना के पटेल नगर रोड नंबर 9 दर्ज है. जब हम पार्टी का कार्यालय ढूंढ़ने निकले तो निराशा हाथ लगी. रोड नंबर 9 के लोगों ने बताया कि वे यहां वर्षों से रह रहे हैं. लेकिन, पार्टी का नाम तक नहीं सुने हैं.
पता ढूंढ़ा, पर नहीं मिला
जनहित समाज पार्टी का पता भगवती मार्केट, शिव मंदिर, बेली रोड ढूंढ़ने निकले यहां भी निराशा हाथ लगी. गूगल से लेकर विकिपीडिया पर भी इसकी पड़ताल की. पता चला कि 14 दिसंबर को विकीपिडिया से इस पार्टी से संबंधित सभी सूचनाएं एडिट कर दी गयी है.