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भगवान की जमीन पर डोलती रही इनसानों की नीयत
रविशंकर उपाध्याय पटना : कहते हैं भगवान भक्त के भाव के भूखे होते हैं. वे धन-दौलत साथ में नहीं रखते. शायद इसी पर विश्वास करते हुए कुछ लालची लोग भगवान से उनका निवास स्थल छीन लेना चाहते हैं. नहीं समझे? दरअसल, विगत कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले आये हैं, जिसमें लोग भगवान के निवास […]
रविशंकर उपाध्याय
पटना : कहते हैं भगवान भक्त के भाव के भूखे होते हैं. वे धन-दौलत साथ में नहीं रखते. शायद इसी पर विश्वास करते हुए कुछ लालची लोग भगवान से उनका निवास स्थल छीन लेना चाहते हैं. नहीं समझे? दरअसल, विगत कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले आये हैं, जिसमें लोग भगवान के निवास स्थल यानी मंदिर की जमीन पर कब्जा जमा रहे हैं. राजधानी पटना सहित ऐसे मामले सूबे के कई जगहों से सामने आये हैं.
केस-1 : फतुहा के रेलवे कॉलोनी के पास कबीम मठ के करोड़ों की जमीन पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा जमा लिया है. मठ की 12 कट्ठा की जमीन की बाजार दर से कीमत अभी पांच से छह करोड़ रुपये है. इस जमीन को घेर कर असामाजिक तत्वों ने बेच भी दी है. जब शिकायत पुलिस से की, तो मामले को गंभीरता से नहीं लिया. 19 नवंबर, 1942 में 37 डिसमिल जमीन रेलवे स्टेशन के पास संत शिवधरदास जी द्वारा खरीदी गयी थी. धार्मिक न्यास पर्षद ने फतुहा के एसडीओ को इस संबंध में कई बार लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. अब मामला पटना हाइकोर्ट में है.
केस-2 : पूर्णिया के रामबाग काली मंदिर समिति की भी करोड़ों की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है. इसकी कीमत करीब दो करोड़ रुपये है. जब न्यास बोर्ड ने इस कब्जे को लेकर आंदोलन छेड़ा, तो स्थानीय पुलिस पूरी तरह उदासीन रही. धार्मिक न्यास बोर्ड में इसकी अपील की गयी. इसके बाद स्थानीय जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी चल रही है.
यह है पूरी कहानी: बिहार में मंदिर-मठ के अभी 20 प्रतिशत ऐसे मामले हैं, जिन पर लोगों का कब्जा है. कुल 10 हजार मंदिरों में से दो हजार ऐसे मंदिर पर अवैध कब्जा है. ये जमीनें या तो भगवान के नाम पर हैं या फिर मठ मंदिर प्रबंधन के नाम पर रजिस्ट्री करायी गयी है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में अभी भी 400 से अधिक मामले केवल जमीन विवाद के लंबित हैं. अनुमान के मुताबिक मठ-मंदिरों की अतिक्रमित जमीन औसतन प्रति मंदिर-मठ 10 एकड़ की बतायी जाती है. यानी तकरीबन 4000 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है. उन मामलों में आवश्यक कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है.
बिहार में मंदिरों व मठों के अस्तित्व को बचाने के लिए इन पर हो रहे अतिक्रमण को रोकना होगा. बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद इस दिशा में लगातार काम भी कर रहा है, लेकिन उसे प्रशासन का अावश्यक सहयोग नहीं मिल पा रहा है. कई मामले तो कोर्ट तक पहुंच चुके हैं. उम्मीद है, जल्द समाधान निकलेगा.
अजय कुमार श्रीवास्तव, कार्यालय अधीक्षक, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद
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